enewsmp.com
Home सियासत आखिर ब्राम्हण अधिकारियों पर क्यूं गिर रही है गाज ....

आखिर ब्राम्हण अधिकारियों पर क्यूं गिर रही है गाज ....

13 अप्रैल 1919 को अंग्रेजो ने रॉलेट एक्ट लाया, जिसके आधार पर बिना सुनवाई के ही जेल भेजने का प्रावधान बनाया गया, इसे काला कानून कहा गया, बिना अपील बिना दलील किसी को भी जेल भेजने का अधिकार सरकार को मिल गया था, ठीक यही स्थिति आज मध्य प्रदेश में देखने को मिल रही है, जहा करोड़ो खर्च करके पेसा कानून को समझाने के लिए तैयार किए गए मंचो से वर्ग विशेष के अधिकारियों को बिना जांच पड़ताल के ही निलंबित किया जा रहा है ।

पहली बात तो ये की यदि पेसा कानून इतना बढ़िया ही है तो इसको समझाने भर के लिए अरबों रुपए खर्च करने के बजाय इसके प्रावधानों को लागू करने में सरकार को ध्यान देना चाहिए, लेकिन राजनीतिक जमीन खिसकती हुई देखते हुए शिवराज सिंह चौहान आजकल फैसला ऑन द स्पॉट करके जनता की तालिया लूट कर मन को बहला रहे हैं, अब ये देखना दिलचस्प होगा की इस राजनीतिक पाखंड पर बज रही तालियां वोटो में बदल पाती है या नहीं ।

गौरतलब है लगातार हो रही इन कार्यवाहियों में अधिकतर अधिकारी ब्राह्मण समाज के हैं, सीईओ जनपद दीक्षित, खनिज अधिकारी ज्ञानेश्वर तिवारी, सीएमएचओ एके तिवारी,
इसके पूर्व एक रिकॉर्डिंग वायरल होने पर झाबुआ एसपी अरविंद तिवारी को भी निलंबित किया जा चुका है,

"माई का लाल" जैसा बयान देकर पूर्व में भी शिवराज सिंह चौहान अपनी जातिगत दुर्भावना सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके हैं, अब लगातार हो रही इन कार्यवाहियों में भी दबी जुबान से अधिकारी कर्मचारी फिर से उसी जातिगत दुर्भावना की चर्चा करते दिख रहे हैं ।

Share:

Leave a Comment