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सीधी : चेहरे चर्चित चार - नेता अफसर विधिक पत्रकार ......

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉गोविन्द मिश्र✍️
पूर्व सांसद
सीधी
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सीधी जिले के पूर्व सांसद गोविन्द मिश्र का जन्म 2 अगस्त 1949 को चुरहट क्षेत्र के कोष्टा गांव में साधारण परिवार पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र जो स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी के बहुत खास सिपहसालार थे के यहां हुआ, गोविंद मिश्र जी की शिक्षा दीक्षा प्रारंभिक चुरहट हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई, फिर डिप्लोमा सिविल इंजीनियरिंग एस .ए .टी .आई कॉलेज विदिशा से हुई, स्नातक की शिक्षा इन्होंने प्राइवेट की थी, और कानून की पढ़ाई L.L.B. इन्होंने मऊगंज कॉलेज से प्राप्त की। पढ़ाई के बाद इन्होंने लोकनिर्माण विभाग में सब इंजीनियर पद पर नौकरी भी की। लेकिन इनके मन मस्तिष्क में राजनीतिक ज्वार भाटा उबाल लें रहा था, जिससे इन्होंने 1977 में सिहावल में पोस्टिंग के दौरान ही स्तीफा देने का मन बना ही लिया, और उस समय के तात्कालिक कलेक्टर अजीत जोगी को अपना त्यागपत्र दे ही दिया, और सक्रिय राजनीति में कूद पड़े, और 1977 में ही पहला निर्दलीय चुनाव चुरहट विधानसभा से लड़ गए, उस समय उस सीट पर दिग्गज नेता स्व अर्जुन सिंह जी प्रतिनिधित्व करते थे, इसलिए
उनके सामने चुनाव सिर्फ रश्म ही अदा कर पाता था, लेकिन राजनीतिक जीवन जीने वालों को हार बहुत मायने नहीं रखती, और फिर अगले चुनाव में गोविंद मिश्र अपने करीबी रिस्तेदार उस समय के एक और दिग्गज नेता स्व चंद्रप्रताप तिवारी के साथ हो गए, और पार्टी थी जनता पार्टी, वर्ष था 1980, परिणाम नहीं लिखूंगा, क्योंकि उस समय चुरहट का सिर्फ चुनाव ही रोचक होते थे, परिणाम तो सब जानते ही थे।

अब फिर अगले चुनाव 1985 में जनता पार्टी ने गोविंद मिश्रा को ही उम्मीदवार बना दिया ,लेकिन परिणाम नकारात्मक रहा और फिर 1989 में गोविंद मिश्र जी ने रीवा में लालकृष्ण आडवाणी के हाथों भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर भाजपा का दामन थाम लिया , अब यहीं से 1990 का चुनाव गोविंद मिश्रा ने भाजपा से लड़ा इस बार प्रत्यासी के रूप में नए युवा अजय सिंह राहुल थे, और गोविंद दादा का राजनीतिक रिकॉर्ड बिल्कुल समान अच्छरों से प्रगति पत्रक भरे जा रहा था।
लेकिन अबकी प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने, और कुछ ही दिन में गोविंद दादा के दिनों में पहली बार शुबह हुई, और पार्टी ने इनको राज्यमंत्री का दर्जा देते हुए ऊर्जा विकाश निगम का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।उसी समय देश की राजनीति में एक नाटकीय मोड़ आया, और 1993 में पटवा सरकार गिर गई, मध्यावधि चुनाव हुए, इस बार बहुत दिन बाद ऐसा था कि राव परिवार से कोई व्यक्ति इस सीट से चुनाव मैदान में नही था, अजय सिंह मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के सामने भोजपुर से चुनाव लड़ने चले गए, और यहां से कांग्रेस के प्रत्यासी बने अर्जुन सिंह जी के सबसे खास चिन्तामणि तिवारी, लेकिन यहां का चुनाव मैदान ऐसा था जहां गोविंद मिश्रा ने हमेशा पटकनी ही खाई थी, और सामने हर बार बहुत मजबूत पहलवान होता था, इसलिए सारे दांव गोविंद दादा को पता थे, और इस अवसर को उन्होंने जाने नही दिया, और जीत कर विधानसभा सदन में विधायक वनकर पहुच गए, फिर अगली बार से अजय सिंह आ गए और फिर उनका मुकाबला हमेशा भारी पड़ा। इस दौरान गोविंद मिश्र भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रहे, और प्रदेश अनुशासन समिति के सदस्य भी रहे।

वर्ष 2009 में सीधी लोकसभा सीट सामान्य हुई, और इस बार फिर गोविंद दादा के सितारे बुलंदी पर थे, और इस बार सांसद सदस्य बन गए।
संसद में सबसे ज्यादा उपास्थि होने वाले सासंदो के रूप में पुरुस्कृत भी हुए। पर पार्टी ने इनको अगली बार टिकिट नही दिया, तब से इन्होंने थोड़ा सक्रिय राजनीति से अपनी जिम्मेवारी कम कर ली, खुद गोविंद दादा कहते है कि मनुष्य की इच्छाएं कभी नही समाप्त होती, लेकिन आदमी को अपने उम्र का भी ख्याल रखना चाहिए, और उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया। अब वो पूर्ण स्वस्थ और तरोताजा रहकर आध्यात्मिक विषय और प्राकृतिक जीवन दिनचर्या में अपने को व्यस्त रखते है। गोविंद दादा हमेशा स्पष्ट वक्ता रहे है, वो जिसकी मदद भी करते थे तो फिर काम को अपना काम मानकर पूर्णरूपेण मदद करते थे, इसीलिए उनके समर्थक और उनके करीबी कहते है कि आज के दौर में उनके जैसा नेता दूसरा कोई नही है ।
सच भी है स्वाभिमानी और कड़क मिजाज के चलते उन्होंने अपने ऊपर किसी को हावी नही होने दिया चाहे वह सत्ता हो या संगठन या फिर परिवार यानी कोई भी हो ...खुद का निर्णय ही सर्वोपरि रहा है । संगठन के लिये उनका एक तकिया कलाम ....दूसरा जिसके ऊपर वह नाराज हो गये .... आज भी वह दूसरा तकिया कलाम शब्द खूब चर्चित है 😄 वहरहाल गोविंद दादा - गोविंद दादा हैं और यह टायटल बीजेपी के सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल ने उनके सम्मान में दिया था जो आज भी कायम है ।


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👉 वाई.पी. सिंह ✍️
फील्ड डायरेक्टर
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मंजिल तक पहुंचने का रास्‍ता कितना भी मुश्‍किल क्‍यों ना हो, इच्‍छाशक्‍त‍ि, आत्मविश्वास हो तो आसमान में भी सुराग किया जा सकता है। एक ऐसी ही कहानी आज बंया करने जा रहे है जिसने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर हिंदूस्तान के 51 टाइगर जोन में सूमार संजय टाइगर रिजर्व सीधी के फील्ड डायरेक्टर के पद पर IFS अधिकारी वाई .पी . सिंह पदस्थ हैं ।

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुये सीसीएफ रैंक के वरिष्ठ अधिकारी वाई.पी. सिंह की शिक्षा दीक्षा प्रयागराज इलाहाबाद में हुई जो मैथ से MSC हैं , 1 मार्च 1988 को वन विभाग में वतौर एसडीओ के पद पर शासकीय सेवा का श्री गणेण छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर से हुआ है , जो नरसिंहपुर व जगदलपुर के वाद 1997 मे सीधी पदस्थ हो गये जो सात सालों तक सीधी में सेवारत रहे । श्री सिंह के चौदह सालों का वनवास उस समय खत्म हुआ जव उन्हें 2001 के बैच में आईएफएस की उपाधि अर्जित हो गई , आप मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा , सिंगरोली ,सिवनी व सीधी मे इसके पूर्व डीएफओ भी रहे हैं । एक वार फिर वन संरक्षक के पद पर पदोन्नति उपरांत धार , सागर व शिवपुरी में सेवारत रहे श्री सिंह का सीधी से हमेशा गहरा नाता रहा है जिनके प्रेम की डोर फरवरी 2021 में फिर सीधी खींच लाई है ।

वन विभाग के वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी वाईपी सिंह एक कुशल प्रशासक के साथ साथ सरल व सहज हैं , जो वनों के प्राकृतिक सौंदर्य , पर्यावरण व वन्य प्राणियों से खास लगाव रखते है , यही कारण है कि वाईपी सिंह संजय टाइगर रिजर्व सीधी में फील्ड डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हैं , एनटीए द्वारा हिंदुस्तान में चिन्हित 51 टाइगर जोनों में संजय टाइगर रिजर्व सीधी भी शामिल है जो कि हम सब जनमानस के लिये यह एक सुखद अनुभूति है ।


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👉 नर्मदा प्रसाद तिवारी ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता

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छात्र जीवन से ही राजनीति में धरना आंदोलन कर जेल जाने तक सफर की बात होती है तो उसमें विधि विशेषज्ञ नर्मदा तिवारी का नाम होता है। 35 वर्षों से लगातार जिला एवं सत्र न्यायालय में जहां वकालत कर रहे हैं वही ऐसे छात्रों को विधि विशेषज्ञ बनाने में भी महारथ हासिल है। छात्र जीवन में कॉलेज चुनाव में सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल और वरिष्ठ पत्रकार विजय सिंह के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में से एक रहे हैं। भाजपा की विचारधारा के कारण वह राजनीति में भी देखे जाते हैं। सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी नर्मदा तिवारी से लोग अपने समस्याओं को आसानी से बता सकते हैं। वकालत की बात करें तो बड़े से बड़े पेच को एक झटके में निकाल कर लोगों को न्याय दिलाने में भी महारथ हासिल है। सहज सी बात है कि सरल और मिलनसार व्यक्ति स्वाभिमान पर आ जाए तो आर पार की लड़ाई के लिए भी जाना जाता है उनमें से नर्मदा तिवारी एक है। कई ऐसे मौके देखने को मिले हैं कि जब गाइड लाइन से हटकर कोई काम किया गया और नर्मदा तिवारी मौजूद है तो उसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया और आर पार की लड़ाई लड़ते रहे हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्री तिवारी का जन्म 20 9.1959 को सीधी विधानसभा क्षेत्र के बम्हनी नामक गांव में एक किसान परिवार में हुआ है , जिनकी
शिक्षा दीक्षा सेमरिया हायर सेकेंड्री स्कूल में हुई जिन्होंने 1977 में प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण कर 1978 में संजयगांधी कालेज सीधी में दाखिला लिया जंहा उस समय आज के विधायक केदारनाथ की तूंती बोलती थी उस समय छात्र राजनीति में सक्रिय रहे नर्मदा को 1978-79 के दौर में संयुक्त सचिव वनाया गया था , 1980 में छात्रसंछ के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ पत्रकार विजय सिंह के पैनल में सचिव भी रहे हैं । वर्ष 1983 में एलएलवी करके वकालत का श्री गणेश वरिष्ठ अधिवक्ता रहे सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल के जूनियर शिप में हुआ है । वंही 1988 से लेकर लगातार 2007 तक संजयगांधी महाविद्यालय सीधी में विधि व्याख्याता व विधि संकाय के विभागध्यक्ष की सौगात जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही हे , कारण कि आपके पढाये हुये कानून के कई छात्र यूथ एडवोकेट हैं। लेकिन दुर्भाग्य कंहें कि वर्ष 2007 के वाद एसजीएस कालेज की बंद पड़ी एल एलवी की कक्षाएं फिर से नही शुरू हो सकी हैं । जिला अधिवक्ता संघ सीधी में उपाध्यक्ष सहित अन्य पदों पर आप रहे हैं , वतौर अधिवक्ता जीवन काल में वर्ष 2003 से 2012 तक निरंतर जिला न्यायालय सीधी में अतिरिक्त लोक अभियोजक के पद पर वने रहना उल्लेखनीय है । विधि विशेषज्ञ श्री तिवारी एक वार फिर तीसरी पारी 2012 से लम्बे समय तक शासकीय अधिवक्ता (जीपी ) के पद रहते हुये शासन हित में अनेको उल्लेखनीय कार्य किये हैं ।

वर्तमान में श्री तिवारी जिला उपभोक्ता फोरम सीधी के सम्मानित सदस्य हैं । पिछले 35 वर्षों से ऊपर विधि विशेषज्ञ नर्मदा प्रसाद तिवारी बीजेपी से मिलान करते हैं , बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ल के नेतृत्व में वरिष्ठ पत्रकार विजय सिंह के साथ छात्र आंदोलन में वह केन्द्रीय जेल रीवा में तेरह दिनों तक बंदी रहे है । सर्वोदय नेता पूर्व मंत्री स्वर्गीय चन्द्रप्रताप तिवारी की विचारधारा से ओतप्रोत होकर तत्कालीन छात्रनेता रहे सीधी विधायक के नेतृत्व में लम्बे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे ।
1980 में भाजपा गठन के वाद अव तक अनेक पदों पर पदस्थ रहे हैं , किंतु राजनीतिक कारणों और समय परिस्थितियों वश अब पुराने आस्थावान नेताओं से जंहा दूरियां हैं , तो वंहीं अन्य चेहरों से नजदीकियां भी हैं , आप नियम कानून के प्रति शुरू से ही सजग रहे हैं छात्र राजनीति से लेकर अब तक विभिन्न सांसदों विधायकों के विधिक मामलों के क्रियान्वयन में दक्ष रहे हैं यंहां तक कि पार्टी के प्रत्याशियों के नामांकन फार्म के मामले में भी मास्टरमांइड हैं ऐनकेन प्रकारेण आप एक अच्छे अधिवक्ता हैं इसमें कोई दो राय नही किंतु लम्बे समय तक किसी का साथ निभाना नामुमकिन है ।


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👉 धर्मेंद्र सोनी ✍️
वरिष्ठ पत्रकार
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सीधी जिले में भले किसी बड़े नेता या अफसरों के सामने जब पत्रकार होते है ऐसे में एक शख्स पीछे से एक तेज आवाज अर्जुन के बाणों जैसे धारदार सवाल सबको शांत करके सारा ध्यान अपनी ओर खींच लेता है, वो है जिले के धाकड़ पत्रकार धर्मेंद्र सोनी ....

धर्मेंद्र सोनी का जन्म सीधी शहर के सराफा व्यवसायी परिवार में 1969 में हुआ जिनकी शिक्षा दीक्षा जिले में ही हुई। और बहुत कम अवस्था से ही पत्रकारिता जगत में कूद गए, सन 1980 से प्रेस फोटोग्राफर के रूप में शुरुआत हुई, तब से अब तक कई समाचार पत्रों में वतौर वह प्रेस फोटो ग्राफर रहे हैं , वर्ष 2000 के दशक से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से इनका जुड़ाव हो गया, तब से अन्य न्यूज चैनलों सहित सीधी के लोकल टीवी चैनल नवीन नेटवर्क सिटी चैनल से जुड़कर उसमें सतत कार्यरत हैं ।

संस्थान और संस्थापक के प्रति वफादार धर्मेंद्र का जिले भर में व्यापक सम्पर्क है और वह एक खोजी पत्रकार हैं , गर्मी हो या ठण्डी या वर्षात बारहमासी सादगी भरा जीवन यापन करने वाले धर्मेन्द्र की टोपी बड़ी दमदार है ...जो अच्छे अच्छों का दम निकाल लेती है ।

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