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सीधी : चेहरे चर्चित चार - नेता अफसर विधिक पत्रकार ...

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।



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👉 विनय सिंह "वीनू "✍️

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बालपन से राजनेताओं की गोद में खेलने वाले प्रतिभा के धनी विनय सिंह वीनू का जन्म दिसंबर 1971 में मध्यप्रदेश की हीरानगरी पन्ना में हुआ ,
विनय सिंह की स्कूल शिक्षा की पढ़ाई सरस्वती विद्यालय से हुई,कॉलेज की पढ़ाई में विनयसिंह के पास एमएससी, और एलएलबी की डिग्री प्राप्त है।
विनय सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि काफी समृद्ध और वैभवशाली रही है,
पिता जी यूपी सिंह जी प्रोफेसर पद पर थे, सीधी जहां अब रहते है वह ननिहाल है, नाना जी स्व तिलकराज सिंह जिले के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, उस समय स्व अर्जुन सिंह का उनके यहां आना जाना स्वाभाविक था, तब विनय सिंह की बाल्यावस्था थी तो सहज ही उन सबके गोदी में भी उठा लिए जाते थे, समय के साथ उम्र बढ़ी और विनय सिंह का आकर्षण राजनीति की ओर हो चला, विद्यार्थी जीवन मे भी सरस्वती विद्यालय के दो बार छात्रसंघ अध्यक्ष रहे और विद्या भारती के प्रश्नपत्र जी .के .में भी यह सवाल शामिल होने लगा है ।

पर एक दौर ऐसा आया जब घर वाले पढ़ाई के बाद कुछ और चाह रहे थे कि विन्नू कुछ अलग बने, तो उस समय यूपीएससी की तैयारी करने इलाहाबाद चले गए, लेकिन जो चिंगारी अंदर जल चुकी थी भला वो कहाँ रुकने वाली थी। इसी बीच विनय सिंह एक दुर्घटना के शिकार हुए जिसको याद करते हुए बताते है कि वो एक पुनर्जन्म के ही समान है। वही घटना टर्निंग पॉइंट हो गई, और लौट आये अपने स्वभाव की जिंदगी में और सक्रिय राजनीति में शामिल होने लगे, और 1995 में अर्जुन बिग्रेड का संयोजक बन गए, 1998 में युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष, इसी दौरान जब स्व इंदजीत कुमार जी जनभागीदारी अध्यक्ष थे तब उनकी प्रबंध समिति और सामान्य समिति के सदस्य भी रहे, 2002 में युवा कांग्रेस शहर अध्यक्ष 2004 में युवा कांग्रेस के रीवा जिला के निवाचन अधिकारी भी रहे, 2006 में गांधी आश्रम वर्धा में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ से केवल 15 सदस्यीय प्रशिक्षण था जिसमे अपने प्रदेश से विनय सिंह को भी सुअवसर हांसिल हुआ। सन 2006 में रायबरेली सोनिया गांधी के उपचुनाव में प्रचार प्रसार करने की भी जिम्मेवारी मिली, 2010 में यूपी सेंट्रल में प्रशिक्षण प्रभारी भी रहे, जिसमे 26 लोकसभा और 121 विधानसभा थे,
विनय सिंह ने पूर्व विधायक भंवर साहेब के सांथ वनाधिकार अधिनियम में भी उल्लेखनीय काम करते हुए जागरूकता अभियान पर कार्य किया है।


राजनीतिक घटनाक्रमो को याद करते हुए विनय सिंह बताते है कि बर्तमान कलेक्टर रवीद्र चौधरी जी जब यहां एसडीएम थे तब एक सभा मे स्व इंदजीत कुमार ने अपने संबोधन के बरबस ही कह दिया कि अब हमारे यूथ अध्यक्ष विनय सिंह है, तब मैं आश्चर्य में था लेकिन अगले ही दिन मुझे नियुक्ति पत्र मिल गया। मुझे यूथ कांग्रेस में स्व इंदजीत कुमार ने ही शामिल कराया, पूरे युवक कांग्रेस के कार्यकाल में कमलेश्वर पटेल जी का ही सहयोग और मार्गदर्शन रहा, एक बार बिना हमको सूचित किये तात्कालिक युवा अध्यक्ष मीनाक्षी नटराजन सीधी आ गई तो अध्यक्ष रहते हुए हमने कार्यक्रम का बायकॉट कर दिया, जिसके कारण कुछ आपसी रार बढ़ी तो उन्होंने हमारी कमेटी ही अनुमोदित नही की तो हमने पूर्व मंत्री स्वर्गीय इंदजीत कुमार जी से अनुमोदित करा के कार्यकारणी जारी कर दी। 2003 में पार्टी की प्रदेश में हार के बाद मैं जिले का पहला ऐसा अध्यक्ष था की नैतिकता के आधार पर स्तीफा दे दिया और फिर कई नेताओं के दबाव पर भी वापस नही लिया।
आज विनय सिंह शहर के युवाओं में चर्चित नेता है, जो इतिहास, ज्योतिष, आध्यात्मिक पुनर्जन्म जैसे अनेको गूढ विषयों पर सतत अध्यन और खोज करते रहते है किस्से भी इस क्षेत्र में अनंत हैं । इतना ही नही इनकी एक खासियत और है जब सब रात में सोते हैं तो विनय सिंह वीनू जागरण करतें हैं, परिहार कट्टर कांग्रेसी तो है इसमें कोई शक नहीं, पर जिले के इकलौते ऐसे नेता है जिनको निकटता हर पार्टी के हर नेता की प्राप्त है, इसका क्या राज है ये शायद ही वीनू के अलावा ही कोई जान सके।



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👉 अबधेश सिंह✍️
डीपीओ

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आज हम बात कर रहे है एक ऐसे प्रशासनिक अधिकारी की जो अपने कार्य कौशल और लक्ष्य प्राप्ति के लिए जाने जाते हैं। विभागीय कार्यों को लेकर चाहे कर्मचारी हो या फिर आमजन किसी को निराश करके अपने केबिन से नहीं भेजते । जी हां हम बात कर रहे हैं महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी अवधेश सिंह की जिनका जन्म 24 जनवरी 1971 को हुआ। इनके पिता जी भोपाल की भेल में सेवारत थे। रिटायर होने के बाद वह वर्तमान में योग शिक्षक हैं वही अवधेश जी की माता जी ग्रृहणी है। एक अच्छे घर में पढ़े-बढे़ अवधेश जी की शिक्षा दीक्षा भोपाल में ही हुई। अवधेश जी अपने स्कूल शिक्षा के दौरान क्रीडा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहे हैं जहां उन्होंने जिला स्तरीय प्रतियोगिता में कबड्डी खेल से जिले का प्रतिनिधित्व किया। उनकी आगे की शिक्षा क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय भोपाल से हुई जहां से उन्होंने b.a. किया। इसके बाद उन्होंने कई एनजीओ में कार्य किया जिसमें आरूषि भोपाल प्रमुख है। अवधेश जी प्रारम्भ से ही शारिरिक, मानसिक,भौतिक रूप से सक्षम होने के कारण सामाजिक गतिविधयों में कॉलेज से लेकर आज तक प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।उनकी हमेशा से ही सामाजिक कार्यों में रूचि रही है जिस कारण वह सामाजिक संगठनों से जुड़कर आम लोगों की मदद करते रहते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में निपुण रहने वाले अवधेश जी 1999 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल हुए और परीक्षा पास करने के बाद शासकीय सेवा में आ गए जहां उन्हें परियोजना अधिकारी के पद पर कार्य करने का मौका मिला।उन्होंने सीधी से पहलेटीकमगढ़,खंडवा,होशंगाबाद,रायसेन,भोपाल जैसे जिलों में अपनी सेवाएं दी हैं। अपनी सेवाकाल के दौरान वे कभी भी अपने समक्ष कर्मचारियों और आम नागरिकों को निराश नहीं करते हैं। अवधेश जी लोगों की हर समस्याओं का त्वरित हल निकालते है और कोशिश यह करते हैं कि व्यक्ति को दोबारा उसी काम के लिए मेरे पास ना आना पड़े। अपने इन्हीं नेक कार्यों की वजह से अवधेश जी हमेशा सुर्खियों में रहते हैं और कभी भी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होते।

विभागीय योजनाओं एवं गतिविधि में सीधी हमेशा प्रदेश की सूची में निचले पायदान में रहता था लेकिन जब से अवधेश सिंह ने जिले में दस्तक दी है तब से अधिकतर गतिविधियों में उनका विभाग टॉप 10 में रहता है।
उनके प्रयासों के कारण ही दस्तक अभियान में जिले को प्रथम पुरस्कार मिला था।बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अंतर्गत एक गतिविधि वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स में शामिल है जो अपने आप में ही जिले वासियों के लिए गौरव की बात है। किल कोरोना अभियान का संचालन,कांटेक्ट ट्रेसिंग,टीकाकरण अभियान में पूरे टीम के साथ पिछले कोरोना काल से लगातार लगे है।



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👉श्रीमती निशा मिश्रा✍️
एडवोकेट


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जब एक महिला शिक्षित व कानून की जानकारी के साथ समाज में व्याप्त वुराइयो से लड़ने तथा उनके हित संवर्धन के लिए कुछ अच्छा करने की ललक के साथ समाजसेवा मे उतरती है तो निश्चित रूप से समाज में वह नाम चर्चित होगा ही, वह है महिला अधिवक्ता श्रीमती निशा मिश्रा जिनका जन्म सीधी में वर्ष 1975 मे हुआ, प्रारंभिक शिक्षा दिक्षा सतना मे हुई, जबकि उच्च शिक्षा प्रमोद मिश्र के साथ विवाहोपरांत सीधी महाविद्यालय से हुई, टापर छात्र रही श्री मिश्रा की शिक्षा MA समाजशास्त्र, MSW, PGDCA, D Ad, LLB की डिग्री शासकीय संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से प्राप्त किया, वकालत की डिग्री हासिल कर इन्होंने महिला समाज में जागरूकता के कार्य मे लग गयी तथा वर्ष 2001 मे समाजसेवा के रूप में पुलिस परामर्श केंद्र सीधी मे कोआर्डिनेटर के पद पर रही उस दौरान कई परिवारों को आपसी सुलह समझौता करा कर परिवार को टूटने से बचाया, जिला प्रशासन के द्वारा इनके सामाजिक कार्यो में अच्छी भूमिका के लिए वर्ष 2006 , 2007,2008 व 2010 में सम्मानित किया गया, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत महिलाओं के संरक्षण के लिए सराहनीय कार्य इनके द्वारा किया गया, वर्ष 2014 मे ये स्थानीय परिवार समिति की अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद महिलाओं को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रही है, श्रीमती निशा मिश्रा वर्तमान में बाल कल्याण समिति न्यायपीठ की सदस्य है तथा बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रही है इनके द्वारा महिलाओं के उत्थान व जागरूक के लिए कैसे कार्य करना है इसके लिए ये इन्दौर, भोपाल की संस्थाओ से समय समय पर प्रशिक्षण प्राप्त करती रहती है, इनकी विशेष रुचि महिलाओं के उत्थान में है, कुल मिलाकर श्रीमती मिश्रा समाजसेवा के साथ साथ कुशल गृहणी के रूप में अपने पारिवारिक दायित्वों का बाखूबी निर्वहन करती हुई समाज के हितों के लिए संघर्षरत रहने की बलवती इच्छा रखती है ।



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👉 कप्तान सिंह ✍️
वरिष्ठ पत्रकार

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1985 से 2000 के दौर में सीधी जिले में एक ऐसे क्रांतिकारी पत्रकार का उदय हुआ जिसने अपनी मजबूत कलम की धार से ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के पसीने छुड़ा दिए थे। जी हां हम बात कर रहे हैं सीधी जिले के दो दशक पहले ऐसे ही कलमकार की जिनका नाम है कप्तान सिंह। सीधी जिले के वरिष्ठ पत्रकार रहे कप्तान सिंह का जन्म 10 जुलाई 1956 को सतना जिले के अमिलिया में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा यहीं से हुई उन्होंने बीए और एलएलबी करने के उपरांत छात्र राजनीति के दौरान सामाजिक विचारधारा से ओतप्रोत होकर पत्रकार स्वर्गीय चारू झा एवं जय नारायण शर्मा व श्रीमुनि आचार्य जैसे अन्य क्रांतिकारियों के साथ आमजन की समस्याओं को लेकर आंदोलन भी किया।

और यहीं से उनका 1976 से पत्रकारिता की ओर रुझान बढ़ा और सतना जिले से पत्रकारिता प्रारंभ किया। वक्त बदला और सीधी में एक नई पारी खेलने के लिए क्रांतिकारी पत्रकार कप्तान सिंह आज से चार दशक पहले यानी की 1985 के दशक में सीधी आ गए। तब से वह सीधी के समीकरणों में घुल मिलकर अपनी पेनी कलम के कारण " मामा " के नाम से हमेशा ही सुर्खियों में बने रहे। उस दौर में ब्लैक एंड वाइट वाले दैनिक जागरण से सीधी में आगाज करने वाले कप्तान सिंह ने अपने नाम का झंडा बुलंद किया। तकरीबन 10 वर्ष तक दैनिक जागरण के साथ कार्य करने के बाद उन्होंने दैनिक जागरण को अलविदा कहते हुए नवस्वदेश और देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में कार्य किया, और फिर वे 2012 में सीधी छोड़कर कटनी चले गए।

सीधी में करीब 25 वर्षों तक पत्रकारिता की पारी खेलने वाले कप्तान सिंह के ब्यूरोक्रेट्स से अच्छे संबंध रहे हैं लेकिन कप्तान सिंह कब किसके खिलाफ लिख दें कोई ठिकाना नहीं रहता था। उनका एक ही तकिया कलाम "हल्कारा" शब्द और उनकी ओल्ड स्कूटी सीधी के गलियारों में हमेशा चर्चाओं का विषय बनी रहती थी।

वरिष्ठ पत्रकार कप्तान सिंह जी का अगर जिक्र मैं आप सबके सामने कर रहा हूं तो मुझे 1997 का एक वाक्या स्मरण हो रहा है जो कप्तान सिंह जी के द्वारा लिखी अखबार की हेड लाइन से जुड़ी हुई है। घटना यह थी कि सीधी जिले के तत्कालीन कलेक्टर रहे बी पी सिंह मझौली के दौरे पर गए हुए थे और सीधी - मझौली रोड में एक बस ड्राइवर ने कलेक्टर साहब की गाड़ी को साइड नहीं दिया। फिर क्या कलेक्टर साहब भड़क गए और गुस्सा होकर अपनी गाड़ी को बस के सामने लाकर खड़ा कर दिया। कलेक्टर साहब ने बस के ड्राइवर को बस से नीचे उतारा और ड्राइवर को गुस्से में दे दना दन चाटे जड़ दिए। और इसके बाद बस के ड्राइवर ने नाराज होकर मझौली थाने में जाकर कलेक्टर बीपी सिंह के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा दिया। उस वक्त मझौली के तत्कालीन टी आई यू एन एस परिहार ने कलेक्टर के खिलाफ असमंजस की स्थित में f.i.r. तो दर्ज कर लिया लेकिन उस समय के हालात काफी ज्यादा खराब थे। क्योंकि उस वक्त जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन दोनों के बीच में बड़ी गहरी खाई थी। मध्य प्रदेश के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी गांजी राम मीणा जो उस वक्त सीधी जिले के एसपी थे उन्ही के अंदरूनी निर्देशन पर पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर ली उस वक्त गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय की स्थिति में पूरा पुलिस अमला हैरत में था।


इस घटना को लेकर के जिले के वरिष्ठ पत्रकार कप्तान सिंह ने लीड खबर बनाई थी। कप्तान सिंह ने लिखा था कि "बस के चालक को कलेक्टर ने मारा चाटा, मझौली TI ने किया कलेक्टर के खिलाफ एफ आई आर" इस खबर से जिले में चारों ओर तत्कालिक एसपी गाजी राम मीणा और वरिष्ठ पत्रकार कप्तान सिंह ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।
इस तरह कप्तान सिंह जैसे पत्रकार सीधी जिले के लिए एक सम्मानित और चर्चित पत्रकार रहे हैं। पत्रकारिता जगत में उस दौर की जनमानस कप्तान सिंह की कलम को नहीं भुला सकती। कप्तान सिंह इस वक्त सतना और कटनी जिले मैं अपनी पत्रकारिता के माध्यम से आम जन की आवाज बने हुए हैं।

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