enewsmp.com
Home मध्य प्रदेश श्रीमंत की छवि को तोड़कर केसरिया रंग में रंगे ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया,

श्रीमंत की छवि को तोड़कर केसरिया रंग में रंगे ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया,

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- केसरिया रंग के साथ रगों में दौड़ती राजशाही का तालमेल यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया की नई पहचान, जो उन्हें जनता के करीब पहुंचा रही है, वहीं लोकप्रियता के नए आयाम स्थापित कर रही है। यह बदलाव सिंधिया की ‘श्रीमंत’ की छवि से अलग भाजपा के केसरिया रंग को भी गहरा कर रही है।ज्योतिरादित्य ने चार वर्ष पहले तक कांग्रेस में अपने पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की सियासी व शाही विरासत के साथ आगे बढ़ रहे थे, तब गाहे-बगाहे श्रीमंत की छवि अपना अलग प्रभाव रखती थी, लेकिन वह 2020 में भाजपा शामिल होने के बाद से लगातार केसरिया रंग में रंगे हुए हैं।लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से भाजपा के प्रत्याशी बनने के साथ ही यह केसरिया रंग जनता से जुड़ाव का जनता के लिए सबसे आसान माध्यम बन गया है। सिंधिया बतौर कांग्रेस प्रत्याशी पिछला लोस चुनाव इसी सीट से भाजपा के केपी सिंह यादव से हार गए थे। उन्होंने हार की वजह तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह के खेमों को मानते हुए कांग्रेस से अलग होने का मन बना लिया था। भाजपा में वह ‘श्रीमंत’ की छवि तोड़कर कार्यकर्ता की छवि गढ़ने में सफल रहे हैं।सिंधिया के दादा जीवाजी राव का रुझान भी कांग्रेस के बजाय हिंदू महासभा की तरफ था और दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया तो जनसंघ में सक्रिय रहकर भाजपा के संस्थापकों में से एक रही हैं। यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को विचारधारा अपनाने में परेशानी नहीं आई।

Share:

Leave a Comment