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सीधी-सीधी-10 माह से वेतन की आस में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ कुक एवम कुक हेल्पर की वेतन के पड़े लाले...

सीधी (ईन्यूज एमपी)- जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बे पटरी पर है इस बात से तो लगभग सभी अवगत है साथ ही बात करें स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के साथ-साथ यहां प्रशासनिक व्यवस्था कि तो वह भी काफी लचर है, चाहे जिला चिकित्सालय की बात हो या फिर मैदानी अमले की हर जगह अव्यवस्था का आलम है। जिला चिकित्सालय में जहां दवाई बांटने वाले जिम्मेदार नदारद रहते हैं, उनकी जगह स्टाफ नर्सो से दवा बटवाई जाती है, तो वही मैदानी अमले में तैनात कर्मचारियों को साल भर से वेतन ही नहीं मिला है, जिम्मेदार अपने अधिकारों की पूर्ति कर अधीनस्थों को नजरअंदाज करते देखे जा रहे हैं ऐसा ही मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिहावल अंतर्गत सामने आया है जहां पर तैनात कर्मचारियों को करीब 10 माह से वेतन तक नसीब नहीं हो रहा है।


जी हां बता दे कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिहावल अंतर्गत कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ कर्मचारियों को विगत 10 माह से वेतन की जगह आश्वासन का झुनझुना पकड़ा या जा रहा है उनसे बराबर काम लिया जा रहा है और जब बात वेतन की आती है तो कहीं बजट का रोना रोया जाता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिहावल अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहरी, नकझर, अमरपुर अमिलिया बिठौली एवं सिहावल में प्रसव हेतु आने वाली महिलाओं को भोजन एवं चाय नाश्ता बांटने के लिए रोगी कल्याण से भर्ती हुए कुक एवं कुक हेल्पर की पदस्थापना की गई है, लेकिन इन कर्मचारियों को विगत 10 माह से वेतन नहीं मिला है करीब दर्जनभर ऐसे कर्मचारी वेतन की आस में टकटकी लगाए हुए हैं और जब भी उनके द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात की जाती है तो बजट का रोना रोया जाता है और कहा जाता है कि शासन से अभी बजट प्राप्त नहीं हुआ है जब आ जाएगा तब आपको भुगतान किया जाएगा इस समस्या को लेकर इन कर्मचारियों द्वारा कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को भी सूचित किया गया लेकिन नतीजा कुछ नया नहीं निकला।

इन तमाम बातों से त्रस्त कर्मचारी के पास ना तो खुलकर बोलने का अधिकार है नाही अपनी मांगों को लेकर विरोध करने का अधिकार ऐसे में यह बेचारे विगत 10 माह से बिना वेतन के ही लगातार कार्य में लगे हुए हैं उनकी खबर ना तो स्वास्थ्य अमले के अधिकारी ले रहे हैं ना ही जिला प्रशासन इन पर दया दृष्टि दिखा रहा है इनका और इनके परिवार का भरण पोषण महज भगवान भरोसे चल रहा है। सोचने का विषय यह है कि विगत 10 माह में ऐसी क्या दिक्कत या परेशानी आई कि इन्हें वेतन ही नसीब नहीं हुआ कहीं ना कहीं प्रशासनिक चूक लापरवाही या फिर सुविधा शुल्क में देरी के कारण मेहनत की कमाई बीच में अटकी पड़ी है जबकि वहीं पर पदस्थ अन्य स्टाफ को बराबर वेतन और अन्य सुविधाएं मिल रही है
लेकिन रोगी कल्याण से भर्ती होने होने के कारण इन्हें स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है।

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