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एक साथ मोदी और ट्रम्प दिन भर.....

अहमदाबाद (ईन्यूज एमपी)-अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सोमवार सुबह 11.40 बजे अहमदाबाद पहुंचे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी अगुवाई की। यहां से ट्रम्प और उनकी पत्नी साबरमती आश्रम गए, चरखा चलाया। इसके बाद रोड़ शो की शक्ल में मोटेरा स्टेडियम पहुंचे जहां "नमस्ते ट्रंप" कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प की केमेस्ट्री देखते ही बनी। अहमदाबाद एयरपोर्ट से उतरने से लेकर मोटेरा में "नमस्ते ट्रंप" प्रोग्राम खत्म होने तक ट्रम्प ने कुल 6 बार पीएम मोदी को गले लगाया।

मोटेरा स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीयों की नब्ज पर हाथ रखते हुए बॉलीवुड और क्रिकेट का शानदार तरीके से जिक्र किया। लिहाजा, जवाब में स्टेडियम में मौजूद एक लाख दस हजार दर्शकों के हुजूम ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनके भाषण के इस हिस्से को सबसे ज्यादा सराहा।

सोमवार की दोपहर ट्रंप बोले, धर्मगुरू स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था कि हर मानव के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हुए मुझे उनमें ईश्वर नजर आते हैं। उस समय मैं मुक्त हो जाता हूं। ट्रंप ने उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अमेरिका और भारत में हम सब जानते हैं कि हमारा जन्म एक बड़े मकसद के लिए हुआ है। हमें अपनी पूरी ताकत से काम करते हुए आगे बढ़ना है। इसी उत्कृष्टता और पूर्णता से काम करते हुए अपनी सारी कीर्ति को ईश्वर को समर्पित करना है।

मोदी के चेहरे पर मुस्कान : दुनिया के विशालतम क्रिकेट स्टेडियम बताए जा रहे मोटेरा में डोनाल्ड ट्रंप नामचीन भारतीय क्रिकेटरों का नाम लेना नहीं भूले। उन्होंने भारत की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि यह वह देश है जहां आप विश्व के महानतम क्रिकेटरों सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली तक की वाहवाही करते हैं। ट्रंप ने जैसे ही इन दो खिलाड़ियों का नाम लिया, दर्शकों में उल्लास देखा गया। पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया। इस बात ने पास बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी गहरी मुस्कान बिखेर दी।

बॉलीवुड को सराहा :अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बॉलीवुड के "जीनियस" की भी तारीफें कीं। उन्होंने हिंदी फिल्म उद्योग और उसकी दो सर्वकालिक सुपरहिट फिल्में "दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे" (डीडीएलजे) और शोले का नाम लिया। उन्होंने कहा कि भारत वह देश है जहां, जीनियस लोगों और रचनात्मकता के गढ़ बॉलीवुड से एक साल में करीब दो हजार फिल्में बनती हैं। पूरी दुनिया के लोग भांगड़ा, संगीत, नृत्य, रोमांस और ड्रामा के दृश्यों का भरपूर आनंद लेते हैं। खासकर भारतीय क्लासिक फिल्में डीडीएलजे और शोले इसकी मिसाल हैं।

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