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Home मध्य प्रदेश निगम चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला:वार्ड आरक्षण में रोटेशन पद्धति अपनाना ही होगी, सरकार का नोटिफिकेशन खारिज

निगम चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला:वार्ड आरक्षण में रोटेशन पद्धति अपनाना ही होगी, सरकार का नोटिफिकेशन खारिज

इंदौर(ईन्यूज एमपी)-नगर निगम चुनाव से पहले सरकार को शहर के सभी 85 वार्ड में रोटेशन पद्धति के आधार पर आरक्षण प्रक्रिया करना होगी। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पांच जजेस के द्वारा दिए गए रोटेशन के आधार पर आरक्षण के फैसले को सही बताया। कानून के जानकारों का कहना है कि अब सरकार को ना केवल इंदौर बल्कि प्रदेशभर की नगरीय निकायों में वार्ड, विधानसभा, लोकसभा का आरक्षण रोटेशन के आधार पर करना होगा।

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है। याचिकाकर्ता दिलीप कौशल व रवि गुरनानी की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने सरकार के द्वारा पूर्व से आरक्षित वार्ड के आरक्षण को ही यथावत रखने के नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने पिछले दिनों सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को आदेश जारी किया गया।

क्यों चुनौती दी गई थी नोटिफिकेशन को

अधिवक्ता खंडेलवाल के मुताबिक सरकार ने नगर निगम चुनाव पूर्व आरक्षित वार्ड के आधार पर ही कराने का नोटिफिकेशन जारी किया था। एससी, एसटी के लिए आरक्षित वार्ड को बदला नहीं गया था। इस कोटे के लिए पूर्व में आरक्षित वार्ड को बदला नहीं गया था। याचिका में मांग की गई कि संविधान के आर्टिकल क्रमांक 243 के तहत यह व्यवस्था दी गई है कि वार्ड के आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया अपनाना होगी। एससी-एसटी वाले वार्ड में जनरल, ओबीसी श्रेणी के लोग भी रहते हैं। ऐसे में उन वार्ड में दूसरी श्रेणी के लोगों को प्रतिनिधित्व का मौका ही नहीं मिलता है। इसी तरह अन्य आरक्षित वार्ड में एससी-एसटी कोटे के उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिलता है। रोटेशन के आधार पर आरक्षण करना इसलिए बहुत जरूरी है।

फैसले का असर सभी तरह के चुनाव पर होगा

इस फैसले का असर केवल इंदौर नगर निगम नहीं, बल्कि प्रदेशभर के नगरीय निकायों के आरक्षण पर होगा। विधानसभा, लोकसभा सीटों के आरक्षण पर भी इस फैसले की आंच आ सकती है। कोर्ट ने 18 पेज का आदेश जारी करते हुए सरकार से कहा है कि वह जब आरक्षण की प्रक्रिया अपनाए तो रोटेशन पद्धति का पालन किया जाए।

सरकार का तर्क- यह हमारा विशेषाधिकार

याचिका के जवाब में सरकार ने कहा था कि वार्ड आरक्षण करना या नहीं, यह सरकार का विशेषाधिकार है। सरकार ने पूर्व में रोटेशन किया भी है, लेकिन हर बार रोटेशन के आधार पर आरक्षण करना जरूरी नहीं है।

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