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Home सीधी दर्पण बरसाना के वास हेतु कृष्ण को गोपी बनना पड़ा : पं बाला व्यंकटेश

बरसाना के वास हेतु कृष्ण को गोपी बनना पड़ा : पं बाला व्यंकटेश


सीधी ( ईन्यूज एमपी ) श्री कृष्ण रसामृत समिति के पदाधिकारियों तथा शहर के समुपस्थित श्रोताओ विशेषतः एस एन त्रिपाठी प्राचार्य, श्रीमती कुमुदिनी सिंह पार्षद, सुरेन्द्र सिंह बोरा, सोमालोब साहित्यिक मंच के अध्यक्ष डाॅ श्रीनिवास शुक्ल "सरस",अंजनी सिंह "सौरभ"गीतकार, संजय सिंह दुअरा, राजमणि मिश्रा,श्रीमती रामसखी गुप्ता सहित दर्जन भर भक्तों ने कथा व्यास पं.बाला व्यंकटेश महराज वृन्दावनोपासक का माल्यार्पण से स्वागत वन्दन तथा व्यास पीठ का पूजा अर्चन किये। तत्पश्चात श्रीकृष्ण की बाल लीला के कथा प्रसंग को उद्घाटित करते हुए महराज जी ने बताया कि कृष्ण की लीला में यदि प्रवेश करना चाहते हो तो भगवान की मानसिक सेवा करना प्रारम्भ करें। हाॅ गंगा जल में कोई भी जल मिलाकर प्रभु का स्नान आचमन और जलाभिषेक नही करना चाहिए। महराज जी ने समुपस्थित भक्तो को यह भी बताया कि वह गंगा जल भगवान की सेवा के योग्य नही रह जाता जिसको मलच्छ स्पर्श किया हो,मदिरा जिस पात्र में रही हो तथा जिसमें कोई जल मिला दिया गया हो।बाल लीला की कथा को विवेचित करते हुए महराज जी ने बताया कि जब नन्द बाबा को यह पता चला कि हमारे यहाॅ लाला का जन्म हुआ है तब उनके प्रसन्नता की कोई सीमा नही रह गई। नन्द बाबा ने बधाई में सारा खजाना खोल कर सोना-हीरा एवं अनगिनत जेवरात लुटा दिया।आचार्यो को कहा बधाई हो जो जिसको लेना हो ले लो। ऐसा इसलिए क्योंकि सब हमारे कृष्ण का दिया हुआ है।उसकी ऐसी कृपा होती है कि खजाना खाली हो ही नही सकता है। सभी नगरबासी नन्द बाबा के यहाॅ यह गाते हुए पहुॅचने लगे कि चलो देख आयें नन्द घर लाला हुआ। नन्द के उर में उजाला हुआ।
महराज जी ने बताया कि बृज का कृष्ण माधुर्य का और द्वारिका का कृष्ण ऐश्वर्य का कृष्ण है। यही कारण है कि बरसाना का वास पाने के लिए श्रीकृष्ण को गोपी बनकर आना पड़ा था।आगे कथा व्यास बाला व्यंकटेश महराज वृन्दावनोपासक ने बताया कि गोवर्द्धन महराज आज भी सजीव हैं।जो भी भक्त गिरिराज जी का परिक्रमा आस्था और विश्वास के साथ आज भी करता है। उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है।उपसंहार में महराज जी ने भक्तों को संदेश दिया कि आप कभी भी कही भी जब श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने जायें तब अहंकार की चादर उतार कर ही कथा स्थल पर जायें। कथा प्रसंग के विविध स्वरूप प्रस्तुत करते हुए गोवर्द्धन महराज जी की पूजा विधवत छप्पन भोग के साथ सम्पन्न हुई।इस अवसर पर भजन-कीर्तन होता रहा और कथा आनन्द की बरसात भी होती रही।अब तक मुख्य रूप से कथा में जिनकी उपस्थिति उल्लेखनीय रही उनमें से श्रीमती रीती पाठक बिधायक सीधी, ज्ञान सिंह चौहान कांग्रेस अध्यक्ष, देव कुमार सिंह भाजपा अध्यक्ष, लालमणि सिंह चौहान बरिष्ठ अधिवक्ता, हजारी लाल गुप्ता दाढी, भोला प्रसाद गुप्ता, विजय गुप्ता चुरहट,न पा अध्यक्ष चुरहट, अमलेश्वर चतुर्वेदी, विश्वबन्धुधर दुबे,शैलेन्द्र सिंह चौहान,राजेन्द्र सिंह भदौरिया,डाॅ लहरीस सिंह,मुकुटधारी सिंह चौहान,चन्द्रमोहन गुप्ता अधिबक्ता,मुनिराज विश्वकर्मा,धर्मेन्द्र सिंह परिहार,कमलेश्वर द्विवेदी पूर्व मंत्री,सुरेश प्रसाद पाण्डेय तथा के.पी.श्रीवास्तव , पार्षद विनोद मिश्रा आदि प्रमुख हैं।

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