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सीधी : चेहरे चर्चित चार -नेता अफसर विधिक पत्रकार ......

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 कमलेश्वर द्विवेदी ✍️
पूर्व मंत्री


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आज एक ऐसे नेता की कहानी जिसने सीधी जिले के इतिहास में सबसे अधिक बार देश की बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले चुनिंदा नेताओं की श्रेणी में हैं वो है कमलेश्वर द्विवेदी। द्विवेदी जी का जन्म 1949 में सीधी जिले के सुदूर दक्षिणी बनांचल क्षेत्र भुइमाड़ में हुआ, पिता जी जिले के बड़े जमींदारों में गिने जाते थे। द्विवेदी जी की प्राथमिक शिक्षा गाँव मे ही हुई, माध्यमिक शिक्षा गांव से थोड़ी दूर सरई ग्राम में हुई, फिर हायर सेकंडरी की पढ़ाई सीधी से और स्नातकोत्तर की पढ़ाई रीवा टीआरएस कॉलेज से हुई, फिर कानून की डिग्री इन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्था बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1976 से उन्होंने वकालत शुरू की और 1977 में पंचायती राज चुनाव में राजनीतिक एंट्री कर दांव खेला जो एक दम सही साबित हुआ, और द्विवेदी जी कुसमी ब्लॉक के अध्यक्ष बन गए। 1779 में स्व अर्जुन सिंह जी के हांथो कांग्रेस की सदस्यता ले ली।
उन्हें जल्दी ही कांग्रेस ने 1980 के विधानसभा चुनाव में गोपदबनास सीट से प्रत्यासी बना दिया। उनकी किस्मत तो विजयश्री का माला लिए खड़ी थी। पार्टी द्विवेदी जी के कद को पहचान चुकी थी इसी कारण दूसरी बार 1985 मे फिर से टिकट दिया और वे पुणे विधायक निर्वाचित हुए, और तात्कालिक सरकार के मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा जी के कार्यकाल में एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में राज्य मंत्री भी रहे। 1990 में फिर से चुनाव हुआ और उसी सीट से पार्टी ने उन्हें रिपीट किया और वे फिर से विधायक बने। उनके कार्यकाल के दौरान हैं बीच में सरकार गिर गई और फिर से मध्यावधि चुनाव हुआ। 1993 में हुए मध्यावधि चुनाव में द्विवेदी जी को पराजय झेलनी पड़ी। अगले चुनाव 1998 में टिकिट नही मिली, तो द्विवेदी जी समाजवादी पार्टी के टिकट से सीधी विधानसभा से चुनाव लड़ गए, लेकिन परिणाम कई मायने से निर्रथक था। लेकिन 2003 में फिर गोपद बनास से कांग्रेस ने एक बार फिर से भरोसा जताया,उन्हें टिकिट मिली लेकिन इस बार फिर हार हुई, और उसके बाद परिसीमन में गोपद बनास अस्तित्व विहीन हो गया, और फिर पार्टी ने इन्हें 2013, और 2018 का चुनाव में टिकिट दिया, लेकिन द्विवेदी जी किस्मत सिर्फ टिकिट लाने तक ही साथ देती रही।


पूर्व मंत्री रहे श्री द्विवेदी इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) (IFFCO)जो विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक सहकारिता संस्था है यहां उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बनाया गया, उसी दौरान 1983 में विदेश यात्रा का भी अवसर मिला , बोर्ड ऑफ डायरेक्टर होने के नाते इन्होंने किसानों के हित में जापान की यात्राएं की थी ,1985 में कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के भी मेंबर बना दिये गए। जनसेवा द्विवेदी जी का हमेशा से ध्येय रहा है उसी का नतीजा रहा है कि हनुमानगढ़,बढौरा व सतोहरी जैसे निजी शैक्षणिक विद्यालयों को शासनादेश कराने में भी योगदान दिया है साथ ही मझौली तहसील का उदय एवं 25 बिस्तर अस्पताल की स्थापना में भी योगदान रहा है। कहते हैं कि सेहरा बांध पथरौला मंत्री जी की देन है। द्विवेदी जी जिले भर के नेताओ में सबसे शांत प्रिय और हमेशा हसमुख नेताओ में गिने जाते हैं, यही कारण है कि उनकी सहजता ही उनकी सफलता के लिये कारक है , अब अगला चुनाव का टिकिट ही द्विवेदी जी के आगे की राजनीति और " सीधी " का इतिहास लिखेगा।


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👉केदारलाल शर्मा IAS ✍️
सेवानिवृत्त कलेक्टर

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सीधी सिंगरौली संयुक्त जिले के तत्कालीन कलेक्टर केदारलाल शर्मा का कार्यकाल काफी अनोखा और रोचक रहा है , 12 मई 1959 को इंदौर में जन्मे केदारलाल की शिक्षा दीक्षा महानगर इंदौर में संपन्न हुई , BSC LLB करने के उपरांत एमपीपीएससी में सलेक्ट हो गये जिनकी पहली पदस्थापना तबके मध्यप्रदेश और आज के छत्तीसगढ़ में हुई थी। देखिए संयोग ही ऐसा था जिस दिन उनका जन्मदिन था उसी दिन 12 मई 1983 यानी (24 वर्ष की आयु में) केदार शर्मा पहले के मध्य प्रदेश व अब के छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले में बतौर डिप्टी कलेक्टर पहली पोस्टिंग हुई वहां पर वह 6 मार्च तक प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर रहे हैं। फिर मध्य प्रदेश के धार जिले में 1988 तक अपनी सेवाएं दिए। इस दौरान उद्योग नगरी पीथमपुर में 2 सालों तक एसडीएम भी रहे जहां के उद्योग धंधों के विकास और स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, इसके उपरांत वे होशंगाबाद और 1990 से 1996 तक खंडवा जिले में रहे हैं। 1996 में ही वह उज्जैन में पदस्थ हुए जहां पर निरंतर 4 वर्षों तक महाकाल की नगरी में वह पदस्थ रहे हैं। सन 2000 में वह रायसेन फिर 2001 में देवास के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनाए गए जहां पर उन्होंने अधिकतम 6 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी।
एक बार फिर वह 6 माह तक महाकाल की सेवा में बतौर सीईओ कार्यरत रहे, उसी दौरान महाकाल की कृपा से उन्हें आईएएस 2006 में अवार्ड हो गया। महाकाल की कृपा से वह पहली वार 2007 में कलेक्टर वन गये,2007 से उन्हें राज्य शासन द्वारा सीधी का कलेक्टर बनाकर भेज दिया गया जहां वह 2009 तक निरंतर सीधी के कलेक्टर बने रहे, एक बार फिर उन्हें खरगोन का कलेक्टर बनाकर भेज दिया गया, जहां उन्होंने बतौर कलेक्टर 2011 तक अपनी सेवाएं दी , इसके उपरांत उन्हें 2011 से 2012 तक माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड का सचिव बना दिया गया। वर्ष 2012 से 2014 तक एडिशनल सेक्रेट्री एग्रीकल्चर रहे साथ ही अपर सचिव भी , केदार शर्मा को एक बार फिर 2014 में टीकमगढ़ का कलेक्टर बना दिया गया जो 2015 तक टीकमगढ़ के कलेक्टर रहे हैं आपको इसी दौरान कमिश्नर रैंक का वेतन हांसिल हो गया था , जिन्हें 2016 में ट्रायवल का सचिव व आयुक्त बनाया गया, 2018-19 में उन्हें गृह विभाग में सचिव का दायित्व दिया गया, फिर 2018 में सहकारिता आयुक्त रहे हैं जो 12 मई 2019 तक निरंतर शासकीय सेवा में बने रहे। उनका अनेक पदों पर 36 साल का प्रशासनिक कार्यकाल काफी रोचक और अनंत स्मृतियों से परिपूर्ण रहा है।

मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा 24 सितंबर 2008 में सीधी जिले से सिंगरौली को पृथक कर के जिला बना दिया गया, जिसकी स्थापना में बतौर कलेक्टर केदारलाल शर्मा साक्षी रहे हैं। जिले के परिसीमन व बंटवारे का भलीभांति दायित्व निर्वहन किया गया है। सीधी के साथ संयुक्त सिंगरौली की अनेकों स्मृतियां इनके साथ जुड़ी हुई है। श्री शर्मा के कार्यकाल में जब सीधी और सिंगरौली एक था आज सिंगरौली जिले में कई उद्योग धंधे फलफूल रहे हैं पावर प्लांट स्थापित हैं वह उसी समय की देन है। भू-अर्जन को गति देने व अनेक उद्योगों के एग्रीमेंट केदारलाल शर्मा के हस्ताक्षर से हुए हैं। सीधी के उस दौर के जेपी के कारखाने कि खनन निर्माण का एग्रीमेंट भी इन्हीं के हस्ताक्षर से हुए हैं। ग्रामीण विकास के कार्यों खासतौर से रोजगार मूलक कार्यों को बढ़ावा देने में बतौर कलेक्टर सीधी इनका अच्छा योगदान रहा है। उस समय सीधी जिला भारत के टॉप राज्यों की अग्रणी सूची में सूमार रहा है। आपके कार्यकाल में लोकसभा, विधानसभा, नगरी निकाय, कृषि उपज मंडी सहित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी निर्भीक व स्वतंत्र शैली में संपन्न कराए गए थे।

सीधी जिले के तत्कालीन कलेक्टर रहे श्री शर्मा के कार्याकाल अनेक खट्टी मीठी स्मृतियों से भरे हुए हैं। नगरपालिका परिषद सीधी के चुनाव में काफी कांटे की टक्कर थी, लेकिन कांग्रेस के नेताओ को आशंका थी कि कुछ हेरा फेरी हुई है, और फिर से मत गिने जाने की मांग हुई, और भाजपा की ही जीत हुई लेकिन कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ताओं की भीड़ बहुत थी और उसीभीड़ में से पथराव हुआ जिसमें केदारलाल शर्मा ने लाठीचार्ज का आदेश कर दिया था जिसमे कांग्रेसी नेताओं को दोहरी मार झेलनी पड़ी थी।



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👉लालमणि सिंह✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता

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विधि व्यवसाय में एक जाना पहचाना नाम लालमणि सिंह चौहान जी का है जिनका जन्म 10 मई 1947 को सीधी शहर के समीप खैरही गाँव में हुआ था बीए,एलएलबी की पढाई के बाद वकालत का श्रीगणेश किया।आपके पिता जी सामाजिक गतिविधियों मे खूब सक्रिय रहते थे जिसका प्रभाव आप पर भी पडा़ जिससे वकालत के साथ सामाजिक कार्यो में भाग लेने लगे, जहाँ वकालत में आपने अच्छा नाम कमाया वही दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ग प्रशिक्षण लेकर एक प्रशिक्षित स्वयं सेवक होकर उसके कई अनुषांगिक संगठनों की भी जिम्मेदारी आपने निभाया है। आप जिला न्यायालय में शासकीय अधिवक्ता का भी दायित्व निर्वहन किया! भारतीय जनता पार्टी से आपने सीधी विधानसभा से चुनाव भी लड चुके हैं पटवा जी के कार्यकाल में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में आपने अच्छा काम किया है। भाजपा अध्यक्ष के रूप में आपने पार्टी के विस्तार के लिए सदस्यता अभियान चलाया था वहीं वर्ष 1990 मे एकात्मकता यात्रा का नेतृत्व करते हुए डोडा जम्मू कश्मीर में गिरफ्तारी दी थी। राम जन्मभूमि आन्दोलन में आपने राम शिला पूजन कार्यक्रम का संचालन सीधी जिले में किया था! RSS के स्वयं सेवक के नाते इसके विभिन्न अनुषांगिक संगठनों से जुड़े रहे , आप अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कार्य समिति सदस्य के साथ साथ सरस्वती शिशु/ विद्या मंदिर के व्यवस्थापक/ अध्यक्ष रहे हैं 6 दिसम्बर 1992 को जिले से जाने वाले कार सेवको का नेतृत्व आपके द्वारा किया गया था ।

एक वकील वकालत के साथ साथ सामाजिक, राजनीतिक व अन्य गतिविधियों में अनवरत सक्रिय रह कर समाज को दिशा देना यह सहज बात नहीं है , लेकिन लालमणि जी ने अपने सक्रिय समय पर चौतरफा चक्र चलाने में कोई चूक नही की है , तमाम हर विधाओं में सक्रियता के बाबजूद परिणाम के नाम पर खोदा पहाड़ निकली छुहिया हांसिल हुआ है ।



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👉 के.पी.श्रीवास्तव ✍️
वरिष्ठ पत्रकार
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जी हां हम बात कर रहे हैं सीधी के वरिष्ठ पत्रकार सीधी संदेश के संपादक के.पी. श्रीवास्तव की जिनका जन्म 1अगस्त 1948 को सीधी में हुआ आपकी शिक्षा-दीक्षा टीआरएस कालेज रीवा से हुई है , जिन्होने 1970 के दशक में समाजवाद टाइम्स नामक वीकली अखवार से पत्रकारिता का श्रीगणेश करके खुद अखवार मालिक बन गये । हमेशा अपने जज्बात व कलम के धनी रहे के.पी ने " सीधी संदेश "के माध्यम से सीधी के जनमानस के बीच उस समय के आवाम थे । स्थानीय अखबार की सादगी और सरोकार की खबरों में अपना अलग ही स्थान बनाया है। नेता, अधिकारी कर्मचारी सहित आम जनता के बीच के.पी.ने अपनी एक अलग पहचान वनाई है ।

अखवार की खुसबू में 1970 से पले बढे के.पी.श्रीवास्तव ने अपने आपको राजनीति से अछूता नही रखा है , पूर्व विधायक केशव सिंह की विचारधारा से ओतप्रोत होकर प्रजा समाजवादी पार्टी में भी सक्रिय रहे हैं , 1977 के दशक में वह नगरपालिका परिषद सीधी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे और कांग्रेस पार्टी में भी कभी पदाधिकारी हुआ करते थे ।

वर्तमान में प्रिंट मीडिया वह भी वीकली का वजूद कम हुआ है लेकिन वह अपने दमखम पर अपना वर्चस्व कायम रखे हैं। ओल्ड स्कूटर की सवारी में भी उनकी मौजूदगी बरकरार है ।

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