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सीधी सिंगरौली जिले के सहकारी बैंक व समितियों में नित नये कारनामे , कलेक्टर का ध्यान अपेक्षित...

सीधी (ईन्यूज एमपी)- सीधी जिले में सहकारी बैंक और भ्रष्टाचार का साथ चोली दामन का रहा है आए दिन सहकारी बैंक की कारगुजारियां जन चर्चाओं का विषय बनती है जिले भर के अलग-अलग शाखाओं में कई तरह के घोटालों के मामले सामने आते रहते हैं कभी फर्जी ट्रैक्टर घोटाला कभी किसान क्रेडिट कार्ड घोटाला कभी खाद्यान्न घोटाला तो कभी कुछ और इसी तारतम्य में सहकारी बैंक कुसमी का एक मामला फिर प्रकाश में आ रहा है जहां की शाखा प्रबंधक द्वारा फर्जी तरीके से अपने पुत्र की नियुक्ति कर उसे वेतन का भुगतान भी किया गया है जानकारों की माने तो हेरफेर कर की गई नियुक्ति और फिर उसका भुगतान पूरी तरह से गलत है जो नहीं होना चाहिए था। सीधी और सिंगरौली जिले सहित विभिन्न बैंक शाखाओं , विभिन्न सहकारी समितियों के मार्फत जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार की गंगा बहा रहे हैं आये दिन नित नये कारनामे उजागर हो रहे हैं , सीधी कलेक्टर एंव प्रशासक क्या इन पर लगाम लगायेंगें ....?

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक कुसमी में पदस्थ शाखा प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल गुप चुप फर्जी तरीके एवं समिति प्रबंधक के बगैर प्रस्ताव व हस्ताक्षर के अपने पुत्र विक्रम सिंह को सेवा सहकारी समिति टमसार का सहायक समिति प्रबंधक बना दिया गया बल्कि आहरण बचत खाता समितियां खाता से 5. वर्ष का फर्जी वेतन भुगतान भी निकाल लिया गया जिसके बाद जैसे ही इसकी जानकारी समिति प्रबंधक रामनेवाज गुप्ता को लगी मानो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई हो जिसकी शिकायत भी टमसार समिति प्रबंधक श्री गुप्ता द्वारा सहकारी बैंक के सीईओ, प्रशासक (कलेक्टर), प्रशासक अध्यक्ष सहकारी समिति टमसार, उपखण्ड अधिकारी कुसमी, एवम् थाना प्रभारी कुसमी की लिखित आवेदन पत्र के माध्यम से शिकायत कर फर्जीवाड़ा करने वाले शाखा प्रबंधक के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने की मांग की गई है।

समिति प्रबंधक रामनेवाज गुप्ता ने आवेदन पत्र में लिखित शिकायत करते हुए उल्लेख किया है कि आदिम जाति मेवा सहकारी समिति दमसार के वित्तीय पत्रक बनाने हेतु शाखा से स्टेटमेंट प्राप्त होने के बाद पता चला कि श्री विक्रमसिंह शेर बहादुर सिंह की नियुक्ति बैंक शाखा प्रबंधक शेर बहादुर सिंह के द्वारा फर्जी नियुक्ति कर वेतन जनवरी 2017 से दिसंबर 2021 तक का 5000 (पांच हजार ) प्रति माह के हिसाब से रुपये 300000 तीन लाख रुपये) का फर्जी आहरण बचत खाता समितियां से कर लिया गया है।

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