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Home कालचक्र अर्द्ध रात्रि में उत्तर दिशा और मध्याह्न काल में दक्षिण दिशा को नहीं जाना चाहिए......

अर्द्ध रात्रि में उत्तर दिशा और मध्याह्न काल में दक्षिण दिशा को नहीं जाना चाहिए......

(enewsmp.com) 🌹।।जय श्री कृष्ण।।🌹
सद् वाक्य:-----
दुर्जनस्य च सर्पस्य
वरं सर्पो न दुर्जनः l
सर्पो दंशति कालेन दुुर्जनस्तु पदे पदे ll

भावार्थ --सर्प और दुर्जन व्यक्ति की तुलना करते हुए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुर्जन से सर्प श्रेष्ठ है क्योंकि सर्प तो काल आने पर मात्र एक बार डसता है जबकि इसके विपरीत दुर्जन व्यक्ति पग पग पर पीड़ा देता रहता है।
🙏🏾🌹सुप्रभातम् 🌹🙏🏾
।। आज का पंचॉग।।
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विक्रम संवत्2074
ग्रीष्म ऋतु,
उत्तरायण,सूर्य
मास--आषाढ़,
पक्ष--कृष्ण
वार--शुक्रवार
तिथि--सप्तमी
नक्षत्र-शतभिषा
योग--प्रीति
सूर्योदय--05,13प्रात:
सूर्यास्त--06,47सायं
चन्द्रोदय---11,46रात्रि
ग्रह स्थिति
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सूर्य---मिथुन राशि,
चन्द्र--कुम्भ राशि
भौम-मिथुन राशि,
बुध---वृष राशि
गुरू--कन्या राशि,
शुक्र---मेष राशि
शनि--धनु राशि,
राहु---सिंह राशि
केतु--कुम्भ राशि
शुभकाल----07,21से09,38सुबह
राहुकाल--10,30स12,00दोपहर
दिशा शूल:--पश्चिम दिशा
आवश्यक होने पर जौ का सेवन कर यात्रा करें।
चन्द्रस्थिति से यात्र -दक्षिण
विशेष:---समय शूल
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उषाकाल में पूर्व(पूरव)को,
गोधूलि में पश्चिम दिशा को,
अर्ध्द रात्रि में उत्तर दिशा को,और मध्यान्ह काल में दक्षिण दिशा को नहीं जाना चाहिए।
भद्रास्थिति
दिनॉक 16/06/2017को दिन में 12,19तक मृत्यु लोक का भद्रा रहेगा।
शुभ कार्य वर्ज्य।
आचार्य
प्रभाकर प्रसाद शास्त्री
बम्हनी(काली धाम ओवरहा)सीधी (म०प्र०)
मो0नम्वर 9826888211
9685429985

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