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ब्यौहारी विधानसभा सीधी में शामिल होने से शहडोल से छिना DEO का दर्जा ....

अनूपपुर ( ईन्यूज एमपी) शहडोल लोकसभा में शहडोल जिले का पूरा हिस्सा शामिल नहीं है। परिसीमन के बाद विधानसभा सीटों में बदलाव के साथ ही लोकसभा का मुख्यालय भी बदल गया। नाम तो शहडोल लोकसभा ही रहा लेकिन मुख्य का केन्द्र बिन्दु अनूपपुर बन लगा। इसके बाद से सभी चुनावी गतिविधियों का संचालन अनूपपुर से प्रारंभ हो गया। जहां पिछले चार लोकसभा चुनाव से सभी गतिविधियां वहीं से संचालित हो रही है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव आते ही राजनीतिक केन्द्र बिन्दु भी अनूपपुर ही कहलाने लगता है। सभी राजनीतिक गतिविधियों का संचालन यहीं से होता है। शहडोल संसदीय क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी अनूपपुर कलेक्टर होने की वजह से सभी चुनावी प्रक्रियाएं भी वहीं से होती हैं। अभी तक के जो राजनीतिक समीकरण बने हैं वह भी सबसे ज्यादा अनूपपुर से ही बने हैं। शहडोल संसदीय सीट से सर्वाधिक सांसद अनूपपुर जिले से ही चुने गए हैं। इस बार भी भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ से हैं। कहा जाए तो नाम के लिए शहडोल संसदीय सीट है सभी चुनावी व राजनीतिक गतिविधियों का संचालन अनूपपुर मुख्यालय से ही होता है। शहडोल संभागीय मुख्यालय होने के साथ ही संसदीय सीट की पहचान भी इसी से है लेकिन चुनावी गतिविधियों के लिए निर्भरता अनूपपुर पर ही है।
2009 में अनूपपुर कलेक्टर को निर्वाचन अधिकारी का प्रभार
लोकसभा चुनाव में वर्ष 2009 से कलेक्टर अनूपपुर बने शहडोल संसदीय क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी बने। इसके बाद 2009, 2014, 2016 और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अब 2024 का लोकसभा चुनाव भी संसदीय क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी अनूपपुर के देखरेख में ही हो रहा है। नामांकन दाखिल करने से लेकर चुनाव परिणाम तक की सभी प्रक्रियाएं अब अनूपपुर मुख्यालय से ही हो रही है। इसके लिए सभी प्रत्याशियों को अनूपपुर मुख्यालय ही पहुंचना होता है। साथ ही निर्वाचन से संबंधित कोई भी कार्य हों वह अनूपपुर मुख्यालय से ही होते हैं।

परिसीमन के पहले शहडोल संसदीय सीट का मुख्यालय शहडोल ही था। लोकसभा चुनाव की सभी गतिविधियों का संचालन शहडोल से होता था। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद शहडोल जिले की ब्यौहारी विधानसभा सीट को सीधी संसदीय सीट में शामिल कर दिया गया। वहीं कटनी जिले की बड़वारा विधानसभा सीट शहडोल संसदीय सीट में शामिल हो गई। इसके परिणाम यह हुए कि अनूपपुर में सर्वाधिक तीन विधानसभा सीट होने की वजह से कलेक्टर अनूपपुर निर्वाचन अधिकारी बने। इसकी मुख्य वजह नये राज्य छत्तीटसगढ़ बनने से सीधी लोकसभा में शामिल मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर का भाग के हटने व सीधी का क्षेत्र बढ़ाने शहडोल जिले की ब्यौहारी विधानसभा सीट को सीधी संसदीय सीट में शामिल किया गया।

वर्ष 1952 से 2004 के बीच शहडोल संसदीय सीट का मुख्यालय शहडोल ही रहा है। इस बीच 14 लोकसभा चुनाव यहीं से हुए। इस दौरान शहडोल जिला होता था और इसकी सभी विधानसभा सीटों को मिलाकर शहडोल संसदीय सीट बनाई गई थी। अनूपपुर व उमरिया जिला बनने के बाद शहडोल को संभागीय मुख्यालय का दर्जा मिला। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद लोकसभा सीट का क्षेत्र भी बदल गया और चार जिलों की विधानसभा सीटों को मिलाकर शहडोल संसदीय सीट बनी । यह भी एक विडबना हैं कि शहडोल जिले से एक भी सांसद नहीं बना है। अब तक संसदीय चुनाव में शहडोल की राजनीति में अधिकांश सांसद पुष्पराजगढ़ क्षेत्र से ही चुने गए हैं। 1962 में सीट शहडोल के नाम हुई थी। संसदीय चुनाव में शहडोल जिले में निर्वाचन अधिकारी न होने से फर्क नहीं पड़ा। आज शहडोल को नाम का फायदा जरूर मिल रहा हैं। वहीं शहडोल लोकसभा के नाम होने से फायदे जरूर ऊहैं। इन पांच वर्षो में अनूपपुर उमरिया जिले को केंद्र सरकार की विकास योजनाओं से वंचित हैं। वहीं नामांकन से लेकर परिणाम की घोषणा तक ही प्रक्रिया अनूपपुर से ही तय होता है।

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