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कमर्जी में कोरेक्स पुराण,थाने से भी जुड़े तस्करों के तार, कप्तान साहब का इंतजार

सीधी ( सचीन्द्र मिश्र)- जिले के कमर्जी थाने में कोरेक्स को लेकर चल रहे रस्साकस्सी के खेल चार लाख के लेदकन की कहानी आम हो चुकी है किसे किसे कितनी रकम यह किसी से छुपी नही वायरल आडियो इन सब तथ्यों के सबूत भरे हुये हैं , फिर भी जिम्मेदार खाखी पर कोई गाज नही ...यदाकदा खाखी पर कार्यवाही करके पल्ला झाड़ लेना उचित नही ..? उचित तो तब होगा जब असली हीरो पर गाज गिरे ... सामान्यत: लोगों द्वारा हाथी के दांत दिखाने के और चबाने के और लोकोक्ति का उपयोग किया जाता है लेकिन यहां खाकी का हाल भी ऐसा ही दिख रहा है कार्यवाही दिख कुछ और रही है लेकिन वास्तव में है कुछ और.. हुआ कुछ और...? कुछ और का मतलब भी कुछ और है। कहने को मुस्तैद दिखाने को इमानदार लेकिन हकीकत कुछ और...? हलाकि जिले के पुलिस कप्तान मुकेश श्रीवास्तव व एडिशनल एसपी अंजूलता पटले की माने तो इस घटनाक्रम का असली गुनाहगार पकड़ा जयेगा ... बड़ी कार्यवाही की जायेगी दोषियों को वक्शा नही जायेगा ।

जी हां यदा कदा सीधी जिले में कोरेक्स और अवैध शराब पर हुई कार्यवाही को कुछ इस तरह से पेश किया जाता है मीडिया में परोसा जाता है कि जैसे अवैध नशे के कारोबारियों का जीना मुश्किल है उन पर कानून की कड़ी लगाम है और जैसे ही वह नशे के कारोबार की ओर रुख करते हैं तो खाकी का शिकंजा उन पर जड़ दिया जाता है पुलिस बेहद सतर्क है और नशे के कारोबारी बेचारे बेहद परेशान लेकिन चौराहों और सड़कों के किनारे पड़े कोरेक्स के खाली बोतल, आम जनों के बयान और जगह-जगह ढाबों और घरों में बिक रही शराब कुछ और ही दास्तां बयां करती है। जिला मुख्यालय हो या आसपास के ग्रामीण अंचल छोटे कस्बे हो या तहसील मुख्यालय हर जगह कोरेक्स और शराब के चिन्हित अड्डे हैं जिनमें बाकायदा खाकी की अदृश्य सहमति के साथ नशे का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है और इस बात से आमजन से लेकर पुलिस और जिला प्रशासन सभी वाकिफ है नशा कैसे पहुंच रहा है कहां पहुंच रहा है इसकी भी जानकारी सभी को है लेकिन गांधीजी के प्रेम ने सभी की बोलती बंद कर रखी है जो बोलना चाहता है उसकी सुनता ही कौन है और बोलने के बाद जो बैर होगा उसे भी कोई लेना नहीं चाहता लेकिन जिन चौकीदारों को इसका जिम्मा मिला है वो शासन की चाकरी छोड़ इन्हीं के चाकर बन बैठे हैं और व कायदे संरक्षण देकर इस गोरखधंधे के भागीदार हैं और जैसे ही कोई भागीदारी से इंकार करता है तो कार्यवाही की तलवार चल पड़ती है और जारी हो जाती है प्रेस विज्ञप्ति "आज इतने रुपए कीमत का नशे का कारोबार पकड़ाया पुलिस की बड़ी कार्यवाही"...?

इमानदारी से अगर देखा जाए तो क्या यह मुमकिन है कि इनकी नाक के नीचे नशे का कारोबार चल रहा है आम लोगों को पता है नशे बाजों को पता है कि अमुक जगह कोरेक्स, शराब या गांजा बिक रहा है लेकिन खाकी धारियों को इसकी खबर नहीं बड़ा ही व्यंग और विनोद का विषय है। देखना होगा कि इस पूरे मामले में राजधानी से लौटकर कप्तान साहब क्या करेंगे ...इंतजार करना होगा ।

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