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ऋषिकेश महारत्न अलंकरण समारोह का सीधी में भव्य आयोजन , अतिथियों का पौधे से सम्मान ...

सीधी ( ईन्यूज एमपी ) समाजसेवी एडवोकेट उमेश तिवारी के पुत्र स्वर्गीय न्यायाधीश ऋषिकेश तिवारीआज इस दुनिया में नही हैं किंतु उनकी स्मृतियाँ आज भी अमिट है , ऋषिकेश फ़ाउंडेशन द्वारा न्यायाधीश ऋषि तिवारी की पुण्य स्मृति में तीन सितंबर रविवार को ऋषिकेश महारत्न अलंकरण समारोह का आयोजन उत्कृष्ट विद्यालय सीधी के विवेकानंद सभागार में किया गया। समारोह में विंध्य क्षेत्र की चार महान विभूतियों को उनके विशिष्ट सामाजिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नारी सशक्तिकरण का पर्याय बन चुकी पद्मश्री फूलबासन बाई यादव जी रहीं। कार्यक्रम का स्तरीय एवं प्रवाहपूर्ण मंच संचालन विनोद त्रिपाठी द्वारा किया गया।
ऋषिकेश महारत्न अलंकरण से सम्मानित होने वाली विशिष्ट विभूतियाँ क्रमशः पद्मश्री जोधाइया बाई बैगा,      सिक्किम उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश सतीश कुमार अग्निहोत्री जी, साहित्य अकादमी पुरस्कृत विश्व प्रसिद्ध लेखक उदय प्रकाश जी और टेक्नो ब्लास्ट माइनिंग कॉर्परेशन के मुखिया अतुल द्विवेदी जी रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत उत्कृष्ट विद्यालय की छात्राओं द्वारा माँ सरस्वती की मधुर बंदना से हुयी। माननीय अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
समारोह में चारों विशिष्ट शख़्सियतों को पद्मश्री फूल बासन बाई यादव एवं ऋषिकेश फ़ाउंडेशन के सदस्यों द्वारा स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट कर “ऋषिकेश महारत्न अलंकरण “ से सम्मानित किया गया।
ज्ञात हो कि जोधाइया जी को पुत्रशोक हए अभी मात्र नौ दिन गुजरे हैं फिर भी धन्य है आपका मज़बूत कलेजा की सिर्फ़ अपनी ज़ुबान रखने के लिए ऋषिकेश फ़ाउंडेशन के साथ दुःख बाँटने आप समारोह में सम्मिलित हुयी।
सम्मान समारोह के दौरान न्यायाधीश ऋषि तिवारी को श्रधांजलि अर्पित करते हुए न्यायमूर्ति सतीश अग्निहोत्री जी ने कहा कि ऋषि तिवारी इतनी कम उम्र में भी समाज में अपनी उपस्थिति किस तरह से दर्ज कराकर गए हैं ये इस कार्यक्रम की भव्यता और अतिथियों की सहभागिता से ज़ाहिर होता है। ऋषि तिवारी निश्चय ही समाज के लिए  विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत हैं।
ऋषि तिवारी को स्मरण करते हुए उदय प्रकाश जी ने कहा कि मौन ही संसार की सबसे बड़ी भाषा है।न्यायाधीश ऋषि तिवारी के कृतित्व को मौन से बड़ी श्रधांजलि नहीं हो सकती।
इसी तरह पद्मश्री फूलबासन बाई जी ने न्यायाधीश ऋषि तिवारी को याद करते हुए कहा कि यदि जीवन को सार्थक बनाना है तो मनुष्य के पुरुषार्थ के आगे कोई भी परिस्थिति बौनी हो जाती है।
अलंकरण समारोह के दौरान विंध्य की लोक संस्कृति का शानदार प्रस्तुतीकरण विंध्य के प्रतिभावान लोक कलाकारों द्वारा किया गया। इस कड़ी में उस्ताद अलाउद्दीन खाँ के शागिर्द नब्बे वर्षीय मोती जोगी द्वारा सरंगी वादन और कबीर गायन प्रस्तुत किया गया।उमरिया ज़िले से पहुँचे आदिवासी लोक गायक राम सिंह मरावी द्वारा बांसुरी वादन और लोक गायन किया गया।भूपेन्द्र पांडेय जी द्वारा जितेंद्र बघेल जी की तबले की थापों के साथ वाइयलिन वादन की जुगलबंदी की गयी।
इन शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के उपरांत सभी विशिष्ट अतिथियों को जोधाइया अम्मा की बनाई पेण्टिंग भेंट की गयी तथा जोधाइया अम्मा को कांसे की बनी माँ सरस्वती की प्रतिमा भेंट की गयी।साथ ही सभी लोक कलाकारों को भी स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।
समरोह की एक ख़ासियत यह भी रही कि ऋषिकेश फ़ाउंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती कल्पना तिवारी द्वारा शहीद शैन्य सेवकों की वीर अर्धनगिनियो को स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह में उपस्थित पच्चीस विशेष अतिथियों को उदय प्रकाश जी की साहित्य अकादमी पुरस्कृत कृति *मोहनदास* की स्वयं उदय जी द्वारा हस्ताक्षरित प्रतियाँ भी भेंट की गयीं।
कार्यक्रम में सभी विशिष्ट अतिथियों ने न्यायाधीश ऋषि तिवारी के कृतित्व को बेहद भावुकता से स्मरण किया और श्रद्धाजलि प्रदान की।
सम्मान समारोह का समापन उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य श्री एस एन त्रिपाठी जी के संक्षिप्त और सारगर्भित आभार प्रदर्शन वक्तव्य के द्वारा हुआ।
कार्यक्रम में सम्मिलित सभी अतिथियों को जलपान करवाया गया और एक एक पौधा भेंट कर ससम्मान विदा किया गया।

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