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Home मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने संकल्प पारित किया, जिला कोर्ट को डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी कहा जाएगा

हाई कोर्ट ने संकल्प पारित किया, जिला कोर्ट को डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी कहा जाएगा

जबलपुर (ईन्यूज एमपी)-मध्यप्रदेश में अब हाई कोर्ट के अलावा राज्य की सभी अदालतों को ‘अधीनस्थ न्यायपालिका’ की जगह ‘जिला न्यायपालिका’ (डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी) कहा जाएगा। साथ ही हाई कोर्ट के अलावा सभी अदालतों को अधीनस्थ न्यायालय की जगह ‘ट्रायल कोर्ट’ कहा जाएगा। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ की अध्यक्षता हुई फुल कोर्ट मीटिंग में यह संकल्प पारित किया गया है। इसके बारे में मप्र हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल रामकुमार चौबे ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।


हाई कोर्ट का मानना है कि कोई भी कोर्ट, किसी भी कोर्ट के अधीन नहीं होती और न कोई निचली अदालत होती है। हाई कोर्ट में जिला कोर्ट और संबंधित जिले की कोर्ट के फैसलों पर रिव्यू पिटीशन, जमानत याचिका समेत अन्य आवेदनों में जिला कोर्ट को अधीनस्थ कोर्ट, निचली अदालत (अधीनस्थ न्यायालय) से संबोधित किया जाता था। हाई कोर्ट जजेस की फुल कोर्ट मीटिंग में लिए गए फैसले के बाद अब ऐसा नहीं होगा।

हाई कोर्ट की तीन पीठ और 52 जिला न्यायालय

मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ के अलावा इंदौर और ग्वालियर में दो खंडपीठ हैं। मप्र में 52 जिला न्यायालय हैं, जिनमें 1200 से अधिक सेशन कोर्ट हैं। करीब 1500 से अधिक मजिस्ट्रेट स्तर की कोर्ट हैं। सेशन कोर्ट और मजिस्ट्रेट स्तर की कोर्ट को अब तक सबऑर्डिनेट (अधीनस्थ ) कोर्ट कहा जाता था।

मप्र हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल रामकुमार चौबे द्वारा आदेश जारी किए गए हैं।
मप्र हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल रामकुमार चौबे द्वारा आदेश जारी किए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पिछले साल हुआ था ऐसा निर्णय
जिला कोर्ट को जिला न्यायपालिका और ट्रायल कोर्ट से संबोधित करने का फैसला लेने वाला मप्र हाई कोर्ट देश की दूसरी हाई कोर्ट है। इससे पहले पिछले साल 2 अगस्त 2021 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट को जिला न्यायपालिका और ट्रायल कोर्ट के नाम से संबोधित करने की व्यवस्था दी थी। तब जस्टिस रवि मलिमथ हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस थे।

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