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कविता : पिता-माता की याद मे

माँ-पिता थे
तब मै
पुत्र था
उनकी दुनिया
की एक अनंत सी
बहुरंगी
चादर थी ऊपर ।

अब धूप
और
बेरंग खुला आकाश
ये अजनबी
मतलबी
नीरस
क्षुद्र संसार
और मै पिता ।

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