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सीधी-चेहरे चर्चित चार, नेता अफसर - विधिक पत्रकार

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 शरदेन्दु तिवारी ✍️
विधायक -चुरहट

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पिछले एक लेख में हमने एक नेता की राजनैतिक शुरुआत 2008 के वर्ष में लिखी थी उसी समय उन्ही के साथ यह भी नाम खूब फल फूल रहा था, प्रदेश भर में गोंडवाना पार्टी का सबसे चर्चित प्रत्यासी था, वह थे शरदेन्दु तिवारी यह नाम इसलिए भी खास था इनका परिचय था कि ये स्व चंद्रप्रताप तिवारी जी के नाती है, स्व तिवारी सीधी के राजनीतिक इतिहास का बड़ा नाम है, जिन्हें स्व अर्जुन सिंह जी भी राजनीतिक पंडित मानते थे, चुनाव तो वह चुरहट विधानसभा से लड़ रहे थे, मगर चर्चा तो उनकी राजनीतिक पंडित जिले भर में कर रहे थे, शायद ये भी लोंगो को एहसास हो रहा था कि इतिहास अपने आपको दोहराएगा,भले ही उस चुनाव का परिणाम का कोई मतलब न रहा हो, पर आगाज ही शरदेन्दु का यह जता दिया था, कि आगे परिस्थितियां अगर अनुकूल हुई तो कोई भी अभेद्य दुर्ग जीता जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी तो हमेशा से हांथ में अंगार लिए हुए को पकड़ना जानती है, उसने तुरंत शरदेन्दु को पकड़ लिया, और फिर 2013 में शरदेन्दु को भाजपा ने अपना प्रत्यासी बना दिया, अबकी बार चुनाव परिणाम काफी निराश करने वाले थे, क्यूंकी हार का मतांतर काफी ज्यादा था, जिससे ये साफ हो गया था कि शरदेन्दु का चुरहट में प्रभाव नहीं दिख पायेगा, अगली बार अब इतना बड़ा मौका नहीं मिलेगा, लेकिन न शरदेन्दु ने हार मानी न भाजपा ने, पार्टी ने उनको प्रदेश पदाधिकारी बना दिया, तो शरदेन्दु भी 5 साल लगे रह गए, फिर चुनाव आया तो टिकिट पर पिछले परिणाम को देखकर अड़ंगा तो था ही, और कई दवेदार भी प्रबल थे , लेकिन पार्टी ने उनको टिकिट दिया तब शायद विशेष कोई उम्मीद नहीं थी, पर चुरहट में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा ने सबको चौकन्ना कर दिया, इसका मतलब साफ था भाजपा का अब कोई कार्यकर्ता दाएं बाए नही हो सकता, और फिर चुरहट ने चमत्कार कर दिया, शरदेन्दु ने प्रदेश के एक बहुत बड़े दिग्गज नेता को शिकस्त दी थी, जो किसी को आश्चर्य से कम नहीं था, इसी कारण से शरदेन्दु पार्टी में भी अहम हो चले और पार्टी ने संगठन में भी एक स्टार और लगाते हुए इनको प्रदेश महासचिव बना दिया, विधायक शरदेन्दु अब क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहते है, क्योंकि उनको अब आगे और आने वाली कड़ी चुनौती का स्मरण तो रहता ही होगा। और अंत में इनके लिये यही कहूंगा कि " बाढै पूत पिता के धर्मे खेती उपजै अपने कर्मे ....


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👉 हर्षल पंचोली IAS ✍️
अपर कलेक्टर
सीधी
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मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में पले बढे 2015 बैच के आईएएस अधिकारी हर्षल पंचोली अपने बेबाक तेजतर्रार तेवर के चलते हमेशा सुर्खियों में रहे हैं , सीधी जिले के अपर कलेक्टर हर्षल की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक एक ग्वालियर में हुई और इंदौर के एमजीएम कॉलेज से एमबीबीएस किया था। उज्जैन के आदर्श नगर निवासी हर्षल पंचोली ने भी अपनी मेहनत और लगन के दम पर 56वीं रैंक हासिल करके आज सीधी में एक कुशल प्रशासक की भूमिका अदा कर रहे हैं ।

दस माह पहले टीकमगढ़ से सीधी आये अपर कलेक्टर हर्षल की पदस्थापना से लेकर अब तक की गतिविधियां जोरों से चर्चाओं में रही है , प्रशासनिक गलियारे में धूम मचाने वाले आईएएस अधिकारी हर्षल से सीधे कोई हर्षित नही होता कारण कि सीधी की संस्कृति से इनके विचार मेल नही खाते कारण कि दरवार कम ...काम पर विश्वास ज्यादा रखते हैं और नियम कानून के मझे हुये खिलाड़ी भी हैं । वहरहाल जिले के जनप्रिय कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी और एसपी पंकज कुमावत इन्हे सीधी के परिवेश में ढालना चाहते हैं चूंकि हर्षल की मंजिलें कंही और है ...

प्रशिक्षु अपर कलेक्टर हर्षल पंचोली भले सीधी की समा में फिटफाट नही हैं लेकिन वह एक अच्छे आईएएस अधिकारी हैं यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा , उनकी सीधी पदस्थापना के वाद कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी का भी प्रशासनिक बोझ हल्का हुआ है , समय समय पर उनके द्वारा हर्षल को सौंपे गये प्रशासनिक कार्यों का भलीभांति संपादन किया गया है , यंहा तक कि वैश्विक आपदाकाल कोरोना मामले भी दिनरात एक करके मरीजों के हित में वेहतर कार्य किये जा रहे हैं । अंत में यही कंहूगा कि सीधी एक शांतिप्रिय संस्कारयुक्त जिला है अपने वरिष्ठों की राह पर कदम से कदम चलने की आवश्यकता महसूस की जा रही है ।



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👉 मुनीन्द्र द्विवेदी ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता

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वकालत पेशा में एक चर्चित नाम है मुनींद्र द्विवेदी जो सरल और सहज स्वभाव के कारण समाज में भी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। चुरहट विधानसभा क्षेत्र के हनुमानगढ़ नामक गांव में 1959 को अवतरित होने वाले मुनीन्द्र 1980 के दशक में विजय सिंह की अध्यक्षी कार्यकाल के दौरान छात्रसंघ के उपाध्यक्ष रहे हैं , एपीएस युनिवर्सिटी रीवा की ओर से तीनवार कालीकट वनारस व वहारनपुर में वास्केटवाल का खिताब जीता था । एमपीईबी के पहले ग्रामीण विदुत्त सहकारी समिति सीधी में दो दशक पहले मुनीन्द्र उस समय के पहले डायरेक्टर हैं जब समिति का श्री गणेण हुआ था । वर्ष 1984 -85 के दशक में कानून की पढाई करने वाले मुनीन्द्र की कहानी बड़ी अजब है , प्राथमिक शिक्षा हनुमानगढ़ से हांसिल करने के उपरांत वह मिडिल से लेकर हायर एजुकेशन सीधी से किया है , 1986 से लेकर अव तक निरंतर वकालत पेशे में सक्रिय वरिष्ठ अधिवक्ता मुनीन्द्र जितना आज सरल और सहज हैं शायद कल नही थे ।

जिला अधिवक्ता संघ सीधी में पिछले एक दशक यानी 2010 से 2018 तक निरंतर चार वार जिला अध्यक्ष रहे मुनीन्द्र ने इस दौरान अधिवक्ताओं के हित में अनेक कार्य किये हैं । किंतु अभी हाल ही में सम्पन्न अधिवक्ता संघ के चुनाव में हांथ लगी असफलता के पीछे का कारण किसी से छुपा नही है हर कोई वाकिफ है , वकालत पेशा में ईमानदारी से मुवक्किल को उसकी मंजिल तक पहुंचा देना भी इनकी आदत में शामिल है , कोर्ट कचहरी करने के बाद यह अपने आप में अकेले नहीं देखने को मिलते हैं। लॉकडाउन में अपनों से फोन पर बात करके उनका हाल जानना इनके लिए खास रहा है जरूरतमंद को जरूरत पड़ने पर कहीं भी किसी भी तरह मदद करते देखे गए हैं। चार वार के अध्यक्षी कार्यकाल में वकालत और वकीलों की मदद कर एक नई मिसाल कायम करने में भी सफल रहे हैं। जूनियर का भी सम्मान एक सीनियर वकील की तरह करने में भी इनका कोई तोड़ नहीं है , सुबह गाड़ी से निकलना साथ में वकील इनकी पहचान है। यही कारण है कि जिले के नेता हो या विधायक मुनींद्र द्विवेदी को एक समझदार और सरल स्वभाव के वकील का दर्जा देते रहे हैं। तभी तो वह सर्वदलीय की भूमिका में हमेशा चर्चाओं में रहे हैं , हर दल के लोगों से उनका करीबी सम्बंध भी उनकी सफलता का जंहा कारण है तो दूसरी ओर नुकसान भी ... यूं कंहें यूज एण्ड थ्रो तो अतिशयोक्ति नही होगा । बहरहाल वरिष्ठ अधिवक्ता मुनींद्र द्विवेदी एक संघर्षशील सबको साथ मे लेकर चलने की चाहत, उनका अपना तजुर्बा यही विशेषता उन्हें विशिष्टता प्रदान करता है ।



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👉आर. बी. सिंह. " राज "✍️
वरिष्ठ पत्रकार
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सीधी जिले के अग्रणी पत्रकारों में एक नाम जो काफी सम्मानीय है वो है- *आर.बी.सिंह."राज"* का जिन्होंने आज से तकरीबन 30 वर्ष पहले अपने कॉलेज के दिनों में ही कम उम्र से पत्रकारिता की कलम पकड़ ली थी और इनकी लेखनी से प्रारंभिक दौर से ही ओज और क्रांतिकारी विचार लोगों के दिमाग को झंकृत करते रहे हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट के साथ-साथ पत्रकारिता में बीजेएमसी करने वाले आर.बी.सिंह."राज" के साथ वर्ष 1992-93 में कनार्टक के तुमकुर में आयोजित एक राष्ट्रीय पत्रकार सम्मेलन में सामिल होने का गौरव हांसिल हो चुका है। भगवान चित्रगुप्त का वर्ष में 2 बार विधिवत पूजन करने वाले उनके अनन्य भक्त एवं कलम के पुजारी राज, अन्य साहित्यिक गतिविधियों में भी रुचि रखते हैं, तभी तो कभी-कभी अपनी मित्र मंडली के बीच मनमोहक संगीत में माईक थामे गाते हुए सुर के जलवे बिखेरते हुए दिख जाते हैं। शायद बहुत कम लोग ही ये जानते होंगे कि आर.बी. सिंह"राज" रात भर में अपनी अगले दिन की बड़ी खबरों का सारा काम निपटा लेते हैं। आप अगर भोर में मोबाइल चेक करते हैं तो इनका लेख इनका समाचार, पेपर आप तक पहुंच चुका होता है।
आर.बी. सिंह "राज" ने पत्रकारिता में कार्य करते हुए, कई नामचीन हस्तियों से साक्षात्कार भी किये हैं, जिनमें जिले की सबसे बड़ी राजनीतिक हस्ती जिनका साक्षात्कार अंतरार्ष्ट्रीय पत्रकारों के लिए एक अवसर तो एक चुनौती भी होता था, इनको यह भी उपलब्धि कई बार हासिल हो चुकी है, जो जीवन भर के लिए विशेष होगी।

आर.बी. सिंह "राज" ने जिले में प्रसारित होने वाले सभी बड़े समाचार पत्रों जैसे नवभारत, दैनिक भास्कर में व्यूरो चीफ के रूप में सेवा दे चुके हैं।
अपने 30 बरसो के कैरियर में उन्होंने बड़े अखबारों के साथ-साथ समाचार एजेंसी यूएनआई, आकाशवाणी एवं आज तक चैनल के लिए लंबे समय तक काम किया है। मि. "राज" अब वर्तमान में स्टार समाचार पत्र में सीधी के स्टार बने हुये हैं।
नवभारत, दैनिक भास्कर एवं स्टार समाचार में इनके द्वारा लंबे समय तक लिखे गए साप्ताहिक कॉलम *सीधी जिले की चिट्ठी* के लोग आज भी मुरीद हैं।पत्रकारिता जगत का स्टेटस अगर सीखना है तो कोई इनसे सीखे, जिनका कम से कम संघर्ष के साथ ज्यादा से ज्यादा सामाजिक सम्पर्क, खासतौर से ब्यूरोक्रेट्स एवं पॉलीटिशियन से ज्यादा रहा है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करना और संगीत के प्रति विशेष लगाव इनकी आदत में शुमार है।
अपने पैदाइश के उपरांत बचपन के दिनों में पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं प्रदेश के वन मंत्री रहे स्व. श्री चंद्र प्रताप तिवारी की छत्रछाया में बचपन बिताने के कारण श्री तिवारी के क्रांतिकारी स्वभाव की झलक आर.बी. सिंह "राज" को उन्हें आशीर्वाद के रूप में मिली है। इनका नामकरण श्री तिवारी की धर्मपत्नी ने ही किया था। ज्यादा न लिखते हुए इतना कहूंगा कि आज की पत्रकारिता के दौर में आप यूथ आईकान हैं आपकी बहुत बातों में अभी *राज*हैं

*"राज"* को *"राज"* रहने दो...??"

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