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18 साल बाद भी नागपुर का किला फतह नहीं कर सका मध्यप्रदेश, 2006 से नसीब नहीं हुई जीत...

इंदौर(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश सीनियर पुरुष टीम का रणजी ट्राफी में अभियान सेमीफाइनल मैच में आकर थम गया। इस एक मैच से पहले तक के सफर में मप्र की टीम विजेता की तरह नजर आई, लेकिन नागपुर में विदर्भ के अजेय किले को तोड़ने में टीम एक बार फिर असफल साबित हुई।

मप्र और विदर्भ के बीच खेला गया रणजी ट्राफी सेमीफाइनल मैच बुधवार को समाप्त हुआ, जिसमें विदर्भ ने 62 रनों से जीत दर्ज की। यह मुकाबला नागपुर में खेला गया, जो विदर्भ का घरेलू मैदान है। यह रोचक तथ्य है कि रणजी ट्राफी में इससे पहले दोनों टीमों के बीच हुई दो टक्करों में मध्य प्रदेश की टीम जीती थी, लेकिन नागपुर में 18 साल से मप्र की टीम विदर्भ को नहीं हरा सकी है।

नागपुर में रणजी ट्राफी में मध्य प्रदेश और विदर्भ का पिछली बार आमना-सामना दिसंबर 2006 में हुआ था। तब मप्र की टीम तुलनात्मक रूप से मजबूत मानी जाती थी। मगर विदर्भ के किले तो मप्र टीम भेद नहीं सकी थी। तब विदर्भ की टीम सात विकेट से जीती थी। इसके बाद दोनों टीमों के बीच दो और मुकाबले खेले गए। रोचक रूप से यह दोनों ही मैच मध्य प्रदेश ने जीते थे।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह दोनों मैच इंदौर में खेले गए थे। दोनों टीमों के बीच पिछला मैच जनवरी 2023 को हुआ था, जिसमें मप्र ने 205 रनों से जीत हासिल की थी। इसके पहले नवंबर 2008 को दोनों टीमों के बीच हुई टक्कर में भी मध्य प्रदेश की टीम 10 विकेट से जीती थी। अब रणजी ट्राफी सेमीफाइनल के दौरान विदर्भ की जीत ने फिर साबित कर दिया कि अपने घर में इस टीम को हराना आसान काम नहीं है।

मध्य प्रदेश की हार ने कप्तान शुभम शर्मा सहित पूरी टीम को मायूस कर दिया। शुरुआती दो मैचों के बाद शुभम शर्मा को टीम की कमान सौंपी गई थी। इस बाद से टीम किसी चैंपियन की तरह नजर आई थी। पहले दो मैचों में टीम के जहां मात्र चार अंक थे,वहीं अगले पांच में से टीम ने चार मैचों में सीधी जीत दर्ज की थी। क्वार्टर फाइनल मैच में भी टीम ने दबाव के क्षणों में एकाग्रता बनाए रखते हुए जीत दर्ज की थी। इससे उम्मीद जगी थी कि सेमीफाइनल में भी विजयश्री हाथ लगेगी। मगर बुधवार सुबह मप्र के निचलेक्रम के बल्लेबाजों के जल्दी-जल्दी पवैलियन लौटने से मौका हाथ से निकल गया।
टीम की हार पर चर्चा करते हुए कप्तान शुभम शर्मा ने कहा- हम सभी निराश हैं। हमने इस सत्र के लिए बहुत मेहनत की थी। सेमीफाइनल में भी हम खराब नहीं खेले, लेकिन शायद किस्मत हमारे साथ नहीं थी। हमें विदर्भ को जीत का श्रेय देना होगा कि वे हमसे बेहतर साबित हुए। मैच के कुछ फैसलों को लेकर शुभम का दर्द सामने आया। इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा- यह सही है कि कुछ निर्णय हमारे पक्ष में नहीं रहे। जिससे हमें नुकसान हुआ। मगर अब इस बारे में चर्चा करने का फायदा नहीं। यश दुबे को आउट देने का फैसला ठीक नहीं रहा। कुछ अन्य फैसले भी ऐसे रहे, जिनके कारण परिणाम प्रभावित हुआ।
शुभम ने बताया कि मैच के दौरान उनकी तबियत भी ठीक नहीं थी। सर्दी और गला बैठा हुआ था। इसके बावजूद वे टीम के लिए मैदान में डटे रहे। उन्होंने कहा- हमने रणजी ट्राफी जीतने का लक्ष्य तय किया था। सेमीफाइनल का अंतिम दिन छोड़ दें तो हम पूरे सत्र में जोरदार फार्म में रहे। मैच में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन हमने हर परिस्थिति में सशक्त प्रदर्शन किया था। पूरी टीम एकजुट होकर खेली और सभी ने अपनी ओर से श्रेष्ठ योगदान दिया।

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