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नोटबंदी के एक साल पुरे, जानें देश को क्या हुये आर्थिक फायदे और नुकसान....

दिल्ली(ईन्यूज़ एमपी)- 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजकर 17 मिनट पर प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी। 50 दिनों तक देश लंबी-लंबी कतारों में लगा नजर आया। ऐसा देश ने पहले कभी नहीं देखा था। नोटबंदी कई परेशानियां, उम्मीदें और संशय लेकर आई। जानते हैं नोटबंदी से देश को क्या फायदे और आर्थिक नुकसान हुये:-

- देश में जैसे ही नोटबंदी की घोषणा हुई हडकंप मच गया. कई जगहों से खबरें आईं कि नोटों को या तो जला दिया गया या फिर फाड़ कर फेंक दिया गया| नोटबंदी के बाद आयकर विभाग सक्रिय हुआ और कई जगहों पर छापेमारी की जिसमें 4 हजार करोड़ की अघोषित आय का खुलाया हुआ| ये आंकडा सिर्फ 30 दिसंबर 2016 तक का है|

- नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई| इस बार करीब 25 फीसदी अधिक लोगों ने इनकम टैक्स भरा| यानि सरकार का खजाना भरने लगा जिसके लिए अक्सर कहा जाता था कि वह खाली है और भरने पर इसका इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए किया जाएगा|

- नोटबंदी का सबसे बड़ा असर प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त पर पड़ा| इससे रियल स्टेट बाजार बेहद नुकसान में चला गया लेकिन इस क्षेत्र में फैली गंदगी भी साफ हो गई| दरअसल इस क्षेत्र में ब्लैक मनी को खपाया जाता था और कैश में खरीद फरोख्त की जाती थी| नोटबंदी लागू होने के बाद कैश लेनदेन में बेतहाशा कमी आई है|

- बैंकों का कहना है कि नोटबंदी से 99 फीसदी नोट वापस मिल गए यानि महज़ 16 हजार करोड़ वापस नहीं लौटे| आरबीआई ने एक बयान में कहा कि 15.44 लाख करोड़ में से 15.28 लाख करोड़ वापस आ गए| 1000 रुपये के 8.9 करोड़ नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं लौटे|

- नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में जबरदस्त उछाल देखने को मिला और लोग मोबाइल से पेमेंट करने लगे| लोगों ने अलग अलग पेमेंट वॉलेट का इस्तेमाल किया लेकिन सर्वाधिक फायदा हुआ पेटीएम को जिसका लोगों ने बहुत अधिक इस्तेमाल किया| सरकार ने भी भीम जैसे एप को उतारा तो गूगल ने भी हाल ही में तेज नाम के एप को मार्केट में उतारा है|

- नोटबंदी के चलते जरूरी चीजों की राशनिंग रुक गई| माना जाता है कि इस वजह से जुलाई अगस्त में महंगाई अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई| सीपीआई 2012 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई| सभी चीजों पर इसका असर पड़ा| सीधे लफ्जों में कहें तो लोगों के पास खरीदारी के लिए पैसे नहीं होने के कारण खाने-पीने की चीजों के दाम घट रहे हैं|

- एक और बहुत बड़ा फायदा जो नोटबंदी का हुआ वो ये कि बड़ी संख्या में फर्जी कंपनियां पकड़ी गईं| करीब सवा दो लाख कंपनियों को सरकार ने बंद कर दिया| पता ये भी चला कि 35 हजार कंपनियों ने 17 हजार करोड़ रुपये नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा कराए जिन्हें बाद में निकाल लिया गया| 3 लाख डारेक्टर्स को भी अयोग्य घोषित किया गया|

- एटीएम: नोटबंदी के पहले देश में एटीएम की संख्या बढ़ रही थी, लेकिन नोटबंदी के तुरंत बाद ज्यादातर एटीएम ठप पड़े रहे। एटीएम और बैंकों के सामने लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। लेकिन कुछ वक्त बाद कैश लेन-देन कम होने से बैंकों ने एटीएम लगाने कम कर दिए। नवंबर से सितंबर 2017 के बीच ब्रांच से दूर लगने वाले एटीएम की संख्या में 741 की कमी हुई। जून से अगस्त 2017 के बीच 358 एटीएम बंद हुए।

- ब्लैक मनी: नोटबंदी के वक्त कहा गया था कि देश में तीन लाख करोड़ रुपए की ब्लैकमनी कैश के रूप में मौजूद है। सरकार ने 500 और 1000 रुपए के रूप में मौजूद 86% करंसी बंद कर दी, जिसका मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपए था। हालांकि, जनवरी में आई एक रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया कि हवाला के जरिए होने वाला लेनदेन नोटबंदी के बाद से 50% कम हुआ है।

- कन्फ्यूजन: नोटबंदी के बाद सरकार लगातार कन्फ्यूज नजर आई। नोटबंदी के शुरुआती 50 दिनों में सरकार ने 65 नियम बनाए। इससे जनता भी गफलत में और बेचैन रही। एटीएम से कितने रुपए निकाले जा सकते हैं? यही नियम आधा दर्जन बार बदला गया। सरकार ने पहले कहा था कि नोटबंदी का सबसे बड़ा मकसद काले धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है। लेकिन अब 99% नोट वापस आने के बाद सरकार कह रही है कि इसका मकसद डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना था।

- जनधन: नोटबंदी के बाद 100 दिनों में 2.26 करोड़ नए जनधन खाते खुले। तीन महीनों में 19 हजार 84 करोड़ रुपए जनधन खातों में जमा हुए। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने अगस्त में कहा कि नोटबंदी के कारण जनधन योजना में खोले गए जीरो बैलेंस अकाउंट कम हुए हैं। सितंबर 2016 में 24.1% खाते जीरो बैलेंस थे, अगस्त 2017 में यह 21.41% रह गए।

नोटबंदी से नुकसान :- एटीएम और बैंकों के बाहर कतारों में लगे लोगों में कुछ की मौतें भी हुई हैं| कहा जा रहा है कि देशभर में तकरीबन 80 से ज्यादा लोग एटीएम और बैंकों के बाहर लगी लंबी कतारों में अपनी जान गवां बैठे| नोटबंदी की आड़ में करोड़ों रुपये का कालाधन बदला है| लोगों ने काला धन खपाने के लिए कई तरीके निकाले| कई लोगों ने दूसरे के जन-धन खातों में अपनी ब्लैक मनी जमा कर दी| एक अनुमान के मुताबिक नौ नवंबर तक इन खातों में 45 हजार 627 करोड़ रुपये की जमाराशि‍ थी| यह राशि‍ 30 नवंबर को 74 हजार 322 करोड़ रुपये हो गई| नोटबंदी के एक महीने में शेयर बाजार सुस्त हो गया| नोटबंदी के ऐलान से 7 दिसंबर तक शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई| बीएसई 8 नवंबर को जहां 27,591 था वहीं 7 दिसंबर को 26,237 तक पहुंच गया. नोटबंदी से खरीदार सोने से दूर रहे वहीं रियल एस्टेट, सेवा और कृषि क्षेत्र पर असर पड़ा|

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