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Home सीधी दर्पण सोननदी में फलफूल रहा अबैध कारोवार , कथरी ओढकर घी पी रहे थानेदार...?

सोननदी में फलफूल रहा अबैध कारोवार , कथरी ओढकर घी पी रहे थानेदार...?

सीधी (ईन्यूज एमपी)- कहते हैं चोर चोरी से जाए पर हेरा फेरी से न जाए यही हाल इन दिनों सोन तट की तकवारी में लगे थानेदारों का है, जी हां भले ही रेत का खनन और परिवहन राजस्व एवं खनिज अमले के अधिकार क्षेत्र का मामला है लेकिन सीधी जिले में रेत की दलाली के लिए खाखी बेहद बदनाम है और यह बदनामी कई बार जग जाहिर होकर जिले से लेकर प्रदेश तक हुई है बावजूद इसके इसमें सुधार के आसार नहीं दिख रहे हैं।

बता दें कि सीधी जिले में वकायदे रेत के ठेकेदार और घाट निर्धारित है जोकि रेत निकासी के लिए अधिकृत हैं, किंतु अपनी पुरानी आदत से मजबूर रेत माफिया सोन घड़ियाल के लिए संरक्षित सोन नदी से निकासी से खुद को रोक ही नहीं पा रहे हैं, और लगातार चोरी छुपे सोन नदी से रेत निकासी में लगे हुए हैं । गौरतलब है कि वर्तमान समय घडियालो के प्रजनन का है और सोन नदी रेत निकासी के लिए प्रतिबंधित है लेकिन कुछ चिन्हित चेहरों के संरक्षण मे अपनी काली कमाई को जारी रखे हुए हैं , और इस सब में कहीं ना कहीं तट के किनारे स्थित थानों के थानेदारो की सहभागिता आमजन के चर्चा से होकर सभी तक पहुंच रही है बावजूद इसके इन पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

सीधी जिले से रेत की अवैध निकासी का अटूट नाता है,शासन प्रशासन किसी का भी रहा हो, चाहे डीएम कोई आए चाहे पुलिस अधीक्षक कितने भी सख्त रहे हो लेकिन रेत का खेल बदस्तूर जारी रहा कई बार कई जनप्रतिनिधियों द्वारा थी रेत की अवैध निकासी या रेत की नीति को लेकर खुले मंच से विरोध जताया गया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात साबित हुआ । सोन नदी को छलनी करने वाले रेत माफियाओं को खाकी और खादीधारी का संरक्षण हैं यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा । जिले के पूर्व से पश्चिम सीमावर्ती भूभाग से प्रवाहित होने वाली सोननदी के अस्तित्व को बंचाने की आवश्यकता है ... सोनघड़ियाल के अंडों को संरक्षित करने की आवश्यकता है ...? अन्यथा मई व जून में घड़ियालों के प्रजनन नाकाम सावित होंगें ।
समझा जाता है कि सोनघड़ियाल के अस्तित्व व रेत पर अंकुश के लिये राजस्व , खनिज , पुलिस , वन और सोनघड़ियाल अभ्यरण्य की स्पष्ट जबाबदेही है , विधिवत टास्कफोर्स समिति गठित है ... लेकिन कार्यवाही के नाम पर सबकुछ ठनठन गोपाल है । देखना होगा कि जिले के जिम्मेदार आला अधिकारी घड़ियालों के अस्तित्व को बंचाने में कितना कामयाब होते हैं ।

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