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सीधी;चेहरे चर्चित चार, नेता अफसर - विधिक पत्रकार

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।

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👉 कमलेश्वर पटेल ✍️
विधायक - सिहावल
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प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेताओ में सुमार पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल की प्राथमिक शिक्षा पैत्रिक गाँव की स्कूल सुपेला में हुई, फिर पड़ोस के गांव हिनौती, और हाई स्कूल से हायर सेकेंड्री की पढ़ाई उत्कृष्ट विद्यालय सीधी क्रमांक एक मे हुई। कमलेश्वर शुरू से बहुत तर्कशील और वाकपटु के धनी थे। उनकी रूचि डॉक्टर बनने की थी, इस अनुसार भोपाल में उन्होंने पीएमटी कोचिंग भी शुरू की परंतु नियति ने तो कुछ और ही लिखा था जो शायद उस वक़्त कमलेश्वर भी नही समझते थे, पिता जी एक दिग्गज नेता थे, और दिग्गज मंत्री थे, जिससे कुछ जनसेवा का कार्य में लोग इनसे भी मिलते, ये भी लोंगो की सेवा में ऐसे रम गए कि डॉक्टर बनने की सीढ़ी बदल गई, और आमूलचूल परिवर्तन हो गया, और कमलेश्वर के अंदर राजनीति की चिंगारी थी ही, जो सुलग पड़ी, और पहला राजनैतिक पद सीधी जिला छात्र संगठन में महामंत्री के रूप में शुरुआत हुई, फिर प्रदेश में छात्र संगठन व राष्ट्रीय छात्र संगठन में पदाधिकारी रहे, देश की राजनीति ने जब एक दिलचश्प मोड़ लिया था, जब तिवारी कांग्रेस के छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं । फिर पार्टी विलय होने पर युवा काँग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष बने तब तक शिक्षा स्नातक और कानून की पढ़ाई भी पूरी हुई।
फिर पार्टी ने बड़ा पद देते हुये युवा कांग्रेस पिछड़ा वर्ग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया।
प्रखर बुद्धि के कमलेश्वर ने यहां भी एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह एक लंबा स्टोक जड़ा और पिछड़ा वर्ग का बड़ा प्रदेश अधिवेशन करा दिया, कार्यक्रम की भीड़ ने उसे ऐतिहासिक बना दिया जिसमे प्रदेश के तमाम बड़े नेता भी उस अधिवेशन की अतिथि बनकर भी मंच पर उपस्थित हुए, युवा कांग्रेस के तात्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष रणदीप सुरजेवाला भी अतिथि के रूप में थे, वो उनकी राजनीति का टर्निंग पॉइंट साबित हो गया, अब कमलेश्वर पर निगाह राष्ट्रीय नेताओ की हो गई। कुछ ही दिन में कमलेश्वर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव नियुक्त कर दिए गए
जिसमे 5 साल कार्यकाल था, इस दौरान उनको दांडी यात्रा करने का मौका मिला, 390 किलोमीटर साबरमती आश्रम से दांडी तक, पैदल यात्रा की, जिसमे हर प्रदेश से दो लोगो की मौका मिला था, फिर तीन वर्ष महासचिव पद पर रहे, इस पूरे दौरान भारत के दर्जन भर हिंदी भाषी राज्यो के प्रभारी रहते हुए, राष्ट्रीय राजनीति पर अपनी अलग चमक छोड़ी।
दूसरी तरफ इसी समय राहुल गांधी भी राजनीतिक गलियारे में उठना बैठना शुरू किया था, उस समय कमलेश्वर युवा कांग्रेस में दमदार नेता के रूप में दिख रहे थे, राहुल गांधी ने इन्हें उत्तरप्रदेश का प्रभारी बना दिया जहां उनकी खुद की बहुत रुचि थी, कमलेश्वर ने वहां भी संगठन को मजबूत करते हुए युवाओं को जोड़ा, उस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करते हुए बाइस सीट चुनाव जीती जिसमे काफी युवा जीते और मंत्री भी बने।
2009 में इन्हें राहुल गांधी जी के टूर प्रोग्रामर की जिम्मेवारी मिली।
इसके बाद एक साल बाद कमलेश्वर ने प्रदेश और क्षेत्र की राजनीति की ओर अग्रसर हुए, तो जिले भर में कांग्रेस ने धरना आंदोलन और रैलियां करके उस समय एक उफान ला दिया था , कार्यक्रम की रैलियां सारे रिकॉर्ड तोड़ रही थी यहीं से कमलेश्वर का आगाज था जिसे देखकर जानकर लोग समझ गए थे नेता उगलने वाली सीधी की धरती से फिर एक बड़ा नेता मिल गया है, तब उन्हें प्रदेश कांग्रेस में सचिव, और जल्दी ही महासचिव बना दिया गया।

सौभाग्य के धनी कमलेश्वर के पास भीष्म जैसे जमीनी अनुभव के धनी उनके पिता स्व इंद्रजीत कुमार जी थे, जिनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद लेते हुए, सभी वर्ग और जातियो का अपार स्नेह प्राप्त कर 2013 में पहली बार चुनाव लड़े, तो अच्छे मतों से जीत के विधायक बनें, फिर कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर प्रदेश उपाध्यक्ष बने, दूसरी बार फिर लगभग उतने ही मतों से जीतकर विधायक और प्रदेश सरकार में दिग्गज मंत्री बने और यंही से प्रदेश के दिग्गज नेताओं में गिने जाने लगे , राष्ट्रीय सचिव रहते हुए छत्तीसगढ़ के प्रभारी रह चुके अभी हाल में पार्टी नेअसम चुनाव में प्रत्यासी चयन की भी बड़ी जिम्मेदारी दी थी। कमलेश्वर हाजिर जवाबी बकपटु तो है, ओजस्वी वक्ता भी है, जिसकी तारीफ रणनीतिक जानकारों से जरूर सुनी जा सकती है। इनके पिता स्व इंद्रजीत कुमार की छवि एक ऐसे नेता की रही है जिनके पास गरीब से गरीब पहुच कर अपनी बात दृढता से कर लेता था, इस बात को अच्छी तरह से निभाते हुए कमलेश्वर भी सतत अपने क्षेत्र की जनता के संपर्क में रहते है, तथा उनके दुख दर्द में उनके दहलीज तक पहुचते भी है, इनकी सहजता ही इनकी बड़ी सफलता है।


इनकी जन सेवा भावना तो हमेशा उदाहरण रही है, ज्ञात हो अभी विगत कुछ माह बघवार बस हादसा हुआ था, जिसकी घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत घटना स्थल पहुच गए, जहां पचास से अधिक लोंगो की मृत्यु हो गई थी, जिससे उनके परिजन डरे थे कि किस व्यवस्था में हम शव को घर ले जाएंगे, तब उन्होंने परिजनों को ढाढस देते हुए कहा कि आप चिंता न करे, हम तब तक नही जाएंगे जब तक अंतिम व्यवस्था नहीं हो जाएगी, और सादगी पूर्वक बिना एक गिलास पानी पिये देर रात तक जमीन में बैठ अंगद की तरह जमे रहे। वहां मौजूद जिन लोंगो ने यह देखा था वह आपस मे बरबस ही कहते देखे गए, कि आज कमलेश्वर ने इंदजीत कुमार की याद दिला दी। घटना के दूसरे और तीसरे दिन भी कमलेश्वर अपने विधानसभा के प्रभावित लोंगो के यहां पहुँच कर दुख में साक्षी बने रहे। कोरोना के संकट में जहां एक ओर नेताओ के सक्रियता पर सवालिया निशान है, वही कमलेश्वर ने सतत संपर्क रखते हुए, सबसे अधिक लंबी राशि लगभग 95 लाख देकर विधानसभा में सभी संभावित खतरों को कम करने के लिए विद्युत स्तर पर संसाधन उपलब्ध कराए, तथा निजी व्यवस्था में भी सतत सहयोग कर रहे है। कमलेश्वर जितना अपने विधानसभा में लोकप्रिय है उतना ही आज समूचे विंध्य क्षेत्र के हर वर्ग में प्रिय नेता का स्थान हांसिल कर चुके है। हालांकि राजनीतिक गलियारों से ये आरोप भी उनपर लगता है कि वो जातीय राजनीति करते है, लेकिन उनके हर वर्ग के समर्थकों की भीड़ इस बात का खंडन करती है, ये भी बात सत्य है कि हर वर्ग में उनके कट्टर समर्थक भी है, और खुद कमलेश्वर भी नीची निगाह करके हर वर्ग की सहजता से मदद करते हैआज कमलेश्वर जहां प्रदेश के बड़े नेता में गिने जाते है तो राष्ट्रीय स्तर पर भी इनके समकालिक टीम शीर्ष राजनीति के दहलीज पर है। लेकिन इनकी सादगी और सहजता आम जन के लिए एक आकर्षक का केंद्र रही है । अंत में यही कहूंगा कि आपके स्वर्गीय पिता इन्द्रजीत कुमार को जिस तरह मानव सेवा से अलंकृत किया गया था ठीक उसी तरह सीधी की जनमानस आपसे पिता श्री के पदचिन्हों पर चलने आश लगाये बैठी है ।



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👉 भागवत पाण्डेय ✍️
सुबेदार
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ये महज एक इत्तफाक ही होगा कि सीधी के यातायात में लोंगो के ध्यान आकर्षित करने वाले ही आते है, विगत एक दसक पूर्व भी एक ऐसे अधिकारी थे जिनका भी प्रभाव काफी था लोग उनकी लंबाई, स्टायल और रंगरूप से एक बड़े फिल्मी अभिनेता के नाम से नवाजते थे। आज उनकी याद इसलिए आगई की आज के दौर में शहर में एक ऐसा अधिकारी है, जो अपने कर्मक्षेत्र में बड़े लगन से कार्य करते हुए लोंगो के निगाह में एक अलग हीरो की छवि बना लिया है, जिससे हर समय शोशल मीडिया से हर समय हजारों लोग देश-विदेश तक रहने वाले लोग जुड़े रहते है, इनकी लोग हर समय लाइव देखते रहते है।
भागवत पाण्डेय भी इस नेटवर्क की सहायता से लोंगो की मदद करते रहते हैं, क्योंकि उनसे जुड़ा कोई रोटी की चाह रखने वाला होता है तो कोई गरीब भोजन कराने की चाह रखने वाला। किसी को ब्लड कीअत्यंत आवश्यकता होती है तो कोई भागवत पाण्डेय की एक पुकार में कही भी जाकर ब्लड देना चाहता है, किसी की दवा कंहा से लानी है, आज सबसे जोरदार और प्रभावी माध्यम हो चले है सूबेदार भागवत पांडेय.... चुलबुल ....

लोंगो को घर से निकलने पर शक्त मना करते है, तो अनोखे अंदाज में दंडित भी करते है, जिसका दुख सजा पाने वाले को भी नहीं होता सुबेदार भागवत पांडेय सतना जिले के भूमकहर गाँव मे जन्मे और पुलिस में आरक्षक पद पर भर्ती होकर सुबेदार बने। सीधी में आकर उन्होंने इस पद को देश भर में गौरवानवित कर दिया, तभी तो देश के तमाम बड़े राष्ट्रीय समाचार चैनल भी भागवत पांडेय के तिलस्म से मोहित हो गये, और उन्हें चुलबुल पांडेय की उपाधि दे दी। बड़ी बात ये है कि इतनी शोहरत के बाद भी भागवत पांडेय शुबह से शाम तक देश का एक सच्चा और कड़क अनुशासन सिपाही बन कर काम करते है। एक सामान्य परिवार में अवतरित हुये चुलबुल का चुलबुलापन इतना परवान चढ़ा कि देशभक्ति जनसेवा आज उनके लिये सर्वोपरि हो गई है । अंत में उनके लिये पंक्तियों के साथ उज्जवल भविष्य की कामनाएं .....
मिलती है वर्दी जिनको वह किस्मत वाले होते हैं उनके होने से हम रातों को चैन से सोते हैं ।

सचीन्द्र मिश्र
सीधी
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👉 यदुनाथ सिंह ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता

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सीधी जिले के चुरहट विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कोल्हूडीह में 4 दिसम्बर 1947 को जन्मे वरिष्ठ अधिवक्ता यदुनाथ सिंह डिग्री कालेज सीधी से स्नातक शिक्षा अर्जित करने के उपरांत टीआरएस कालेज रीवा से कानून की पढाई पूर्ण कर एमरजेंसी के दौरान जेल यात्रा भी की है , यही कारण है कि आज भी सरकार ने उन्हें मीसाबंदी की उपाधि से सम्मानित किया है । यदुनाथ की प्रतिभा से ओतप्रोत पूर्व सांसद रहे स्वर्गीय राव रणवहादुर सिंह ने 1971 के निर्दलीय चुनाव में इन्हें राजनीति का ककहरा पढाकर आगे की ओर अग्रसित कर दिया 4 जुलाई 1975 में RSS के स्वयंसेवक के हैंसियत से एमरजेंसी के दौरान यदुनाथ को जेल भी जाना पड़ा और 21 मार्च 1977 को स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव हारने पर रिहाई उपरांत यहीं से जनता पार्टी में सक्रिय राजनीति की भूमिका अदा करते हुये जनता यूवा मोर्चा जिलाध्यक्ष का दायित्व सम्हाला भारतीय जनसंघ ...Rss. स्वयंसेवक , मुख्य शिक्षक , नगर सहकार्यवाहक जैसे पदों पर रहते हुये इमरजेंसी के पहले 1972 में कोल्हूडीह से जनपद सदस्य व भूमि विकास बैंक का सचिव भी आपको वनाया गया था ।

उल्लेखनीय है कि 6 अप्रैल 1980 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल विहारी वाजपेई के नेतृत्व मे भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई तब दिसम्बर में मुम्बई के अधिवेशन में भी साक्षी वने , इतना ही नही बीजेपी में युवामोर्चा जिलाध्यक्ष ,उपाध्यक्ष , सचिव और प्रवक्ता का दायित्व भी निर्वहन कर चुके यदुनाथ का आज भी पार्टी के प्रति समर्पित हैं ।मध्यप्रदेश केपूर्व मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा की सरकार के दौरान जिला न्यायालय सीधी में एजीपी बनने का चांस तो हासिल हुआ , किंतु 6दिसम्बर1992 को बावरी ढांचा गिराये जाने पर एमपी , यूपी , राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की सरकारें भंग कर दी गई राष्ट्रपति शासन लागू होने पर एजीपी पद से स्तीफा देना पड़ा था । लेकिन मजे की बात यह है कि यदुनाथ जी का एजीपी से मोह भंग नही हो पाया एक वार फिर उमाजी की सरकार आने पर अधूरा सपना तो पूरा हुआ परन्तु 62 की आयु आडे़ आ गई और 2009 में पद से वाय वाय कहना पडा़ । एक वार फिर इनके किस्मत के पत्ते उस समय खुले जब म.प्र. की शिवराज सरकार द्वारा मीसावंदियों को लोकतंत्र सेनानी घोंषित किया गया , तब से सीधी और सिंगरौली सेनानी के अध्यक्ष भी हैं और पेंशन भोगी भी हैं ।
अंत में इस बूढे शेर के जज्बे को सलाम कि इस उम्र के पडा़व में भी रिगुलर वकालत और पार्टी में सक्रियता बनी हुई हैं , मेरी ओर से भी इनके स्वस्थ्य जीवन और लम्बी उम्र की कामना ।
सचीन्द्र मिश्र
सीधी
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👉 पद्मधर पति त्रिपाठी✍️
वरिष्ठ पत्रकार

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सीधी जिले में पत्रकारिता का अलख जगाने वाला आजादी से पहले 1946 तक साप्ताहिक समाचार पत्र " समय " अपने जमाने का पाठक प्रिय अखवार रहा है , वर्ष 1984 से इस समाचार पत्र का प्रकाशन " दैनिक समय " हो गया है इस अखवार की एक खासियत रही है कि जैसा कल था वैसा आज भी है । आधुनिकता की बाजार से दूर इस संस्थान के संस्थापक भले इस दुनिया में नही हैं किंतु उनके परिजन आज भी विरासत को सम्हाले हुये हैं ।

जी हां हम आज बात कर रहे हैं समय के संपादक वरिष्ठ पत्रकार पद्मधर पति त्रिपाठी की जो हमेशा अपने जज्बात, स्वाभिमान और लेखनी के लिए जाने जाते हैं। सीधी में स्थानीय अखबार की सादगी और सरोकार की खबरों में अपना अलग ही स्थान बनाया है नेता, अधिकारी कर्मचारी सहित आम जनता समय अखबार को समय पर ही पढ़कर दिन की शुरुआत करते रहे हैं। समय के दफ्तर में " पप्पू भैया " चार चर्चित चुनिंदा चेहरों के साथ शाम को अक्सर गपशप करते देर रात तक देखे जाते हैं , अखबार का दफ्तर है लोगों का आना जाना एक स्वाभाविक बात है। समय अखबार के दफ्तर में आज भी ऐसे कई दिग्गज नेता और अफसरों की जमात लगती है भले वह आज रिटायरमेंट हो गए हो या वर्तमान में सेवारत हों यानी हरकोई मुरीद है ।

अखवार की खुसबू में 1970 के दशक में अवतरित हुये पी.पी. त्रिपाठी जिन्हे हम सब पप्पू भैया के नाम से जानते हैं अखवार उन्हें विरासत में मिला यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा । यही कारण है कि आज उनकी सूझबूझ से दिल्ली , भोपाल , रीवा ,सिंगरौली सहित पांच एडीशन प्रकाशित हो रहे हैं , इतना ही नही आर्थिक महानगर मुम्बई से दिव्य समय नामक समाचार पत्र के प्रकाशन में कामयाबी हांसिल हुई है । आर्थिक मंदी के दौर से भले ही प्रिंट मीडिया गुजर रहा हो लेकिन अंत में सिर्फ यही कहूंगा कि समय - समय है ...आगे भी समय समय रहेगा जब तक पप्पू भैया का तकिया कलाम " तो फिर और .... तो फिर और ....कायम रहेगा ।

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