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बस्तियां उजाड़ी तो, ग्रामीणों के गुस्से का सैलाब आना तय है- उमेश तिवारी

सीधी (ईन्यूज एमपी)-टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि एक तरफ जहां समूचे विश्व का मानव समूह कोरोना वायरस की भयावहता से भयक्रांत है तथा जिंदगी और मौत से संघर्षरत है वही सीधी जिले में स्थित संजय टाइगर रिजर्व के कोर जोन में आने वाले 50 गांवों के ग्रामीणों को षड्यंत्र पूर्वक विस्थापित कर उनके अस्तित्व को मिटाने की कार्यवाही से गांव वासी सहमे हुए हैं और गुस्से में हैं। श्री तिवारी ने बताया कि संजय टाइगर रिजर्व के कोर जोन से जिन 50 गांवों के ग्रामीणों को विस्थापित किया जा रहा है वाह समूचे गांव आदिवासी बाहुल्य आबादी वाले ग्राम है। मुआवजा पैकेज के लालच में कुछ चालाक किस्म के लोग जो गैर आदिवासी हैं वह इन गांवों में जमीन के कुछ टुकड़े खरीद लिए हैं, प्रशासन इन्हीं को अपना दलाल बना कर मुआवजा पैकेज में परसेंटेज तय करते हैं और विस्थापन हेतु इन्हीं दलालों के सांठगांठ से फर्जी ग्राम सभा की कार्यवाही को अंजाम देते है। फर्जी ग्राम सभा के आधार पर 10 गांवों के ग्रामीणों को बिना पुनर्वास किये विस्थापित कर उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। जिन गांवों के ग्रामीणों को विस्थापित किया गया है वह गांव है कंजरा, बहेरबार, आगर झिरिया, चाफल दुधमनिया, हंथिबंधा, सुहिरा, पड़वार, भैंसवाही और करचा।
श्री तिवारी ने बताया कि कोरोना कॉल के संकट की घड़ी में तीन ग्रामों के ग्रामीणों को विस्थापित किए जाने हेतु 23 मई 26 मई और 30 मई को ग्राम सभा की औपचारिकता की जा रही है। 23 मई को ग्राम अंजनीढोल में ग्रामीणों के विरोध के बाद भी फर्जी ग्राम सभा की कार्यवाही की गई तथा 26 मई को छोटी दुबरी में आयोजित ग्रामसभा ग्रामीणों के विरोध के चलते संपन्न नहीं हो सकी है। 30 मई को ग्राम बडिया में ग्राम सभा करने को प्रशासन उतावला है।
श्री तिवारी ने कहा है कि बिना पुनर्वास किये, लांकडाउन के समय और मानसून का मौसम नजदीक होने के बाद भी मगरूर संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारी अपने अधिनायक वादी सोच के चलते एन केन प्रकारेण विस्थापन की कार्यवाही को अंजाम दे रहे हैं। पीढ़ियों से आवाद आदिवासी जो आजतक जंगल और जंगली जीवो को बचाकर सहकार के साथ रहता चलाया है वह कतई अपने पुश्तैनी जगह से विस्थापित होने को तैयार नहीं है यदि छल से, षडयंत्र से, बलपूर्वक बस्तियों को उजाड़ा गया तो आदिवासियों के गुस्से के सैलाब को रोकना संभव नहीं होगा, समझदारी इसी में है की विस्थापन हेतु की गई फर्जी ग्राम सभा और तय ग्राम सभा निरस्त की जाए। अंधाधुंध विस्थापन का दुष्परिणाम ही है मुंबई की धारावी की झोपड़पट्टी जहां देश के सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज हैं।

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