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सीधी : चेहरे चर्चित चार - नेता अफसर विधिक पत्रकार ....

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 विश्वामित्र पाठक✍️
पूर्व विधायक

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सन 2008 के विधानसभा चुनाव में एक ऐसा नाम सबको चौका कर राजनीति की ऊंचे मंच पर खड़ा हो गया जिसकी शायद ही किसी को उम्मीद रही हो, वो नेता थे सिहावल से निर्वाचित विधायक विश्वामित्र पाठक आश्चर्य भी स्वाभाविक था क्योंकि उन्होंने जिनको चुनाव में हराया था वो प्रदेश के दिग्गज नेता स्वर्गीय इंदजीत कुमार थे जो लगातार 7 बार चुनाव जीत चुके थे, जो आज भी सीधी के किसी भी नेता के लिए रिकॉर्ड है, और विश्वामित्र पहली बार, वो भी टिकिट बहुत अंतिम समय मे बड़े नाटकीय ढंग से मिला था। सरकार भी प्रदेश में भाजपा की थी इस कारण पूरे 5 साल विश्वामित्र बड़े चर्चित नेताओ में थे, लेकिन अगले ही चुनाव में उनकी पहली विजय इत्तेफाक बन कर रह गई।


इनका जन्म 1954 में अपने ननिहाल रीवा पडरा में हुआ था, शिक्षा हायर सेकेंडरी की देवसर स्कूल से हुई1977 से 2005 तक लगातार आपने जियावन देवसर के सरपंच रहे, जो अपने आप मे बड़ी उपलब्धि है, इसके पहले इनके पिता श्री स्वर्गीय रामप्यारे पाठक जी 1962 से 1976 तक सरपंच थे। सन 2005 में जनपद सदस्य निर्वाचित हुए, और 2006 में निर्विरोध जनपद अध्यक्ष बने, और फिर 2008 में विधायक बने जिनका कार्यकाल 2013 तक था, भाजपा ने एकवार फिर प्रत्यासी बनाया किंतु 2013 में चुनाव हार गए , आखिरकार बेटा ने बाप का बदला चुकाया , और फिर 2018 में टिकिट न मिलने से पार्टी से नाराज हो कर निर्दलीय चुनाव लड़े और काफी सम्मानित वोट पाकर फिर से राजनीतिक पंडितों को अपने जनाधार का सबूत देने में सफल रहे, हालांकि अब अगला चुनाव बताएगा कि भाजपा को उन्होंने कितना प्रभावित किया है, या भाजपा ने उन्हें भुला दिया है।

पूर्व विधायक विश्वामित्र पाठक राजनीति में परिपक्व हो चुके हैं त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यावस्था मामले में वह मजे हुये खिलाड़ी हैं तभी तो 1962 से लेकर 2005 तक करीब 45 सालों तक एक ही घर में सरपंच की कुर्सी फेबीक्यू से चिपक सी गई थी , इतना ही नही त्रिस्तरीय पंचायती राज से अभी भी मोह भंग नही हुआ है बेटे अजय पाठक को विश्वामित्र ने सिंगरौली जिले का जिला पंचायत अध्यक्ष वनाने में बड़ी कामयाबी हांसिल की है , इस तरह से कामयाबी के किस्से भी अनंत हैं किंतु अंत में बीजेपी के छल का वह शिकार हो गये । वहरहाल अर्स से फर्स तक की राजनीति करने वाले विश्वामित्र पाठक आज भी शिवराज को ही अपना नेता मानते हैं ।


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👉 हिमांशु तिवारी✍️
इंजीनियर
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आज हम बात करेंगे सीधी जिले के एक ऐसे अफसर की जो हमेशा अपनी कार्यशैली से लोगों के दिलों में राज करते हैं, जिनका नाम है हिमांशु तिवारी। इनका जन्म 24 जनवरी 1975 को जबलपुर में हुआ। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 12वीं तक रायपुर में ग्रहण की। बाद में वे अपने गृह क्षेत्र रीवा आ गए। यहां आने के बाद वे रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल में बैचलर इन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद मास्टर डिग्री करने के लिए वे दिल्ली चले गए। दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में दाखिला लेने के बाद मास्टर इन इंजीनियरिंग पढ़ाई पूरी करके देहरादून चले गए। देहरादून से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्हें एमपी के छतरपुर में बतौर वाटरशेड कोऑर्डिनेटर के पद पर उन्हें नौकरी मिल गई।तिवारी जी को देहरादून में पढ़ाई के दौरान ही देहरादून की वादियों से एक लगाव सा हो गया था क्योंकि तिवारी जी प्रकृति प्रेमी है। फिर कुछ ही समय बाद तिवारी जी का उत्तराखंड जल विद्युत निगम में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर चयन हो गया। 2004 से 2009 तक उन्होंने उत्तराखंड सरकार में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर अपनी सेवाएं दी।
इसके बाद वे मध्यप्रदेश पीएससी की परीक्षा में शामिल हुए और 2010 में उनका चयन पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अंतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा(RES) में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर हो गया। मध्य प्रदेश आने के बाद उन्होंने ग्वालियर,दतिया,सतना जैसे कई जिलों में अपनी सेवाएं दी। 2018 में सूबे की सरकार बदली और उनका तबादला 2019 में सतना से सीधी बतौर मुख्य कार्यपालन यंत्री हो गया।

आप सभी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के बारे में तो जानते ही होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली चमचमाती डामरीकृत सड़क पीएमजीएसवाई के निर्देशन में बनती है। ठीक उसी प्रकार प्रदेश सरकार ने पहली दफा डामरीकृत सड़क बनाने की पहल उठाई। जिसकी जिम्मेदारी RES विभाग को सौंपी गई। RES विभाग में अब तक के कार्यकाल में डामरीकृत सड़कों का निर्माण कभी नहीं हुआ था। प्रदेश में सीधी एक ऐसा जिला था जहां यह पहला प्रयोग होने जा रहा था। दो दर्जन से ज्यादा सड़के स्वीकृत हो चुकी थी। चूँकि हिमांशु तिवारी जी विभाग प्रमुख थे इसलिए उनके पास डामरीकृत सड़क बनाना एक चुनौती थी। और तिवारी जी चुनौतियों से लड़ना अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने कार्य को प्रारंभ किया और जिले के अमहा से धनौर रेलवे गेट सड़क मार्ग को 3 महीने में पूर्ण कर तिवारी जी ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। वही उनके इस प्रयासों की चर्चा भोपाल स्तर तक विभाग प्रमुखों में होने लगी।

तिवारी जी विभाग के सभी कार्यों को अपने हाथों सिंचित कर रहे हैं और लगातार सभी कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। माइनिंग फंड की जूरी, टरका पुलिया, मनरेगा , पीएम आवास , गौशला निर्माण जैसे सभी कार्य की गुणवत्ता में सुधार के कार्य उनके द्वारा कराया जा रहा है। तिवारी जी का कार्य के प्रति समर्पण ऐसा है कि अन्य अधिकारियों की तुलना में वह दोगुनी मेहनत करने में बड़े माहिर अधिकारियों में से एक हैं। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी 2020 में उनका कार्य प्रशंसनीय रहा। जिला प्रशासन के निर्देशन में उन्हें जो भी कार्य सौंपा जाता था वह बखूबी से कार्य को पूरा किया करते थे। चाहे लोगों के लिए खाद्य की व्यवस्था करना हो चाहे प्रवासी श्रमिकों की सहायता, उनके ठहराव,भोजन आदि की व्यवस्था तिवारी जी बड़े ही तत्परता के साथ करते थे। वैश्विक महामारी कोरोना का दूसरा चरण भयावह था। जिला प्रशासन के लिए मुश्किल भरे दिन थे। उसी समय कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी ने तिवारी जी को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जो ऑक्सीजन सप्लाई मैनेजमेंट को लेकर थी। तिवारी जी ने उसे पूरी तन्मयता के साथ पूरा किया। प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में वर्तमान समय पर नरेगा अंतर्गत तालाब जीर्णोद्धार , जल सामवर्धन के कार्यों को प्राथमिकता से लिया जाकर श्रम नियोजन किया जा रहा है।

RES के कार्यपालन यंत्री हिमांशु तिवारी एक सरल सहज व प्रतिभा के धनी अधिकारी हैं ,आपमें हमेशा अपनी क्षमताओं से ऊपर उठकर कार्य करने की ललक होती है , माता पिताम्बर के भक्त हिमांशु विंध्य क्षेत्र के जातिवाद जैसे जादू से विरत हैं , वह हर तवके कमजोर से कमजोर व्यक्ति के उत्थान के लिये कृत संकल्पित रहते हैं , यही कारण है कि वह आज जिला प्रशासन के आईकान हैं वैश्विक आपदाकाल में दिनरात एक करके सतना , रीवा , सिंगरौली से आक्सीजन कलेक्ट कर मरीजों को प्राणवायु मुहैया करा रहे हैं ।


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👉 राजेन्द्र सिंह चौहान✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता
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विधिक क्षेत्र में एक ऐसी शख्सियत से वाकिफ करा रहा हूँ जो सीधी जिले के वकीलों में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं, ऐसे वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र सिंह चौहान का जन्म 01/01/1954 को सीधी मे हुआ था, आपने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा सीधी से ही हासिल किया है , आपने Bsc से स्नातक के बाद एम ए ( डबल) इतिहास व समाजशास्त्र से करने के बाद LLB संजय गांधी महाविद्यालय में करके वर्ष 1983 से जिला न्यायालय सीधी में वकालत की यात्रा प्रारम्भ कर वह अनवरत बढते क्रम में आज भी जारी है । जिला अधिवक्ता संघ के आप तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं उस दौर में अधिवक्ताओं के हित में आपके द्वारा कई कार्य किये गये हैं ।

वर्ष 2007 के दशक में तीसरी वार अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद श्री चौहान अपने शपथ ग्रहण समारोह में मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम बलराम जाखड़ को आमंत्रित किया था , जिला न्यायालय परिसर में आयोजित एक सादे समारोह में गरिमामयी ढंग से महामहीम राज्यपाल बलराम जाखड़ ने शपथ दिलाई थी , आप पहले अध्यक्ष हैं जिनको महामहिम राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाई गई थी । आप फौजदारी व एक्सीडेंट क्लेम के प्रकरणों में अच्छी पकड रखते हैं वहीं कुछ मामलों मे वगैर फीस के भी पैरवी करने से पीछे नही हटते राजेन्द्र सिंह चौहान का एक विशेष स्वभाव है कि आप जूनियर अधिवक्ताओं की जब जैसी अवश्यकता पडती है उनकी मदद मे पीछे नहीं हटते उनके साथ खड़े रहते हैं ।

एक जमाना था जब मध्यप्रदेश में जिला सरकार होती थी जिसके सदस्य गण एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि होते थे वह वक्त था जब एडवोकेट श्री चौहान वकालत के साथ जिला सरकार के सदस्य भी रहे हैं , इसके अलावा नगर पालिका परिषद सीधी में शिक्षा समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं आपकी रुचि खेलकूद में भी रही है हांकी फुटबॉल मे भी शौक था और छात्र जीवन में इन दोनों खेल विधाओं में विश्वविद्यालय स्तर तक भाग लेने में सफल रहे हैं । लेकिन सीधी की समा में ऐसे सम्मानित चेहरों को जो मुकाम हांसिल होना चाहिये वह नही नसीब हो सका । बहरहाल राजेन्द्र सिंह एक हाई प्रोफाइल वकील के साथ वकालत में अच्छा प्रभाव व तजुर्बा कृतित्व एवं व्यक्तित्व को वयां करता है ।


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👉 स्तुति मिश्र✍️
वरिष्ठ पत्रकार

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स्वानामधन्य व्यक्तित्व के धनी स्तुति मिश्र जिन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक छोटे से गांव आमडांड़ 44 से की जिनका जन्म 1जनवरी 1970 है जव वह प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तभी उनके पिता श्री का निधन हो गया । शिक्षा के क्षेत्र में वह एमए , एल एलबी के अलावा पत्रकारिता में ग्रेजुएशन डिग्री हांसिल की है । पढाई के साथ सीधी के कुछ निजी स्कूलों में वह टीचिंग भी करते रहे हैं , स्तुति का पत्रकारिता क्षेत्र में सन 2000 के दशक में उदयमान हुआ जो सीधी शहर के एक लोकल चैनल से श्री गणेण करके आज प्रसारभारती में रिपोर्टिंग कर रहे हैं ।

परोफकार सेवाभाव नित नये मित्र वनाने में महारत हांसिल स्तुति ने एक दशक पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खूब सोहरत हांसिल किया , जंहा से निकलों वहीं अभिवादन , पेड़ खम्भों का भी यसगान उनकी फितरत में शामिल था , यानी कि जनमानस में जानमाना चर्चित चेहरों में सुमार स्तुति ने खूब जलबे बिखेरे हैं । समय बदला बैनर भी बदला और 2006 से वह दूरदर्शन के लिये स्टिंगरसिप करने लगे तबसे वह दूरदर्शन में आज भी सरकारी गुणगान कर रहे हैं ।

स्तुति के हुनर की पहिया में यहीं से जंग की शुरुआत होती है , ऐसा भी नही कि अवसर नही मिले ...अच्छे अच्छे अवसर आये किंतु उनके हुनर के पहिये की अच्छे से सर्विसिंग नही हो पाई , इनमें प्रतिभा है , हुनर है और टूटीफूटी अंग्रेजी का भी ज्ञान है किंतु स्थायित्व का अभाव है । ब्यूरोक्रेट्स में इनकी अच्छी पकड़ है मित्रता के भाव हैं जिनका वह अक्सर गुणगान भी करते हैं फिर भी समय संयोग और भाग्य साथ नही दे रहा है । अगर स्तुति अपने सिध्दांत पर अडिग होते तो आज कंही और होते , सीधी की ममता और पारिवारिक समस्याएं उनकी प्रतिभा को सीधी में लाक कर दिया ।

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