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Home सीधी दर्पण बसंत पंचमी पर प्रलेस द्वारा महाप्राण निराला जयंती मनाई गई..

बसंत पंचमी पर प्रलेस द्वारा महाप्राण निराला जयंती मनाई गई..

सीधी(ईन्यूज़ एमपी): बसंत पंचमी के अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ जिला इकाई सीधी द्वारा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जयंती पर सुधर्मा भवन शिवाजी नगर नौढिया में आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. अनिल सिंह 'सत्यप्रिय' ने की। मुख्य अतिथि प्रलेस इकाई सीधी के अध्यक्ष सोमेश्वर सिंह रहे।अपने उद्बोधन में प्रोफेसर अनिल सिंह ने कहा कि- सामाजिक समरसता, मनुष्यता एवं भाईचारे के पक्ष में जो संघर्ष करता है वह महाप्राण बनता है। शोषणकारी ताकतों के विरुद्ध जो सृजन करता है वह महाप्राण बनता है। लेकिन आजकल संत महंत और साहित्यकार भी सर्वग्रासी राजनीति की जी हुजूरी में लगे हैं ऐसे लोग इनाम अकराम पद और प्रतिष्ठा तो पा सकते हैं किंतु महाप्राण नहीं बन सकते। महाप्राण निराला बनने के लिए अभाव सहना पड़ता है।अंधेरी शक्तियों के विरुद्ध मशाल जलाना पड़ता है, विष पीकर अमृत बांटना पड़ता है।उन्होंने अपने वक्तव्य में निराला के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने की बात कही।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ ,जिला इकाई के अध्यक्ष , वरिष्ठ अधिवक्ता एवं साहित्यकार सोमेश्वर सिंह 'सोम' के द्वारा मनुष्य के मूल स्वभाव और चरित्र में प्रगतिशीलता होने के साथ साथ समाज की जड़ता और सत्ता की निरंकुशता का सामना करने के लिए निराला की सभी रचना को महत्वपूर्ण बताया गया और इन्होंने ने बताया की निराला का साहित्य दया , करुणा और जिजीविषा से तो भरपूर है ही सबसे महत्वपूर्ण यह है की उनका साहित्य पाठक में अंधेरे और पूंजीपतियों के विरुद्ध आक्रोश पैदा करता है और बताया की अच्छे लेखन और पाठन के लिए अध्ययनशील होना अति आवश्यक हैं ।
आयोजन के विशिष्ट अतिथि अशोक तिवारी 'अकेला' ने अपने व्याख्यान में निराला के संपूर्ण व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि निराला निश्छल कवि थे और जीवन में कई तरह के अभाव के बावजूद भी कभी नहीं झुके । विशिष्ट अतिथि डॉ. कमलापति गौतम 'कमल' ने निराला जी को मानवता और मनुष्यता का प्रतीक कहा और अपनी रचना "विंध्य वाटिका के हम माली" का पाठ किया । के. एम. मिश्र 'कौस्तुभ' ने कहा कि निराला जी ने कभी भी सिद्धांत से समझौता नहीं किया और अपनी रचना "राधिका बसी हुई महंत साधु संत में" का पाठ किया । डॉ. हरिविलाश गुप्ता ने अपने वक्तव्य में निराला के लेखन को यथार्थवादी लेखन बताया और अपनी रचना "मां वीणा पाणी तेरी अथक कहानी" का पाठ किया । पूर्व प्राचार्य रामराज यादव 'विकल्प' ने निराला के कविता में आशा और उन्हें बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ निराला को मजदूर और शोषित लोगों का कवि माना और अपनी रचना "हथेली पर सरसों उगाने" का पाठ किया ।
आयोजन का संचालन आदर्श सिंह के द्वारा किया गया और इन्होंने अपने संचालन से उपस्थितिजन को अभिभूत करते हुए बताया की निराला के लेखन को आत्मसात किया जाना चाहिए और उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाओं को याद करते हुए निराला की कविता "गहन है यह अंधकारा ,स्वार्थ के अवगुंठनों से ,हुआ है लुंठन हमारा" का पाठ किया और स्वार्थ के पर्दे से बाहर आने पर जोर दिया । मयंक सिंह के द्वारा निराला के साहित्य की समग्रता को समेटते हुए आभार प्रगट किया गया । इस सुंदर आयोजन में साहित्यकार , कविजन एवं अन्य सामान्यजन उपस्थित रहें।

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