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सीधी : चेहरे चर्चित चार - नेता अफसर विधिक पत्रकार .....

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 अजय प्रताप सिंह ✍️
सांसद
राज्य सभा

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राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह का जन्म चुरहट के दुअरा गांव सामान्य परिवार में हुआ, इनकी शिक्षा दीक्षा जबलपुर में हुई छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़ाव हो गया था, संघ की विचारधारा से प्रभावित होकर उससे जुड़ गए इस कारण कॉलेज से बाहर आते ही भाजपा और संघ दोनों में बराबर सक्रिय रहे, और कुछ समय बाद भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी हो गए । उसी समय आज के बर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी और प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के संयुक्त सचिव थे, फिर जल्द ही शिवराज भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष हो गए उनकी भी कमेटी में अजय प्रताप पदाधिकारी रहे, यही वो समय था जब शिवराज और अजय प्रताप की गहरी जान पहचान हो गई, तब तक सीधी की राजनीति से अजय प्रताप और अजय प्रताप से सीधी की राजनीति दोनों एकदम से अपरिचित थे, समय का पहिया घुमा 2003 में अजय प्रताप जब गोपद बनास सीट से भाजपा के प्रत्यासी घोषित हुए तब सीधी के राजनीतिक अखाड़े में हलचल हुई, उस चुनाव में अजयप्रताप समाजवादी पार्टी के विजेता प्रत्यासी के.के.सिंह भंवर साहब के बाद दूसरे नम्बर पर थे, फिर संगठन में काम करते रहे, समय बीता उधर शिवराज भी भाजपा की मूल इकाई में बड़े नेताओं में गिने जाने लगे, संयोग से उनका एक दौरा सीधी हुआ, और शायद सीधी आना ही उनके किस्मत के द्वार खुलने जैसा था उस दौरे में अजय प्रताप उनके सांथ थे, और कुछ ही दिन के भीतर शिवराज प्रदेश के मुख्यमंत्री हो गए, अब अजय प्रताप का जलवा उफान पर था,उसी समय विधानसभा सीटों के क्षेत्र में फेरबदल हुआ, और गोपद बनास सीट का अस्तित्व ही समाप्त हो गया, तब अजय प्रताप ने संघर्ष के लिए जन्मभूमि को चुना, और 2008 के चुनाव में काफी कम मतों के अंतर से पीछे रह गए, लेकिन यहां उन्होंने अपनी पहचान महाभारत के कर्ण के समान करा दी थी, क्योंकि उनके सामने कोई और नहीं दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल थे, लेकिन भाजपा की सरकार बनी, और शिवराज मुख्यमंत्री। इनकी संगठन में अनुभव और अच्छे रणनीतिकार के रूप में इनकी विशेषता रही है,इसीलिए इनको इनको पार्टी ने राज्यमंत्री का दर्जा वाला पद देकर,विंध्य विकाश प्राधिकरण अध्यक्ष बना दिया।जिसका एक पूरा लंबा कार्यकाल था, इसके बाद प्रदेश में संगठन के चुनाव होने थे, मख्यमंत्री शिवराज भी यही चाहते थे कि संगठन भी उनके मन मुताबिक बने, इसलिए उन्होंने इनको संगठन चुनाव प्रभारी का जिम्मा दे दिया, जिसको इन्होंने उस जिम्मेवारी को अच्छी तरह से निभाया।

पार्टी ने इनको फिर एक बड़ा इनाम देते हुए देश के सर्वोच्च सदन का सदस्य राज्यसभा सांसद बना दिया।
इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले वो सीधी जिले के दूसरे नेता है।हालांकि अब संगठन की राजनीति के हिसाब से स्वास्थ्य उनका सही सांथ नहीं दे रहा, पिछले दिनों किडनी का ट्रांसप्लांट उन्होंने कराया है। हम ईश्वर से कामना करेंगे कि वो आगे भी पूर्ण स्वस्थ हो कर सीधी के लिए एक और उपलब्धि लाये, जिसकी शायद अभी बहुत जरूरत है इस जिले को....

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👉 राकेश कुमार शुक्ल ✍️
सीईओ
जिला पंचायत - सीधी

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सन 1974 में इम्तिहान नाम की एक फिल्म प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में एक गाना है ''रुक जाना नहीं, तू कहीं हार के...कांटों पे चलकर मिलेंगे साये बहार के। किशोर कुमार के इस गाने में जीवन की वह हकीकत छिपी है जिसे अक्सर हम समझ नहीं पाते। कई बार कठिन परिस्थितियां और बाधाएं हमें आगे बढऩे से रोकती हैं लेकिन हमें उन कठिन परिस्थितियों से डरना नहीं है बल्कि खुद के मजबूत इरादों कड़ी मेहनत लग्न और सटीक रणनीति की बदौलत इन कठिन परिस्थितियों पर विजय हासिल करनी है। यह बात जिला पंचायत सीधी के सीईओ राकेश शुक्ल पर आधारित है , उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 1964 को एक शिक्षक परिवार में अवतरित हुये श्री शुक्ल की शिक्षा दीक्षा लखनऊ में हुई जो मैथ से MSC करने के उपरांत 1991 में उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश में सेवारत हो गये ।

सीईओ श्री शुक्ल मध्यप्रदेश के पंचायत ग्रामीण विकास विभाग में टीकमगढ जिले के जतारा से बतौर बीडीओ सरकारी सेवा में श्री गणेश किया है , कुछ समय वाद डिप्टी कमिश्नर के पद पर पदोन्नति होने के उपरांत हरदा जिले में भी सेवायें दे चुके हैं । 2010 से 2019 तक आपने कमिश्नर कार्यालय रीवा में ज्वाइंट कमिश्नर का दायित्व निर्वहन किया है , साथ ही कुछ समय के लिये प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क भोपाल में भी आप पदस्थ रहे हैं , दस माह पहले जुलाई 2020 में जिला पंचायत सीधी के सीईओ के पद पर पदस्थ हुये श्री शुक्ल की कुर्सी कांटों भरा ताज था , प्रभार से लेकर अब तक आपके पास अनेक खट्टे मीठे अनुभवों का संग्रह रहा है । अठारह विभागों के सीधे सुपर स्टार कहे जाने वाले सीईओ श्री शुक्ल विंध्य क्षेत्र की समा से पिछले एक दशक से वाकिफ हैं और नियम कायदों के भी आप जानकर हैं जिनके कंधे पर जिले के विकास का एक वडा़ दायित्व है किंतु विकास की पहियों में हमे जंग दिखाई दे रहा हैं ।

अपर कलेक्टर विकास की कुर्सी में विराजमान सीईओ श्री शुक्ल करीब 400 पंचायतों के विकास की धुरी के समान हैं , उधारी के अधिकारियों के आगोश में संचालित जिला पंचायत के विकास की पहिया थम सी गई है , बेपटरी अठारह विभागों की सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन कितना सार्थक है इसकी सच्चाई तो वही पालनहार अठारह विभागों के प्रमुख वंया कर पायेंगें , इस तरह के तमाम सवालों से घिरे सीईओ साहव को सख्त और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ।अगर यूं कंहें कि... विकास के मामले में करुणा भवन से कंही ज्यादा ताकतवर जिला पंचायत हैं तो अतिशयोक्ति नही होगा ,वहरहाल आप एक अच्छे कुशल प्रशासनिक अधिकारियों में सूमार हैं किंतु कड़क नही हैं अर्थात उधारी के अधिकारी षोषण कर रहे हैं , आज जरूरत है अपने दायित्वों व अधिकारों को जानने समझने की ....अन्यथा यह सीधी है ..?

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👉 विनोद वर्मा ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता
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सीधी जिले के चुरहट की धरा मे 1959 को एक साधारण परिवार में जन्मे वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद वर्मा वकालत पेशा का एक जाना पहचाना नाम है , 1983 में कानून की पढाई पूर्ण करने के उपरांत वकालत के शुरुआती दौर में जिले के नामी गिरामी वकील स्वर्गीय राधेश्याम वर्मा के जूनियर के तौर पर वकालत का श्री गणेण किया जिनकी आज क्रिमिनल के एक अच्छे वकीलों में गिनती होती है । अपने विधिक व्यवसाय के प्रति संजीदगी से कार्य करने वाले विनोद वर्मा एक कुशल राजनीतज्ञ व्यक्ति भी हैं , सरल सहज सौम्य व्यक्तित्व के धनी वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद वर्मा समाज के शोषित व पीड़ितों की सेवा के लिये हमेशा से समर्पित रहे हैं ।

अपनी वकालत पेशा के साथ साथ विनोद वर्मा को राजनीति का चस्का तव लगा जव कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांशीराम की तूंती बोलती थी , वर्मा जी 1987 में लखनऊ जाकर बसपा सुप्रीमो कांशीराम के हांथों बसपा का दामन थाम लिया , और उन्होंने रीवा सम्भाग में बी. एस. पी. के जनाधार को आगे बढाने का यंही से बीणा उठा लिया जो 2016 तक तन्मयता से बसपा के प्रति समर्पित रहे । वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद वर्मा को बसपा ने उस समय पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी जब सीधी जिले में कांग्रेस का दवदवा था , वह पिछले दस सालों तक जिलाध्यक्ष के पद पर पदासीन रहे हैं और फिर प्रदेश सचिव के साथ साथ प्रदेश महासचिव की भूमिका में वने रहे । बसपा के प्रति समर्पण को काउंट करते हुये पार्टी सुप्रीमों ने 1998 के आम चुनाव में वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद वर्मा को सीधी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतार दिया , चुनाव परिणाम सार्थक नही रहा लेकिन आपको सम्मान जनक मत हांसिल हुये थे ।

वदलते वक्त के साथ उन्होंने 12 दिसम्बर 2017 को बी एस पी से नाता तोडकर पूजापार्क की सभा में काग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया , तबसे वह बर्तमान में काग्रेस पार्टी के सक्रिय नेता की भूमिका में है व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के करीबी माने जाते हैं , नगरपालिका परिषद सीधी से अपनी वहू को चुनाव लड़ाने के फिराक में रहे हैं किंतु वर्तमान सरकार द्वारा फेंकें गये उल्टे पांसे अब अनुकूल नही रहे , फिर भी आगे अभी वक्त का उन्हें इंतजार है । विधि व राजनीति के मजे खिलाड़ी विनोद वर्मा गैर स्थिरता के चलते आज वह अपनी मंजिल तक भले नही पंहुच पाये हों किंतु समाज के एक खास तवके में आज भी उनकी अच्छी पैठ है ।


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👉 ब्रजेश पाठक ✍️
वरिष्ठ पत्रकार

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जिले के प्रतिष्ठित पत्रकार ब्रजेश पाठक जी का पैतृक गांव सिहावल में हिनौती गाँव है, इनके पिता जी शिक्षक थे, छात्र जीवन मे ही कुछ अलग करने का जुनून था, तब उस समय के जिले के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक और समाज सेवी व्यक्ति स्व बृजेन्द्रनाथ सिंह " मिस्टर " से जुड़ाव हुआ और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के बिचारों से ओतप्रोत होकर छात्र जीवन मे काफी सक्रिय राजनीतिक गतिविधि रही। यही से इन्होंने ने लिखना भी शुरू किया, और 1993 में टुडे न्यूज़ और कीर्ति क्रांति अखबारों से पत्रकारिता का श्री गणेश हुआ और फिर सभी बड़े अखबारों में भास्कर, नवभारत,सत्यगंगा,जागरण जैसे समाचार पत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया।और एक वार फिर दैनिक भास्कर में दूसरी पारी खेल रहे हैं , पाठक जी काफी सरल और स्पष्ट विचारधारा के व्यक्ति है, न काहू से दोस्ती न काहू से बैर, सबके प्रिय पाठक जी है।

प्रदेश सरकार के मुख्यंमंत्री शिवराज सिंह चौहान व जनसंपर्क मंत्री रहे राजेन्द्र शुक्ल द्वारा आंचलिक पत्रकारिता सम्मान से भी पाठक जी को नवाजा जा चुका है । ये गौरव प्राप्त करने वाले पत्रकारों में पाठक जी एकलौते पत्रकार हैं। सबके साथ सचके साथ कार्य करने वाले श्री पाठक पत्रकार हित में कई वार प्रशासन के खिलाफ आंदोलित हो चुके हैं , एक हांथ में कलम तो दूसरे हांथ में तलवार के तर्ज पर पत्रकारिता की मिशाल पाठक जी एक बड़ा नाम है , सम्मान सूचक " पाठक जी" के नाम से चर्चित यह चेहरा झुकाया लेकिन झुका नही और आज भी यह मिशाल कायम है । किसी भी अधिकारी के दफ्तर का चक्कर काटना या लल्लो चप्पो करना यह उनके उसूल के खिलाफ है तभी तो " मौनी बाबा " की कलम कब बिगड़ जाये कुछ कहा नही जा सकता ।

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