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सीधी : चेहरे चर्चित चार -नेता अफसर विधिक पत्रकार ...

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 रुद्रप्रताप सिंह बाबा✍️
अध्यक्ष
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आज चर्चा जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रुद्रप्रताप सिंह बाबा की,इनका जन्म दिसंबर 1952 में सीधी में हुआ, और शिक्षा दीक्षा सीधी में ही स्नातक तक की हुई। पढ़ाई के बाद बाबा को सहकारिता विभाग में नौकरी मिल गई, लेकिन वह उनको रास नही आया, क्योंकि स्वभाव में नेता का रंग था, अतः इसके बाद उन्होंने राजनीति के गलियारे में आना जाना शुरू कर दिया, और जीवन सुगमता से चले इसके लिए ठेकेदारी भी शुरू कर दी।
इसी समय इनका संपर्क हुआ पूर्व सांसद मोतीलाल सिंह से और उनके चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, और मत गणना से समय मुलाकात हो गई नेता अजय सिंह राहुल भैया से, और उसी समय अजय सिंह की राजनीति परवान चढ़ रही थी, उन्हें भी तलाश थी कुछ ऐसे प्रोग्रामरों की जो लंबे समय तक उनके साथ चलें, बस क्या था सारे पैमाने पर फिट बाबा को भी अजय सिंह की निकटता मिल गई।

और फिर पार्टी के जिले में हर गतिविधि में बाबा का बडा प्रभावशाली दखल होने लगा, जिससे प्रभावित स्व अर्जुन सिंह जी भी होते थे, समय के सांथ बाबा ने अपने कार्यों से उन पर भी विश्वाश जमा लिया। बाबा उस दौर को याद करते हुए एक दो घटना क्रम के बारे में बताते है कि जिलापंचायत अध्यक्ष मधु शर्मा की कुर्सी जब दांव पर लगी थी तब उनको ही इस संकट से निकलने की रणनीति बनाने की जिम्मेवारी थी, जिसमे वो पूर्ण सफल रहे। दूसरी घटना दिल्ली की थी, जब सीधी से तिलकराज सिंह बरका तिवारी काँग्रेस से जीत कर संसद बने थे, और अटल बिहारी बाजपेयी जी की तेरह महीने की सरकार थी, तब देश के एक बड़े नेता द्वारा तिलकराज को बहुमत के लिए तरह तरह का प्रलोभन दिया जा रहा था, लेकिन तिलक राज ने अर्जुन सिंह जी की मर्यादा के प्रति ईमानदारी से तटस्थ थे, लेकिन सुरक्षा और निगरानी की भी जरूरत थी तब बाबा को अर्जुन सिंह जी ने सौप कर उनका ख्याल रखने को कहा जो दिल्ली जैसे शहर में चुनौती थी, उस वक्त तिलकराज सिंह और बाबा एक साथ चौदह दिनों तक एक ही होटल में रहे।

बाबा की पार्टी में शुरुआत संगठन ब्लॉक अध्यक्ष , फिर जिला महामंत्री, प्रवक्ता, और उपाध्यक्ष भी रहे।
इसी बीच नगरपालिका उपाध्यक्ष भी रहे। काफी लंबे अरसे बाद और प्रभावशाली होने के बाबजूद 2017 में बाबा रुद्रप्रताप सिंह काँग्रेस के जिलाध्यक्ष बने, जिसका कार्यकाल अभी भी प्रभावी है। लेकिन इस बीच लगातार काफी सीनियर को पार्टी ने तब अध्यक्ष बनाया जब उनका शरीर और स्वास्थ्य उस संघर्ष के लिए उतना फिट नही रहता, अतः बाबा की अध्यक्षी ने एक बहस भी छेड़ दी है कि अब अध्यक्ष युवा ही बनाया जाये लेकिन बाबा अध्यक्षी के पहले जितना महत्वपूर्ण थे, उतना हि अध्यक्षी के बाद भी महत्वपूर्ण रहेंगे, क्यूंकी बाबा जैसा मास्टर प्लानर पार्टी को अभी तक नहीं मिला है।

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👉संतोष शुक्ल✍️
रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर
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एक ऐसा अधिकारी जिसके अंदर ब्यूरोक्रेसी और नेतागीरी दोनों का स्वरूप दिखता है। जी हां हम बात कर रहे हैं रिटायर्ड अधिकारी संतोष शुक्ला की। शुक्ला जी का जन्म 7 फरवरी 1957 को रीवा जिले में हुआ। उनकी शिक्षा दीक्षा रीवा में ही हुई। उन्होंने रीवा टीआरएस कॉलेज से MA और LLB किया है। राजनेता के गोद में पले बढे डिप्टी डायरेक्टर संतोष शुक्ला का छात्र जीवन से ही राजनीति से प्रेम था। इनके पिता पंडित केशव प्रसाद शुक्ला राज्यसभा सांसद रहे हैं, पिताजी के राज्यसभा सांसद कार्यकाल के दौरान संतोष शुक्ला 1980 में टीआरएस कॉलेज रीवा के वाइस प्रेसिडेंट रहे हैं। छात्र जीवन से ही छात्र राजनीति करने वाले डिप्टी डायरेक्टर संतोष शुक्ला अधिकारी कम नेताओं के गुण ज्यादा रहे हैं ।

राजनीतिक पृष्ठभूमि पूर्व से होने के नाते संतोष शुक्ला के नस नस में नेतागिरी सवार थी। वह अधिकारी कम नेता ज्यादा थे राजनेताओं के गोद में खेलने वाले शुक्ला जी 1980 में पहली बार सामाजिक न्याय विभाग के छतरपुर में प्रोविजन अवसर पर पदस्थ हुए। इसके बाद 1981 में वह शहडोल आ गए। फिर 1997 में पदोन्नत उपरांत छतरपुर में संप्रेषण गृह अधीक्षक बनाए गए। 2003 में डिप्टी डायरेक्टर मंदसौर बना दिए गए। बाद में उनका तबादला 2004 में पन्ना कर दिया गया। 2006 में उन्हें शहडोल भेज दिया गया। इसके कुछ ही समय बाद उनका तबादला जुलाई 2007 में सीधी कर दिया गया जहां वे डिप्टी डायरेक्टर सामाजिक न्याय विभाग रहे। सीधी में लंबी पारी खेलने के बाद फिर एक बार फिर से 2012 में सीधी से शहडोल के लिए स्थानांतरण कर दिया गया लेकिन कुछ ही समय बाद फिर शहडोल से सीधी पुनः वापस आ गए और 2017 में सेवानिवृत्त हो गए।

सीधी के तत्कालीन कलेक्टर केदार शर्मा के कार्यकाल में बतौर उपसंचालक सामाजिक न्याय संतोष शुक्ला द्वारा विभिन्न विकास कार्यों को गति पहुंचाई गई है। उसी समय संतोष शुक्ला महिला बाल विकास विभाग के अतिरिक्त जिला कार्यक्रम अधिकारी भी रहे हैं। सामाजिक न्याय विभाग के उपसंचालक रहे संतोष शुक्ला ने दिव्यांगों के उत्थान के लिए विभिन्न हितलाभ से लाभान्वित किया गया है। निःशक्तों को, श्रव्य ध्वनि उपकरण, ट्राईसाईकिल इत्यादि जैसी उपकरण मुहैया कराए हैं । जटिल से जटिल कार्यों के त्वरित निराकरण के मामले में संतोष शुक्ला बड़े माहिर हैं किंतु नेताओं का आभामंडल उनके सिद्धांत के विपरीत है। शुक्ला जी की राजनीतिक महत्वकांक्षी ऐसी थी कि वे जैसे ही अपने अफसरी से सेवानिवृत्त हुए ठीक उसके कुछ समय बाद ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के हाथों कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। अब उनकी आगे की क्या राजनैतिक महत्वाकांक्षा रहेगी आने वाला वक्त ही तय करेगा।


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👉लक्ष्मण प्रसाद द्विवेदी✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता

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विधि व्यवसाय में स्थापित होने के लिए काफी संघर्ष करने के बाद आज एक सफल वकील के रूप में पहचाने जाने वाले एडवोकेट लक्ष्मण प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 10 नबम्बर 1963 को फुलवारी गाँव में हुआ था, आप MAऔर LLB की पढ़ाई संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से करने के बाद वर्ष 1989 मे जिला न्यायालय सीधी मे वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीभान शर्मा जी के संरक्षण में श्रीगणेश किया तथा काफी लगन व परिश्रम के फलस्वरूप आप दीवानी मामलों में एक अच्छे वकील के रूप में जाने जाते हैं!


वकालत पेशा के साथ साथ गृहस्थ जीवन में पुरोहित व जजमानी भी देखते रहते हैं, कुछ समय के लिए श्री द्विवेदी जी भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय होकर वहाँ जिला उपाध्यक्ष के दायित्व को संभाला था उसी बीच विधानसभा चुनाव में सिहावल विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक जी के निर्वाचन अभिकर्ता व सेक्टर प्रभारी भी रहे हैं इसके बाद बहुत जल्द ही इन्हें पार्टी से मोहभंग हुआ अब वे पूरी तरह से वकालत पेशा तक सीमित है । वर्ष 2005 मे जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रह चुके श्री एल पी द्विवेदी आज भी अपना आदर्श श्री भानु शर्मा जी को मानते हुए बताते हैं कि उन्ही के कारण आज सिविल के प्रकरणों को देखता लडता हूँ, कुल मिलाकर श्री द्विवेदी जी मिलनसार, सहज व्यक्तित्व वाले परंतु जिद्दी स्वभाव के कारण खट्टे मिठ्ठे का अनुभव होना लाजिमी है ।


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👉 रमाराम पाण्डेय ✍️
वरिष्ठ पत्रकार
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51 वर्षीय रमाराम पांडे का जन्म 3 जुलाई 1970 को सीधी जिले के बहरी क्षेत्र में हुआ। रमाराम की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा सीधी जिले में ही हुई।
रमाराम को व्यवसाय में रुचि थी इस वजह से वे व्यवसाय में अपना हाथ आजमाने लगे जिस वजह से आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और हायर सेकेंडरी तक ही सीमित रह गए।


1985 से लगातार 1993 तक वे सीधी जिले के बहरी में छोटा-मोटा व्यापार करते रहे और बाद में उन्हे 1994 मे पत्रकारिता की चुलुक लगी और आंचलिक पत्रकारिता से उन्होंने शुरुआत किया । विभिन्न समाचार पत्रों के मार्फत दौरान उन्होंने पत्रकारिता में अपना मुकाम हांसिल कर 2006 में सहायक जिला प्रतिनिधि सीधी के तौर पर दैनिक जागरण में कार्य किया। 2007 से राज एक्सप्रेस में 2011 तक सिंगरौली जिले में मार्केटिंग विज्ञापन का कार्य करने के बाद 2011 से 2020 तक सीधी ब्यूरोचीफ के तौर पर कार्य किया और अब वह वर्तमान में मारुती एक्सप्रेस समाचार पत्र में कार्यरत हैं । रमाराम एक अच्छे कलाकार भी हैं वह संगीत प्रेमी है तथा रामायण गायक के अलावा रामलीला मण्डली के भी पात्र हैं । वह हंसमुख मिलनसार व्यक्तित्व के धनी है और खानपान के अच्छे प्रेमी भी हैं ।

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