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सीधी : चेहरे चर्चित चार -नेता अफसर विधिक पत्रकार ......

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।

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👉 श्रीमान सिंह ✍️
अध्यक्ष
जनपद पंचायत सिहावल

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सन 2005 जनवरी फरवरी का महीना था, जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव हो रहा था जिसमे जिले का एक तीस वर्षीय सबसे चर्चित युवा भी अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार था और लगभग सारी परिस्थितियां उसके पक्ष में हो चुकी थी, सिर्फ औपचीरकताओ का पूर्ण होना शेष था, लेकिन कुछ घंटे पहले पिता जी का आदेश होता है कि आपको इस निर्वाचन में दावेदारी वापस करनी होगी, और वह युवा परसुराम की तरह पित्र भक्ति दिखाते हुए अपनी प्रतिभा की बलि चुपचाप मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया।
वो युवा नेता है बर्तमान सिहावल जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमांन सिंह।
प्रदेश के दिग्गज नेता रहे स्व इंदजीत कुमार के तीसरे पुत्र श्री मांन सिंह का जन्म 5 नवंबर 1974 को सिहावल ब्लॉक के सुपेला में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में हुई, स्कूल की पढ़ाई जिला मुख्यालय सीधी से हुई।उच्च शिक्षा की पढ़ाई भोपाल से हुई।
पढ़ाई के समय ही श्रीमान सिंह का झुकाव जन सेवा की ओर था, पिता जी उस समय प्रदेश के कद्दावर नेता और दिग्गज मंत्री थे, इस नाते श्रीमान भी जनसेवा को जिम्मेवारी समझते हुए लगातार क्षेत्र में सक्रिय भी रहते थे।

और 25 वर्ष अवस्था मे पहला जिलापंचायत का चुनाव श्री मांन ने सन 2000 में लड़ा और प्रदेश में सर्वाधिक वोट से विजयी हुए, यही समय था जब श्रीमान का नाम जिला जवार में जन जन की जुबान तक पहुच गया। फिर दूसरी बार जिलापंचायत सदस्य भी बने, उन दिनों जिलापंचायत क्षेत्र आधे विधानसभा के बराबर होता था, और सीधी सिंगरौली एक ही जिला हुआ करता था, और फिर आया जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव, जिसमे जिला की अध्यक्ष पद भी पिछड़ा वर्ग आरक्षित थी, और सारे समीकरण में श्री मान फिट हो गए थे, लेकिन उनके पिता जी के सामने पार्टी हित का सवाल खड़ा कर दिया गया और तर्क था कि इस वक्त एक अन्य समाज के नेतृत्व को जोड़ना आवश्यक है, इस धर्मसंकट में स्व इन्द्रजीत कुमार ने बिना कुछ सोचे पार्टी हित चुना। लेकिन वो निर्णय वो त्याग कभी पार्टी हित में कभी नही आया। और जब जब भी सीधी के राजनीतिक इतिहास को लिखा जाएगा, तब तब ये राजनीतिक निर्णय सबसे प्रभावी घटनाक्रम के रूप में याद किया जाएगा।

फिर उसके बाद एकबार और श्रीमान सिंह जिलापंचायत सदस्य निर्वाचित हुए, इस तरह लगातार तीन बार, और अलग अलग क्षेत्रो से जिलापंचायत सदस्य रहते हुए जिला योजना समिति के सदस्य,एवम निर्माण कमेटी और कृषि स्थायी समिति के अध्यक्ष भी रहे। जिला पंचायत सदस्य रहते हुए जिले से संचालित होने वाले सारे विकाश कार्यो के माध्यम से क्षेत्र विकाश में भी काफी प्रशसनीय कार्य किये हैं। सन 2015 से सिहावल जनपद पंचायत के अध्यक्ष निर्वाचित होकर सतत जन सेवा में सक्रिय रहते है। और आज के समय जब कोरोना महामारी का दौर चल रहा है तब इस समय इनके मार्गदर्शन में इनकी पूरी पंचायत स्तर तक टीम बड़े ही सेवा भाव से जन जन तक मदद में खड़ी दिख रही है, श्रीमान कि जिम्मेवारी भी आज ज्यादा और इसलिए हो जाती है कि गृह विधानसभा के विधायक भी इनके बड़े भाई श्री कमलेश्वर पटेल है, और पूरे क्षेत्र के जनता को ये अपना परिवार जैसा ही मानते है, इस तरह जनसेवा की जो गति शुरू हुई थी, वो आज भी निरंतर जारी है। श्रीमान की अपनी एक सुग्रीव सदभावना समिति नामक संस्था है जिसमे लगभग दो दसक से खेल में कबड्डी, बालीबाल, एवम साहित्य में कवि सम्मेलन अखिलभारतीय स्तर के लगातार आयोजन होते आ रहे है।
कुछ क्षेत्रीय स्तर के भी कार्यक्रम जैसे शहीद सुधाकर सिंह क्रिकेट टूर्नामेंट, और शिक्षक सम्मान समारोह भी हर वर्ष भव्यता से संस्था के माध्यम से श्रीमान आयोजित करते है।

पार्टी संगठन में श्रीमान छात्र संगठन, युवा कांग्रेस पदाधिकारी रहते हुए 2003 में सिहावल कॉलेज के जनभागीदारी अध्यक्ष भी बने, बर्तमान में जिला महामंत्री के पद पर हैं।
श्रीमान उस राजनीतिक घराने से है जहां का हर वर्ग में अच्छा समर्थन है,
और संस्कार और मिलनसारिता में तो लोग स्व इंद्रजीत कुमार की छवि श्रीमान में देखते है। अंत मे मैं तो ये कहूंगा श्रीमान सिंह जिले के इकलौते ऐसे नेता है, जिनके सामने परिस्थिति और चुनौती चाहे जैसी रही हो पर चेहरे के भाव हमेशा एक समान रहता है, मुस्कुराता, हँसता हुआ, कोई ऐसा पैमाना नही जो उनके अंतः तक झांक सके।


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👉आशुतोष तिवारी✍️
फूड आफीसर

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छात्र नेताओं को अपने जुनून का बोध अचानक से होता है और यह उनका सारा जीवन बदल देता है। जब उनको यह मालूम होता है तो उनके अंदर सामाजिक कार्य करने की वो चिंगारी जन्म लेती है जो कि बुरे समय में भी उनको संघर्षरत रहने में मदद करती है। और वह जुनून हमेशा के लिये अमिट रहता है , जी हां हम बात कर रहे हैं फूड आफीसर आशुतोष तिवारी की जिनका जन्म 15.7.1960 को रीवा जिले के डेल्ही स्थित तिवारी परिवार में हुआ है , शोषालाजी और जाग्रफी से एमए और एलएलवी की पढाई टीआरएस कालेज रीवा से करने के उपरांत श्री तिवारी ने 1988 तक रीवा की छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं ।


फूड ऑफिसर श्री तिवारी जनवरी 1989 में फूड इंस्पेक्टर के पद पर चयनित हो गए जिन की पहली पदस्थापना संस्कारधानी जबलपुर में हुई थी , मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सेवाएं देने के उपरांत श्री तिवारी जुलाई 2017 से निरंतर सीधी जिले में बतौर फूड ऑफिसर के पद पर पदस्थ हैं । वर्तमान समय पर वह राजपत्रित अधिकारी संघ के सम्भागीय अध्यक्ष हैं , अधिकारियों के नेताओं में सुमार आशुतोष वर्तमान समय पर सीधी जिले के सपाक्स अधिकारी कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष भी हैं । इसके पहले भी वह मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री भी रहे हैं साथ ही अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के कार्यकारिणी कमेटी के नेश्नल मेम्बर रहे हैं जो समूचे मध्यप्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों के हितों की आवाज राष्ट्रीय स्तर पर बुलंद करते थे, वह अधिकारी संघ के 2006 से 2014 तक प्रांताध्यक्ष भी रहे हैं ।

उल्लेखनीय है कि फूड ऑफिसर आशुतोष तिवारी के पिता श्री शीतला प्रसाद तिवारी रीवा जिले में लंबे समय तक कर्मचारी नेता रहे हैं वह एक वक्त था जब कर्मचारी नेता शीतला प्रसाद तिवारी रीवा की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी व श्रीयुत श्री निवास तिवारी के काफी करीब व विश्वसनीय हुआ करते थे । फूड ऑफिसर श्री तिवारी शासकीय सेवा के पहले 1988 तक अपने पिता श्री के संरक्षण में रीवा की राजनीति में खूब धमाल मचाया करते थे , एक जमाना था जब रीवा एक सियासत का अखाड़ा हुआ करता था तब छात्रजीवन में वतौर छात्रनेता श्री तिवारी एक वहुचर्चित तथाकथित ठिकाना को ठिकाने लगाकर छात्रों व शोषितों की आवाज को बलंद करने में अपनी महती भूमिका अदा करते थे । वहरहाल यह तो अतीत की बाते हुई वह आज एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका में हैं , शासन प्रशासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में व्यस्त हैं , वैश्विक आपदाकाल कोरोना महामारी में तन्मयता के साथ अन्नदाता की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं । अंत में इतना जरूर कंहूगा कि " लगी वान छूटै नही " आने वाला वक्त एक वार फिर यौवन को तरोताजा करेगा ऐसा संकेत है ...?



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👉श्रीरमा मिश्र✍️
एडवोकेट
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मेहनत और परिश्रम से इंसान इस दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकता है अगर वो ठान ले तो सब सम्भव है , असम्भव को सम्भव में परिणित करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीरमा मिश्र की कहानी भी बड़ी रोचक और अजब गजब सी है , जन्म 01/12/1960 मे ग्राम बढौरा के एक साधारण परिवार में हुआ था इनकी प्रारंभिक शिक्षा हायर सेकण्डी स्कूल सेमरिया मे हुई, BSC वाटनी व LLB सीधी महाविद्यालय से किया कालेज के छात्र जीवन में वर्ष 1980 के दशक में छात्र राजनीति में काफी चर्चित रहे वर्तमान विधायक केदारनाथ शुक्ल जी के साथ सक्रिय रहे और उनके साथ 15 दिन तक रीवा केन्द्रीय जेल में बंदी रहे , जेल यात्रा के उपरांत आप केदारनाथ जी के साथ उनके राजनीतिक यात्रा के सहभागी बन कर रहे हैं । तथा गोपद बनास विधानसभा के चुनाव में इलेक्शन एजेंट भी रहे हैं तथा विधायक जी के साथ तमाम राजनैतिक गतिविधियों में कदम से कदम मिलाकर चलते रहे पहली बार के विधायक बनने के पर आपने माननीय जी के साथ विधानसभा की समिति के दौरे में साथ रहकर यू पी, बिहार, उडीसा, पश्चिम बंगाल की यात्रा भी किया था, श्रीरमा केदारनाथ शुक्ल जी के साथ लक्ष्मण की जोड़ी बनकर रहे किन्तु यह जोड़ी कैसे विलग हुई इसे दोनों लोग नहीं जानते ।

बहरहाल श्रीरमा जी एक नयी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2000 में काग्रेस पार्टी की सदस्यता अजय सिंह राहुल व स्वर्गीय इंद्रजीत कुमार जी के पाले मे जा पहुंचे, वर्ष 2004 से 2006 तक शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक 1 मे पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रहे हैं वहीं काग्रेस पार्टी के विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व वर्तमान में पार्टी के महामंत्री के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं आप वर्ष 2087 मे वकालत पेशा में केदारनाथ शुक्ल जी के जूनियर के रूप में शुरू किया था,आपने तमाम समस्याओं का सामना करते हुए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिक्षा दिलाने में सफल रहे सभी बालक आज अपने पैरों पर खड़े है श्रीरमा जी खुशहाल जीवन जी रहे हैं, कुल मिलाकर रमा जी हृदय के साफ राग द्वेष से अलग, सब लोगों के साथ सौहार्द व्यवहार उनकी पहचान है।

आर्थिक समस्याओं से ग्रसित रमा ने जीवन भर संघर्ष व कड़ी मेहनत करके परिवार की परिवरिश करके बच्चों को सही मुकाम तक पंहुचाने में कामयाबी हांसिल की है , वकालत उनका मूल पेशा रहा है जो हमेशा संघर्ष करकेझं आज सुखद महसूस कर रहे हैं , रमा राजनीति , धर्म , शिक्षा संस्कार ़ धर्मकर्म में हमेशा आग्रणी रहे हैं , उनका मानना है कि ये संस्कार मुझे केदार भैया के साथ कारण हासिल हुआ है!



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👉 राजकुमार पटेल✍️
वरिष्ठ पत्रकार

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राजकुमार पटेल का जन्म नवंबर 1983 में सिहावल क्षेत्र के सिकरिया गाँव मे हुआ था , राजकुमार की प्रारंभिक शिक्षा गांव सिहावल से हुई, और कॉलेज की पढ़ाई बी, ए, और एलएलबी की पढ़ाई सीधी से।
राजकुमार सीधी के ऐसे पत्रकार है जो लगभग अभी तक के सबसे अधिक डिग्रीधारी पत्रकार है जिनके पास एमएसडब्ल्यू,बीजेएमसी,पीजीडीसीए, एमफिल , के अभी तक प्रमाण पत्र इनके झोली में आ चुके है और अभी इनकी पढ़ाई भी जारी है जिसमे राजकुमार शोशलवर्क से पीएचडी कर रहे हैं।

पत्रकारिता की शुरुआत 2005 में दैनिक जागरण अखबार से हुई जिसमे 2006 से 07 तक आंचलिक पत्रकार के रूप में भी कार्य किया। और फिर नवभारत नव स्वदेश, के साथ राजधानी से प्रकाशित होने वाली पत्रिका आंखे में भी कार्य किया है ,
समय चक्र के साथ राजकुमार की योयता और अनुभव में निखार आया तब राजकुमार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ओर अपना रुख मोड़ लिया और सहारा समाचार का सहारा लेते हुए 2008 में श्योपुर से टीवी चैनल ज्वाइन कर लिया।

बाद में 2010 में राजकुमार रीवा संभाग में स्थानातरित हो गए, और ये सफर 2016 तक अनवरत जारी रहा।
राजकुमार 2010 पत्रकारिता में एक बड़ी उपलपब्धि तब मिली जब वो देश विदेश की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी एन आई ने इनको संभागीय रिपोर्टर बना दिया। फिर तो इसके बाद राजकुमार ने खबर 24, इंडिया डॉट कॉम,मध्यप्रदेश पंचायका, दूरदर्शन, और सहारा समय जैसे बड़े समाचार संस्थाओं से लगातार जुड़ कर आज भी अपने जिले की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसके अलावा राजकुमार को समाजसेवा में भी काफी गहरा लगाव है, जिसके राजकुमार ने कई समाज सेवी संस्थाओं से जुड़ कर मास्टर ट्रेनर के रूप में भी कार्य किया है, जैसे डिजिटल एम्पावरमेंट, फाउंडेशन दिल्ली की संस्था और विंध्य ग्रुप टेक्नोलॉजी रीवा के साथ मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकाश पाठ्यक्रम सिहावल में संचालित अध्ययन केंद्र में 2015 से 19 तक परामर्श दाता के रूप कार्य किया है।
राजकुमार लोककला को भी आगे लाने के लिए हर वर्ष एक महोत्सव भी आयोजित करते है। राजकुमार एक पत्रकार के सांथ सामाजिक सुधार के कार्य , जनजागरूकता और जन सेवा में भी सतत प्रयत्नशील रहते है ।

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