दिल्ली(ईन्यूज़ एमपी)- दिवाली का त्योहार बड़ी धूम से मनाया जाता है. कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दीपावली यानी दिवाली का त्योहार मनाते हैं. मान्यता है कि भगवान राम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. इस खुशी में अयोध्यावासियों ने घर में घी के दिए जलाए थे और अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी. इसलिए दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पूजा का शुभ मुहूर्त- लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम 5:57 से 7:53 तक. प्रदोष काल: शाम 5:27 बजे से 8:06 बजे तक. वृषभ लग्न: 5:57 बजे से 7:53 बजे से तक. दिवाली पूजा विधि- - दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें. - इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें. - इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें. मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें. - मूर्ति में मां लक्ष्मी का आवाहन करें. हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं. - लक्ष्मी जी को वस्त्र अर्पित करें. वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं. - मां इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. - अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. - इसके बाद बेल पत्र और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें. - 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. - इसके बाद उन्हें भोग लगाएं. मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न- - महालक्ष्मी के महामंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: जपें. - कमलगट्टे की माला से कम से कम 108 बार इस मंत्र को जपें. - इस उपाय से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी|