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मध्यप्रदेश में अफसरों के दबाव में दो डॉक्टरों का इस्तीफा.....

इंदौर(ईन्यूज एमपी) कोरोना की जंग जारी है। हर कोई मिलकर लड़ने की कोशिश भी कर रहा है, लेकिन इस कोशिश को बुधवार को उस समय जाेरदार झटका लगा, जब जिले में अधिकारी और डॉक्टरों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चलने की बात सामने आ गई। प्रशासनिक अधिकारियों से व्यथित होकर दो स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक ही दिन इस्तीफा दे दिया।कोविड काल में प्रभारी सीएमएचओ रह चुकीं डॉ. पूर्णमा गाडरिया ने कलेक्टर के व्यवहार से दुखी होकर नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। वहीं, मानपुर के मेडिकल ऑफिसर ने इस्तीफे में लिखा कि वे एसडीएम के व्यवहार से व्यथित हैं। ऐसे में वे आगे काम नहीं कर पाएंगे।

स्वास्थ्य आयुक्त संचालनालय को लिखे पत्र में डॉ. गाडरिया ने लिखा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी के पद से 5 मई को त्याग पत्र दे रही हूं। इस्तीफा देने के बाद डॉ. गाडरिया ने कहा कि कलेक्टर साहब मानते हैं कि हम कुछ काम नहीं करते हैं। फोन पर भी वे ठीक तरीके से बात नहीं करते। अपनी नाकामी का ठीकरा हम पर थोपते हैं। कुछ होता है, तो कहते हैं कि खुद ही इस्तीफा दे दो, नहीं तो मैं सस्पेंड कर दूंगा। मुझे लगा, अब इस्तीफा दे ही देना चाहिए, क्योंकि अब और नहीं सहा जाता। किसी को तो आगे आना होगा। मानपुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. आरएस तोमर ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि आज एसडीएम अभिलाष मिश्रा द्वारा किए गए अभद्रता, अशिष्टता एवं अमर्यादित व्यवहार से मैैं व्यथित हूं। हालांकि मैं भी उसी भाषा का प्रयोग कर सकता था, लेकिन पद, गरिमा और प्रतिष्ठा सर्वोपरि होती हैै। अत: मैं सुनता रहा।

मेरा अनुरोध है कि मैं इस तरह से कार्य नहीं कर सकता। मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। एक दिन में चार बार इंसुलिन इंजेक्शन लगाता हूं। हार्ट एंजियोप्लास्टी होने के बाद भी अपने कार्य को निष्ठा से कर रहा था, किंतु आज मेरी मानसिक व शारीरिक वेदना सहनशक्ति से बाहर हो गई हैै। मैं आगामी समय में कार्य करने में असमर्थ हूं।दिसंबर 2020 में कलेक्टोरेट में प्रसूति सहायता सहित अन्य कामों में पेंडेंसी को लेकर कलेक्टर मनीष सिंह ने सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया को मीटिंग में ही फटकार लगा दी थी। कलेक्टर ने उन्हें यूज लेस सीएमएचओ तक कह दिया था। इसके बाद मीटिंग से बाहर आए जड़िया को सीने में दर्द हुआ और वे बाहर चेयर पर बैठ गए थे। इस दौरान उनके आंखों से आंसू भी छलक उठे। अन्य साथी उन्हें पकड़कर बाहर ले आए। यहां से निजी अस्पताल में जांच करवाने पहुंचे। जांच के बाद वे पांच दिन के अवकाश पर चले गए थे।

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