(ईन्यूज़एमपी)-आज जहां हर कोई अपने बच्चे को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाने की ख्वाहिश पाले हुए हैं| ऐसे में महेंगे और प्राइवेट स्कूल में अच्छी शिक्षा का मोह पालने वाले माता-पिता को, छत्तीसगढ के बलरामपुर कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने बड़ा संदेश दिया है| छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपनी बच्ची का दाखिला जिले के ही सरकारी स्कूल में कराया है. इससे माना जा रहा है कि अब बलरामपुर जिले के सरकारी स्कूलों के शिक्षा स्तर में सुधार होगा| अवनीश कुमार शरण हमेशा से ही शिक्षा के स्तर को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं| इन्होंने न तो कभी शिक्षा में लापरवाही बर्दाश्त की और न ही कभी शिक्षकों को कोताही बरतने दी है. इसे लेकर वे राजधानी में भी अपनी पदस्थापना के दौरान सुर्खियों में रहे हैं| सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले को हर दृष्टि से काफी पिछड़ा माना जाता है| ऐसे समय में बलरामपुर के कलेक्टर अवनीश शरण ने लगातार शिक्षा के क्षेत्र में कई पहल की है और बलरामपुर जिले के बच्चों ने भी कुछ कर के दिखाया| बलरामपुर जिले में शिक्षा की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास भी किए जा रहे है| इस बीच मंगलवार को बलरामपुर कलेक्टर अपनी पांच वर्षीय सुपुत्री को लेकर जिला मुख्यालय में स्थित प्राथमिक शाला पहुंचे| इतना ही नहीं बकायदा उन्होंने स्कूल में बच्चों के लिए रखे बेंच में बैठकर अपनी सुपुत्री को प्रवेश दिलाया| उनके इस कदम से स्कूल के प्रधानपाठक व स्कूल के अन्य शिक्षक व सहपाठी बच्चे काफी उत्साहित नजर आए| शरण ने कहा,ये बात मीडिया के लिए एक खबर हो सकती है, लेकिन मेरे लिए तो सिर्फ एक कर्तव्य है| इस पहल से हो सकता है लोग सरकारी स्कूलों की शिक्षा से जुड़ें| उन्होंने कहा कि बलरामपुर में हाल ही में शुरू हुए प्रज्ञा प्राथमिक शाला में अपनी बेटी वेदिका शरण का पहली कक्षा में एडमिशन कराया है| इससे पहले उन्होंने अपनी बच्ची को एक साल तक आंगनबाड़ी में पढ़ने के लिए भेजा था| बलरामपुर जिले में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए उड़ान और पहल जैसी योजनाएं भी लांच कीं इन योजनाओं की तारीफ खुद सूबे के मुखिया सीएम रमन सिंह कर चुके हैं| बताया जा रहा है कि जिले में नए खुले प्रज्ञा प्राइमरी स्कूल में हाइटेक तरीके से बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था है| कमरों में एलईडी मॉनीटर लगे हैं| शिक्षक भी हाइटेक पढ़ाई के लिए प्रशिक्षित हैं, जिले के छह ब्लॉक में इसी तर्ज पर स्कूल खोले जाने की योजना प्रदेश सरकार की है| सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई को लेकर अक्सर सवालिया निशान लगता रहा है| यही नहीं सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता और अनुशासनहीनता की खबरे अक्सर सुर्ख़ियों में रहती है. इसका असर सरकारी स्कूलों की छवि पर सीधा पड़ा है| बड़े अफसर हों या व्यापारी और मध्यम वर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखने वाला एक बड़ा वर्ग, अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने की बजाय प्राइवेट स्कूल में कराना मुनासिब समझता है|