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सीधी : चेहरे चर्चित चार - नेता अफसर विधिक पत्रकार ...

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 नवलदास आहूजा ✍️
पूर्व अध्यक्ष
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आज एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसका जन्म 1928 में अविभाजित पाकिस्तान के जिला खैरपुर में हुआ, बंटवारे में अज्ञात मंजिल और रास्ते के भटकाव में किस्मत ने परिवार को सीधी पहुचा दिया, व्यापारिक परिवेश के समाज का होने के कारण 20 साल बाद 1965 में यही व्यक्ति जिले का व्यापारी संघ अध्यक्ष बन जाता है, और लगभग चार दसक तक व्यापारियों का प्रिय नेता बना रहता है। फिर किस्मत ने नई बड़ी सौगात तब दी जब यह व्यक्ति सन 2002 में किसी बात को लेकर तात्कालिक मंत्री इंदजीत कुमार जी के पास मिलने भोपाल जाता है, मेल मुलाकात के दौरान जब ये इंदजीत कुमार के पास बैठे रहते है इत्तेफाक से इंदजीत कुमार जी के टेबुल पर रखा फोंन बजता है, जिसमे सीधी नगरपालिका अध्यक्ष पद के टिकिट के उम्मीदवार के चयन की बात हो रही थी, फोंन पर दूसरी तरफ स्व अर्जुन सिंह जी थे, जो पूछ रहे थे कि किसको प्रत्यासी बनाया जाए, तो इंदजीत कुमार ने कहा कि एक व्यक्ति तो मेरे पास बैठे ही है, इनको ही कर दिया जाए, परिचय देते हुए बताया कि नवल चाचा, स्व अर्जुन सिंह ने कहा कि पूछ लीजिये अगर चाहे तो ठीक है।

बस यही किस्मत का निर्णायक मोड़ बना, और नवलदास आहूजा को पार्टी ने प्रत्यासी बना दिया, इंदजीत कुमार सीधी से विधायक भी थे, और उनके चयन में नवलदास खरे उतरे, और चुनाव में जीत हासिल कर नगरपालिका अध्यक्ष बन गए।
नवलदास आहूजा की राजनीतिक शुरुआत तो पूर्व मंत्री चंद्रप्रताप तिवारी, और विधायक केशव सिंह के सांथ हुई थी, बाद में स्व अर्जुन सिंह जी का साथ पसंद आया और उनके साथ जुड़ कर पार्टी में काम करने लगे, नवल चाचा बताते है कि जब अर्जुन सिंह जी उमरिया से चुनाव लड़े थे, तब भी हमें प्रचार कराने उमरिया ले गए थे, वहां भी सिंधियों की जन संख्या ज्यादा है, और हमने पूरी तन्मयता से प्रचार किया जिसमें कुँवर साहेब जीत भी गए। आज भले ही अवस्था के कारण नवल चाचा राजनीतिक तामझाम से दूर हों, लेकिन उनकी स्वीकार्यता और सम्मान हर पार्टी के नेताओ में है, क्योंकि नवल चाचा ने नगरपालिका अध्यक्ष रहते हुए, दल गत राजनीति से ऊपर उठकर काम किया जो शायद ही कोई कर पाता है, इसी लिए आज के दौर में नवल चचा सब नेताओ के खास और पसंदीदा नेता है।

" नवल चाचा " के नाम से ख्याति हांसिल इस चर्चित चेहरे ने अक्सर हर दल के दिलों में राज किया है , केदारनाथ शुक्ल जैसे बीजेपी विधायक के मन में नवल चाचा का सम्मान हैं वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सार्वजनिक रूप से भी उनके सम्मान में कोई गुरेज नही की , पढाई के नाम पर नवल चाचा ने भले ही स्कूल का मुंह नही देखा ..पढा नही किंतु लढा है ,चाचा की समझ चाचा की योग्यता किसी एक ग्रेजुएट से कम नही है,और हां चाचा की एक कमी जरूर अक्सर खलती है जो आज भी कायम है 🦻


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👉 श्रीमती गायत्री तिवारी✍️
डीएसपी

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आज चर्चित चेहरे में जिक्र एक ऐसे महिला पुलिस अधिकारी की जिसको विद्यार्थी जीवन मे ख्वाब कुछ और डिग्री डॉक्टर की , उन्होंने राजधानी भोपाल के नामी संस्थान बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से BAMS की पढ़ाई भी की। लेकिन पढ़ाई के दौरान ही शादी हो गई, तो जीवन पारिवारिक बंधन में हो गया, लेकिन मन मे जुनून था कुछ करने का तो उन्होंने संघर्ष नही छोड़ा, 2012 में एस .आई . का एग्जाम का फॉर्म भरा, पढ़ाई में मेहनत भरपूर करने के कारण विश्वाश भी था, और किस्मत ने साथ दिया तो दो स्टार के साथ खाकी बर्दी मिल गई ये है बर्तमान सीधी में अजाक्स डीएसपी गायत्री तिवारी। जिनका जन्म 1987 में हुआ, इनकी स्कूलिंग शिक्षा सरस्वती स्कूल शहडोल से हुई। कॉलेज की पढ़ाई भोपाल से हुई।

डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद पुलिस अधिकारी गईं ....? 2012 में एसआई के पोस्ट में ज्वाइनिंग करने के बाद वह 6 वर्षों तक दो फूल के सहारे देशभक्ति जनसेवा में समर्पित रही । और 2018 में डीएसपी के पद पर चयनित हो गईं। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 2020 में उमरिया में पोस्टिंग हुई और जनवरी 2021 से वह सीधी में डीएसपी AJK हैं , उमरिया में पनपे सूदखोरी के मामले में इन्होंने एक बहुत बड़े भ्र्ष्टाचार का उजागर किया था, गायत्री तिवारी उस प्रकरण को बताती है कि जब उनकी पोस्टिंग उमरिया में हुई तब वहां सूदखोरी खूब पनप रही थी, कुछ लोंगो द्वारा हरिजन आदिवासियों से ठगी की जा रही थी जिसमे एक प्रकरण में 16 लाख रुपये ठग लिए गए थे। इस चर्चित प्रकरण में पीड़ितों को न्याय दिलाते हुए गायत्री तिवारी ने पूरे पैसे वापस करा कर एक अच्छे लोकसेवक होने का परिचय दिया था।

वर्तमान में गायत्री तिवारी डीएसपी अजाक्स और हेडक्वाटर में एक सराहनीय अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी निभा रही है, कोरोना काल के भीषण समय मे गायत्री तिवारी भी जान जोखिम में रखते हुए हर समय पीड़ितों की मदद में तत्पर दिखाई दी।
और उमरिया के तर्ज पर सीधी में भी गायत्री द्वारा आदिवासियों के नाम पर ऋण माफियाओं द्वारा कूटरचित किये गये ट्रेक्टर घोटाले के पर्दाफाश में भी योगदान उल्लेखनीय है । सामाजिक और सुरक्षा के मोर्चे पर आज भी बेटियों के लिये काफी चुनौतियां है लेकिन अगर लक्ष्य प्राप्ति का इरादा मजबूत हो तो कठिन मंजिल भी आसान लगने लगती है। जज्बा, जुनून और लक्ष्य हासिल करने का हौसला हो तो कैसे हर संकट से निपटा जा सकता है, श्रीमती गायत्री एक जीता जागता उदाहरण हैं ।



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👉 अरविंद शुक्ल ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता
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छात्र जीवन से क्रांतिकारी विचारधारा की चिंगारी जिसके मन मस्तिक में जमा हो भला वह कैसे शांत रह सकता है, कैसे अपमान का घूंट पी सकता है , अपने सिद्धांतों पर अडिग एक ऐसा युवा छात्रनेता जिसने अपने उसूल से समझौता नही किया और अपने मित्रों के साथ एक चर्चित एसपी को ललकारने में पीछे नही हटा .... जी हां हम बात कर रहे हैं विधि क्षेत्र के एक जुझारू अधिवक्ता की जिन्होंने ठाना कुछ और था किंतु किस्मत से वह आज एक अच्छे वकील हैं । वरिष्ठ एडवोकेट अरविंद शुक्ल जी का जन्म 27-06-1967 मे रायसेन जिले में हुआ था इनके पिता जी वन विभाग में कार्यरत थे इसलिए प्रारंभिक शिक्षा रायसेन व सागर में हुई, पिता जी के सीधी स्थानांतरण होने के बाद की शिक्षा दीक्षा सीधी मे हुई, वर्ष 1981-82 मे शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीधी से हायर सेकेण्ड्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर संजय गांधी महाविद्यालय से वाणिज्य संकाय में स्नातक किया, इस दौरान छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेकर छात्र संघ के सह सचिव निर्वाचित हुए , वाणिज्य संकाय के फाइनल ईयर में छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर भी इन्होंने चुनाव लडा था जिसमें सफलता नहीं मिली, 90 के दशक में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री बी पी सिंह के द्वारा मंडल आयोग को लागू कर आरक्षण बढाया गया था उस समय क्रांतिकारी के रूप मे उभरे श्री शुक्ल आरक्षण के विरोध में कालेज के छात्रों को संगठित कर महीनों तक आन्दोलन करते रहे इसी बीच 26 जनवरी 1991 को इन्हें व इनके चार अन्य साथियों के ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर रीवा जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया ।

लगभग 12 दिन केन्द्रीय जेल रीवा से जमानत होने पर छोडा़ गया, इसके बाद अरविंद शुक्ल जी ने सक्रिय राजनीति में वर्तमान सांसद राज्य सभा अजय प्रताप सिंह जी के नेतृत्व में भाजपा में सामिल होकर युवा मोर्चा में नगर अध्यक्ष एवं भाजपा युवा मोर्चा के जिला महामंत्री के दायित्व का निर्वहन किया,उसी दौर में इन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में जुडकर दैनिक राज रथ संदेश समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ भी रहे हैं , अरविंद शुक्ल वर्ष 1995 मे LLB की डिग्री हासिल कर वकालत की शुरुआत जिला न्यायालय सीधी में किया जो निरंतर आज तक बडे लगन मेहनत से लोगों को न्याय दिलाने में लगे हुए है तथा जिला न्यायालय मे लीगल एड में चयनित अधिवक्ताओं में शामिल होकर निर्धन परिवारों की पैरवी नि:शुल्क कर रहे हैं , ये मध्यप्रदेश राज्य आवास संघ स्टेट केयर हाउसिंग कार्पोरेशन ओरियेन्टल इन्श्योरेंस कम्पनी के अधिवक्ता भी है, श्री शुक्ल वर्ष 2002 से 2004 तक जिला अधिवक्ता संघ सीधी के सचिव के पद पर भी रहे हैं , श्री अरविंद पिछले विधानसभा चुनाव में सीधी विधानसभा से सपाक्स के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे वर्तमान में सपाक्स के जिला अध्यक्ष के दायित्व पर है। कुल मिलाकर एडवोकेट अरविंद जी अपनी पूरी ऊर्जा के साथ विधि व्यवसाय में पक्षकारों के लिए समर्पित भाव से पैरवी कर न्याय दिलाने में पूरी तन्मयता से लगे रहते हैं।



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👉 अमित सिंह बघेल ✍️
वरिष्ठ पत्रकार
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हंसि बोले रघुवंश कुमारा विधि का लिखा को मैटन हारा । कालेज की पढाई के दौरान साहित्य के बिषय ने किस्मत के पत्ते पलट दिये और फिर साहित्य प्रेम परवान चढ गया ...जी हां आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे पत्रकार की जो अनचाहे में पत्रकार बन गये ....वर्ष 1982 में सिहावल विकासखंड के मझरेटी गांव में जन्मे अमित सिंह बघेल का यही कहना है कॉलेज की शिक्षा तक उन्हें बिल्कुल नहीं पता था कि उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखना होगा , किंतु कॉलेज में बीए की पढ़ाई में हिंदी साहित्य विषय शामिल होने के चलते अखबारों में वरिष्ठ लेखकों के आने वाले लेख धीरे धीरे प्रभावित कर गए और पत्रकारिता की ओर आने का मन बन गया ,अमित बताते हैं कि उनके पिताजी विजय प्रताप सिंह पेशे से शिक्षक रहे हैं । प्रारंभिक शिक्षा प्राइवेट स्कूल के बाद हाई स्कूल की शिक्षा शासकीय हाई स्कूल उपनी और इसके बाद हायर सेकेंडरी की शिक्षा सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मड़रिया सीधी से पूरी और संजय गांधी महाविद्यालय सीधी में स्नातक एवं स्नातकोत्तर की पढ़ाई वर्ष 2005 में पूरी करने के बाद वर्ष 2006 से पत्रकारिता में श्री गणेश कर गये ।


अमित ने पत्रकारिता की पाठशाला दैनिक भास्कर समाचार पत्र से शुरू की है और बाद में समय-समय पर कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा ,धीरे धीरे अलग-अलग अनुभव मिलते गए और पत्रकारिता की गाड़ी आगे की ओर बढ़ती गई लेकिन पढाई नही छोड़ी B.Ed की शिक्षा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से व कंप्यूटर शिक्षा पीजीडीसीए की पढ़ाई पूरी कर डाली । शुरुआती दौर की पत्रकारिता के संबंध में उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ दशक पहले मोबाइल फेसबुक , व्हाट्सएप का समय नहीं था स्पाट पर जाकर रिपोर्टिंग करनी होती थी टेलीफोन के जरिए थाना अंतर्गत आने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती थी हर दिन सिटी कोतवाली व जिला अस्पताल जाकर खबरें बनानी होती थी इसके अलावा अन्य घटना दुर्घटना एवं कार्यक्रमों की जानकारी सीधे मौके पर जाकर ही लेनी होती थी एक खबर को तैयार करने में काफी समय लगता था। उन दिनों फोन बहुत कम लोगों के पास होता था किंतु समय बदला और डिजिटल क्रांति आई जिससे अब सभी न्यूज आइटम मोबाइल से उपलब्ध होने लगे हैं । मेल के जरिए समाचार अखबारों के दफ्तरों तक आ जाते हैं फेसबुक व्हाट्सएप ने पत्रकारिता में तेजी तो लाया है लेकिन विश्वसनीयता संदेह के दायरे में हो गई है ।वर्ष 2006 से दैनिक भास्कर समाचार पत्र से शुरुआत कर लगातार 11 वर्षों तक कार्य करने के उपरांत स्टार समाचार ज्वाइन किया और वर्ष 2020 तक कार्य करने के बाद स्टार समाचार को वाय वाय कहना पडा़ और तब से अब तक नवभारत समाचार पत्र में पत्रकारिता कर रहे हैं ।


अमित सिंह की पत्रकारों के बीच में लोकप्रियता है यही कारण है कि वह मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ जिला इकाई सीधी के अध्यक्ष पद पर तीन बार लगातार निर्विरोध जिला अध्यक्ष चुने गए । जहां वह जिले के पत्रकारों की आवाज बुलंद करते रहे हैं । गत माह पूर्व उन्हें मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ रीवा संभाग में संभागीय उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया है ऐसे में श्री सिंह पत्रकार संगठन में भी काफी समय से सक्रिय हैं जिनके सक्रियता का लाभ संगठन को भी समय-समय पर मिलता है।तकरीबन 15 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत से उतार-चढ़ाव आए लेकिन अमित अमिट छाप छोड़ते गए , मिलनसार और प्रतिभावान इस पत्रकार के पीछे एक सबसे बड़ी खूबी है जो इन्हे पता है या फिर हम जैसे पत्रकार जो अक्सर अमित को टोंकटांक करते रहते हैं ।

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