दिल्ली(ईन्यूज़ एमपी)- केन्द्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को विश्वास दिलाया कि वह डेटा संरक्षण के लिए नियामक तंत्र तैयार करेगा। केन्द्र की ओर से कहा गया कि डेटा लोगों के मौलिक अधिकार से जुड़ा है। केन्द्र ने यह दलील न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने दी। यह पीठ लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप की 2016 की निजता नीति के विवादित मुद्दे की जांच कर रही है। दलीलों के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी एस नरसिंह ने कहा कि उपयोगकर्ताओं को डेटा संविधान में दिये गये जीवन जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में निहित है। उन्होंने कहा, उपयोगकर्ता का डेटा व्यक्तित्व से जुड़ा है और यह (संविधान के) अनुच्छेद 21 का आंतरिक हिस्सा है। अगर कोई अनुबंधित बाध्यता इसे चोट पहुंचाती है तो इसके अपने प्रभाव होंगे। हम (डेटा संरक्षण पर) नियम तय करेंगे।पीठ ने कहा कि उसे इस बात पर स्थिति स्पष्ट करनी होगी कि डेटा का कहां प्रयोग हो सकता है और कहां दुरुपयोग हो सकता है। व्हाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि मोबाइल एप नियामक तंत्र के खिलाफ नहीं है और उपयोगकर्ता को कोई भी डेटा मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं होता। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद आगे की सुनवाई के लिए छह सितंबर की तारीख तय की क्योंकि तब तक नौ न्यायाधीशों की पीठ निजता के अधिकार पर अपना फैसला सुना सकती है।