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डिप्टी कलेक्टरी से त्याग के बाद निशा बांगरे का कांग्रेस से हुआ मोहन भंग,अब दिया इस्तीफा और लगा दिया आरोप...

बैतूल(ईन्यूज एमपी)- डिप्टी कलेक्टर का पद त्यागकर कांग्रेस में शामिल होने वाली निशा बांगरे ने आखिरकार रविवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को लिखे पत्र में निशा बांगरे ने कांग्रेस पर षड्यंत्र कर विधानसभा चुनाव लडने से रोकने और वायदा खिलाफी कर लोकसभा का टिकट भी न देने का आरोप लगाया है। निशा ने पत्र में लिखा है कि मैंने इंजीनियर, डीएसपी और डिप्टी कलेक्टर जैसे राज्य प्रशासनिक पदों का दायित्व निर्वाह किया है। बाबा साहब डा. अंबेडकर ने संसद की ओर इशारा कर हमें इंगित किया है कि "ऐ मेरे समाज के लोगो, संसद रूपी मंदिर में पहुंचकर राजनीतिक हिस्सेदारी अर्जित करो व वंचित वर्ग की आवाज बनो।" उनके इस इशारे को आत्मसात करने के लिए मैंने राज्य प्रशासनिक सेवा का सर्वोच्च पद त्याग दिया। मैं उस समय यह समझती थी कि कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर समाज के शोषित पीड़ित और वंचित लोगो का प्रतिनिधित्व कर बाबा साहब के सपनों को साकार कर सकूंगी किंतु पिछले छह महीने से कांग्रेस की नीयत को करीब से आंकलन कर मैने यह पाया कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे विधानसभा में टिकट देने का वादा किया। 229 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए और एक सीट आमला मेरे लिए होल्ड पर रखने का केवल दिखावा कर समाज का वोट बटोरना चाहा एवं खुद षड्यंत्र कर मुझे चुनाव लड़ने से रोका.
निशा ने पत्र में आगे लिखा कि पुनः मुझे लोकसभा में टिकट देने का भरोसा दिया गया, लेकिन इसमें भी वादाखिलाफी की गई। बाबा साहब ने कहा था कि "कांग्रेस जलता हुआ घर है" मैने यह महसूस भी किया। कांग्रेस ने बाबा साहब को कभी टिकट नहीं दिया, बल्कि उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़े करके उन्हें चुनाव में हरा दिया। कांग्रेस ने न्याय तब भी नही किया था और कांग्रेस न्याय अब भी नही कर पा रही है। डा. बाबासाहब डाक्टर अंबेडकर की जयंती के पावन अवसर पर मैं कांग्रेस पार्टी के समस्त दायित्वों से मुक्त होती चाहती हूं क्योंकि कांग्रेस में नारी सम्मान के लिए कोई स्थान नहीं है जिसका ताजा उदाहरण लोकसभा चुनाव 2024 में संसदीय सीटों में कांग्रेस पार्टी के अंदर मध्यप्रदेश में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व न मिलना भी है।

निशा ने पत्र में कहा कि बाबा साहब स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत के पुरोधा पुरुष थे। उनका मानना था कि सभी भारतीयों को उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना आगे बढ़ाने के लिए समान अधिकार व अवसर मिलने चाहिए। मैं इन्हीं सिद्धांतों को आत्मसात कर समाज और देशसेवा के लिए सदैव तत्पर हूं। इसी ध्येय को लेकर मैं कांग्रेस की राजनीति में व्यापक स्तर पर कार्य करना चाहती थी, लेकिन इस हेतु कांग्रेस पार्टी ने मेरी योग्यता को ही अयोग्यता बना दिया। इसी कारण मैं कांग्रेस पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त होना चाहती हूं और मैं अपना पूरा जीवन बाबा साहब के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित करती हूं।

उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले में डिप्टी कलेक्टर के पद पर रहते हुए पद से इस्तीफा देने के बाद स्वीकार ना होने पर निशा ने न्याय यात्रा निकालकर तत्कालीन प्रदेश सरकार पर तीखे आरोप लगाए थे। उच्च न्यायालय की भी शरण ली गई थी, इसके बाद उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया था। कांग्रेस ने विधानसभा का टिकट नही दिया और अब लोकसभा में भी कोई मौका नहीं दिया। निशा ने जनवरी माह में सरकार से नौकरी वापस मांगते हुए पत्र भी लिखा है। अब उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।




































































































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