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एक नजर राजनाथ सिंह के हांथों बीजेपी ज्वाइनिंग पर 19 में दो अमुख चेहरे काजल और ब्रजेन्द्र...

सीधी ( सचीन्द्र मिश्र) विंध्यरीजन के सीधी प्रवास पर आये केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के हांथों करीब 19 चेहरों को भाजपा में शामिल किया गया है , जिनमें दो बड़े चेहरे भी शामिल हैं एक हैं ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र की घर वापसी दूजे कांग्रेस से बीजेपी का दामन थामने वाली योग्य महिला नपाध्यक्ष काजल वर्मा ... जिनके प्रति आम चर्चा है कि काजल एक भविष्य है तो वंही ब्रजेन्द्र नाथ एक अतीत हैं और साहस हैं । कहते हैं कि विद्यार्थी पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है, वह आगे चलकर राष्ट्र के कर्णधार होंगे। आज का विद्यार्थी कल बड़े-से-बड़ों पद पर पहुँच कर देश का भाग्यविधाता बन सकता है। इस कारण विद्यार्थी-जीवन में ही विद्यार्थी अपनी रुचि का मार्ग पकड़कर आगे बढ़ने का प्रयत्न करता है और इसी काल में उसके आगामी जीवन के मार्ग निश्चित हो जाते हैं । जी ... हां हम बात कर रहे हैं टीआरएस ( दरवार) कालेज रीवा के पूर्व प्रसीडेंट ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र की जिन्होंने उस जमाने में विंध्य की सियासत में अपना परचम लहराया था वह एक दौर था जब सामंतवाद का बोलबाला था , उसी दौरान रीवा की हवा ही कुछ अलग राजनीतिक मिजाज से रंगी थी, ये दौर था जब स्व. यमुना प्रसाद शास्त्री समाजवादी जनांदोलन से जुड़े नेता का प्रभाव ऐसा था जो उनको देख लेता था उसके अंदर क्रांतिकारी ज्योति जल जाती थी, लेकिन जिनमे पहले से थोड़ा क्रांति हो वो तो ज्वाला ही बनती थी, यही समय था जब ब्रजेन्द्रनाथ उनके संपर्क में आ गये, और छात्र राजनीति में ऐतिहासिक झंडा गाड़ दिया। ब्रजेन्द्रनाथ का रुतबा इतना था कि उन दिनों विंध्य की छात्र राजनीति में ताला हाउस का काफी दखल होता था, जिसे एक ही झटके में ब्रजेन्द्रनाथ मिश्र ने उखाड़ फेक दिया और अपने समर्थित प्रत्यासी को भी युनिवर्सिटी का चुनाव जिता लिया जिसके कारण आपका विंध्य के आठ कॉलेजों में उस समय तूंती बोलने लगी जो किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव की गणित का उलटफेर कर सकती थी।


उल्लेखनीय है कि ब्रजेन्द्रनाथ एपीएस यूनिवर्सिटी के महापरिषद सदस्य भी बन गए, और छात्र राजनीति के दौरान ही जेल की यात्रा भी हो गई, उन दिनों लगता था कि विंध्य की राजनीति में एक बड़े नेता की राजनीति का आगाज हो गया है, लेकिन आमचुनाव की राजनीति में पता नही क्यों इस नेता का राजनीतिक पार्टियों में कहीं समीकरण ही नही बन पाया, जिसका कारण यह भी हो सकता है कि छात्रराजनीति के बादशाह बन चुके ब्रजेन्द्रनाथ को सत्ता की राजनीति में शायद किसी के पीछे न चलना आया हो, और इस मैदान में आगे चलने वाले की जड़ अगर गहरी न हो तो उखाड़ दिया जाता है। लेकिन 2000 के दसक में ब्रजेन्द्रनाथ ने भरतपुर सीट से जिलापंचायत का चुनाव लड़ा और काँग्रेस के एक बड़े नेता को तगड़ी पटकनी दी थी।

चुरहट की सियासत के माइने ही कुछ इतर हैं समन्वय भाईचारा सामाजिक सरोकार का हमेशा से बोलबाला रहा है । और इस परिवार ने उसका बाखूबी निर्वहन भी किया है यही कारण है कि इस सियासी संत को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था । वक्त है बदलाव का ...सच है समय किसी का समान नही होता तभी तो घर बापसी हो गई । राजनीति में किस्मत ने ब्रजेन्द्रनाथ को वो अंजाम कभी नही दिया जिस तरह उनका आगाज हुआ था, लेकिन ब्रजेन्द्रनाथ आज भी जनसेवा में समर्पित रहते हुए भाजपा के विंध्य नेताओ और ब्यूरोक्रेट्स के पास अपनी मजबूत उपस्थिति रखते है। ब्रजेन्द्रनाथ का नाम भी उन नेताओं में शुमार है जो प्रकृति से गहरा लगाव रखते है, किंतु वर्तमान समय उनके अनकूल नही है... किंतु सहपाठी शसक्त हैं इस नाते वह आज किसी कम नही ।

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