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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सचिन तेंदुलकर के भारत रत्न सम्मान को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को दिए गए भारत रत्न सम्मान को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को हस्तक्षेप के अयोग्य मानते हुए सोमवार को खारिज कर दिया।


कथित तौर पर सम्मान की प्रतिष्ठा का इस्तेमाल व्यावसायिक उत्पादों का प्रचार करके पैसा कमाने पर तेंदुलकर को दिए देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न को वापस लेने की मांग की लेकर एक जनहित याचिका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति एसके गुप्ता की खंडपीठ ने इस याचिका को हस्तक्षेप के अयोग्य मानते हुए खारिज कर दिया। पीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि वह इस संबंध में केन्द्र सरकार के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकता है।

याचिकाकर्ता भोपाल निवासी वीके नासवाह ने कहा कि तेंदुलकर काफी लोकप्रिय हैं, और उन्होंने क्रिकेट में देश के लिए कई विश्व रिकार्ड बनाए हैं लेकिन उन्होंने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की प्रतिष्ठा का इस्तेमाल करके व्यावसायिक उत्पादों का प्रचार किया और पैसा कमाया। उनका कहना है कि यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान की मर्यादा, विरासत और सिद्घांतों के खिलाफ है।

नासवाह ने कहा कि तेंदुलकर को नैतिक आधार पर यह पुरस्कार लौटा देना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो केंद्र सरकार को उनसे यह सम्मान वापस लेना चाहिए। तेंदुलकर लगभग 12 से अधिक ब्रांड का प्रचार करते हैं।

याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा कि भारत रत्न सम्मान प्राप्त करने के बाद भी तेंदुलकर कई उत्पादों का विज्ञापन कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि भारत रतन अवार्ड है, टाइटल नहीं। इसलिए इसका उपयोग नाम के आगे या पीछे नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने भारत रत्न सचिन नामक पुस्तक को भी साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया।

नासवाह ने कहा कि इस मामले में अब वह केन्द्र सरकार से संपर्क करेगें और यदि केन्द्र सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की तो वह सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।

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