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प्याज खरीदी में हुआ 500 करोड़ का घोटाला:- अजय सिंह

भोपाल(ईन्यूज़ एमपी)- नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह किसानों के नाम पर खरीदी गई प्याज को सड़ना बताकर सरकार ने 500 करोड़ रूपए का घोटाला किया है। उन्होंने कहा कि इसकी पुष्टि हाल ही में एक उच्च अधिकारी द्वारा खुलेआम प्याज खरीदी में सौदेबाजी करते हुए हुआ है। उन्होंने कहा कि व्यापमं महाघोटाले के बाद भी सरकार नहीं चेती और दूसरा घोटाला जेल प्रहरी की परीक्षा में सामने आया। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण को भी सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। मंदसौर गोलीकांड में हिंसा के लिए फर्जी एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिसकर्मियो को निलंबित करने और उन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गई थी।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि किसानों के लिए अधिक प्याज उत्पादन का संकट सरकार के लिए घोटाले का अवसर बन गया। उन्होंने कहा कि पिछले साल से सबक न लेते हुए सरकार ने इस साल भी प्याज का उत्पादन अधिक होने की सूचना के बाद भी किसानों को वाजिब दाम मिले इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए। उन्होंने कहा कि मार्च से मई के बीच में किसान अधिक प्याज उत्पादन को लेकर संकट में था। वह अपनी प्याज सड़कों पर फेंक रहा था। इसकी जानकारी निरंतर मुख्यमंत्री को मिल रही थी, लेकिन उन्होंने किसान के दुख की उपेक्षा की। जब प्रदेश में किसान आंदोलन उग्र हो गया तब उन्होंने इसकी घोषणा की, जब तक कि किसान अपनी फसल बेच चुका था या फिर कौड़ियों के दाम पर व्यापारियों को बेच चुका था। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 8 रूपए किलो पर प्याज खरीदने का लाभ कुछ ही किसानों को मिला है शेष पूरा लाभ सत्ता में बैठे लोगों, व्यापारियों और अफसरों के बीच हुए अनैतिक गठबंधन को मिला है। श्री सिंह ने कहा कि पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था, किसानों की कम और व्यापारियों एवं दूसरे प्रांतों से सांठगांठ करके लाई गई प्याज की खरीदी हुई और बाद में उसे सड़ना बताकर करोड़ो का खेल किया गया। श्री सिंह ने मुख्यमंत्री के इस बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने किसानों का नाम लेकर कहा कि सड़ी प्याज हम खरीदेंगे और फिर सड़ी प्याज सरकार फेंकेगी। श्री सिंह ने आरोप लगाया कि प्याज खरीदी में शामिल घोटालेबाजों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि प्याज खरीदी की अगर निष्पक्ष जांच हो तो एक बड़ा घोटाला सामने आएगा और कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे।


दूसरा व्यापमं घोटाला - नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि आज भी प्रदेश में सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की मामा नीति जारी है। श्री सिंह ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े व्यापमं महाघोटाले की जांच चल ही रही है कि जेल प्रहरी की परीक्षा में भी इस तरह का घोटाला सामने आना शिवराज सरकार के लिए शर्मनाक है | उन्होंने कहा कि हमेशा की तरह हादसों के बाद सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है ऐसे ही व्यापमं महाघोटाले के बाद भी विधानसभा में इस सरकार ने दावा किया था कि "फुल प्रुव्ड" व्यवस्था की गई, अब कोई भी गड़बड़ी नहीं होगी। बदनामी से बचने के लिए व्यापमं का नाम बदल कर "पीईबी" कर दिया लेकिन कारनामें पहले की तरह ही चल रहें हैं। उन्होंने मांग की इस मामले की भी जांच सीबीआई द्वारा की जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने सीबीआई से कहा कि व्यापमं महाघोटाले की जाचं जल्द ही पूर्ण करें ताकि दोषियों को जल्द सजा मिले।


मंदसौर गोलीकांड में फर्जी एफआईआर - नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि मंदसौर जिले की पिपल्या मंडी में हुए किसानों के गोलीकांड के बाद किसान आंदोलन को बदनाम करने की जो साजिश सरकार के इशारे पर रची गई, इससे एक फर्जी एफआईआर कांड भी उजागर हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सरकार अपनी कालिख को छुपाने के लिए किस हद तक जा सकती है। यह फर्जी एफआईआर का मामला उजागर होने के बाद पता चलता है। श्री सिंह ने कहा कि अपनी बर्बरता को सिद्ध करने के लिए सरकार ने पिपल्या मंडी में 6 जून को हुई गोलीकांड के बाद जिन लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज की वह एक अपंग और अपाहिज व्यक्ति है। बद्रीलाल पुत्र नानूराम चर्मकार ग्राम खेड़ा खदान वर्ष 2011 में एक दुर्घटना में अपने कमर से नीचे के अंग को खो चुका है। उसे लाने ले जाने के लिए दो व्यक्तियो की आवश्यकता होती है लेकिन यह सरकार उसे किसान आंदोलन मे हिंसा करने का दोषी मान रहीं है उसके खिलाफ न केवल एफआईआर की गई बल्कि 5 हजार का ईनाम भी घोषित किया है। इसी तरह पुष्कर और कमलेश नामक व्यक्ति पर भी एफआईआर दर्ज की है किसान आंदोलन में हिंसा के लिए। हिंसा के लिए दोनों व्यक्ति आपराधिक प्रवृत्ति के हैं और जेल में बंद हैं। श्री सिंह ने कहा कि इस फर्जी एफआईआर कांड की जांच न्यायिक जांच आयोग करे और इसके जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करें।

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