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विंध्य क्षेत्र से बीजेपी के दो बड़े नेताओं की उपेक्षा , 2023 के चुनाव में नौ दो ग्यारह के आसार ...

विंध्य क्षेत्र में बीजेपी के दो कद्दावर नेता विधायक केदारनाथ शुक्ल और राजेन्द्र शुक्ल की उपेक्षा का परिणाम निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सामने है , बीजेपी की जातीय व गुटीय राजनीति इन दिनों विंध्य में दिनो दिन शिकार हो रही है , सत्ता व संगठन द्वारा रीवा सीधी में बोये गये बीज की फंसले अब गंलेथ में है हलुकन बीज की हाल ही में कटाई भी हो चुकी है , और हाईब्रीड गंलेथ में है जो 2023 में पककर तैयार होगी , फंसल काटेगा कौन कांग्रेस या भाजपा सब्र करना होगा । लेकिन यह सच है कि भाजपा द्वारा अगड़ा पिछड़ा का बोया गया बीज , एक खास तबके को आपस में लड़ाना , अपनी डफली अपनी राग अलापना , शोषल मीडिया में पिक्चर वायरल कर झूंठी पीठ थपथपाना जैसे तमाम तथ्य हानिकारक सावित हो रहे हैं ।
कारण कि जनपद पंचायत रामपुरनैकिन , सिहावल , मझौली , कुशमी के अध्यक्ष का चुनाव परिणाम कांग्रेस की झोली में जाना बीजेपी की गुटवाजी का परिणाम रहा है । रही बात सीधी जनपद पंचायत की जंहा पंजाछाप भाजपाइयों और कांग्रेस के अथक विरोध के वावजूद भी बीजेपी के विधायक केदारनाथ शुकल धर्मेन्द्र सिंह परिहार को अध्यक्ष वनाने में कामयाब रहे हैं । अगर यूं कंहूं कि जिले में बीजेपी और कांग्रेस एक तरफ और केदारनाथ शुक्ल एक तरफ ...अतिशयोक्ति नही होगा ।

सीधी जनपद पंचायत चुनाव परिणाम के उपरांत जनश्रुति है कि सीधी में वाकई भाजपा का अगर कोई दमदार नेता है...तो केवल और केवल पंडित केदारनाथ ... जी हां एक ओर जंहा जिला भाजपा मय है, दो - दो सांसद , भाजपा के तीन-तीन विधायक , भाजपा की लंबी चौड़ी टीम , भाजपा के बड़े बड़े वादे .... लेकिन परिणाम चारो ओर कांग्रेस ही कांग्रेस.....? आखिर यह क्या है ...?

वर्तमान परिवेश और घटनाओं पर गौर करें तो कांग्रेस पार्टी का रुआब और प्रभाव फिर से लौट आया है पंचायत एवं निकाय चुनावों के नतीजे चीख चीखकर बयां कर रहे है कि कांग्रेस का पलड़ा भारी है, 5 जनपदों में से 4 में कांग्रेस के अध्यक्ष उपाध्यक्ष आसीन हो गए हैं, एकमात्र सीधी में जद्दोजहद के बाद भाजपा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं और उपाध्यक्ष फिर कांग्रेस का ही है। इन तमाम बातों को देखा जाए तो कांग्रेस का जनाधार बढ़ रहा है और यह जनाधार केवल कांग्रेस के प्रयास का ही फल नहीं है देखा जाए तो पंजा छाप भाजपाइयों का भी इसमें बेहद योगदान है।

जिले की हाई प्रोफाइल जनपद पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का फैंसला दो दिनों पूर्व हो चुका है लेकिन इस कुर्सी के लिए एक ओर कांग्रेस के सभी दिग्गज और पूरी पार्टी प्रयासरत थी तो दूजे भाजपा के केदार शुक्ला....
जी हां वर्तमान निर्वाचित हुए अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह परिहार बेशक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं पदाधिकारी भी हैं जो वाखूवी दायित्वों का निर्वहन भी करते आ रहे हैं लेकिन उनका नाम केवल केदार नाथ शुक्ला से ही जोड़ कर देखा जा रहा है यह कहीं सुनने को नहीं मिला कि भाजपा के प्रत्याशी ने जनपद की कुर्सी हासिल की है । महज परिहार और केदार ही चर्चा में रहे हैं और केदारनाथ शुक्ला ने यह साबित भी कर दिया कि सीधी में भाजपा मतलब केदार और केदार ... वह दमदार नेता है जो जातिपाँति से मुक्त होकर अपने समर्थकों के लिए जी जान से जूटे रहते हैं। धर्मेंद्र परिहार के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद केदार के भावुक शब्द यह बयां करते हैं कि इस चुनाव में क्या-क्या दांव लगे थे और परिहार पर केदार का भरोसा अटल है लोग जो भी कहें लेकिन सीधी विधायक ने जिले में भाजपा की लाज रख ली नहीं तो पदाधिकारी बहुत है और बयान भी बहुत हैं लेकिन भाजपा को बांटने वाले जी जान से लगे हैं यहां दलगत राजनीति ना होकर वर्ग वाद की राजनीति हावी है ।

वर्तमान में भाजपा में यही वर्ग बाद और गुटबाजी हावी है जिसकी हवा अब राजधानी तक भी पहुंच चुकी है और सूत्रों की माने तो राजधानी से विचार विमर्श किए जा रहे हैं और जिम्मेदारों एवं पार्टी के गद्दारों पर कार्यवाही की तलवार भी चलने वाली है एक ही दल में रहकर अपने ही दल को दलदल बनाने वाले लोगों के साथ पार्टी क्या करती है यह देखने वाली बात है लेकिन जल्द ही परिवर्तन देखने को मिलेगा और यह परिवर्तन जरूरी भी है क्योंकि यह चुनाव सिंबल रहित रहा है फिर भी सबको पता है कौन किस दल से है और किसकी वफादारी किसके प्रति है लेकिन वर्तमान में भाजपा की जिले में जो स्थिति है कहीं ना कहीं उसकी जवाबदेही संगठन, पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की है जो धीरे-धीरे अब जनता के बीच से अपनी साख खोते जा रहे हैं। एनकेन प्रकारेण रीवा और सीधी में अगर इसी तरह की गुटीय राजनीति कायम रही ... खास तबके के दोनो नेताओं केदारनाथ शुक्ल और राजेन्द्र शुक्ल का अपमान होता रहा तो वह दिन दूर नही जब विंध्य से बीजेपी नौ दो ग्यारह हो जायेगी ।

सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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