विदिशा(ईन्यूज एमपी)- जल संसद कार्यक्रम के तहत विदिशा जिले के सभी विकासखण्ड मुख्यालयों पर आज जल संसद का आयोजन तीन चरणों में किया गया था जिसमें प्रातःकाल श्रमदान द्वितीय चरण में मंचीय कार्यक्रम के माध्यम से जल संरक्षण के उपायों पर गहन विचार विमर्श किए गए और अंतिम चरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लाइव भाषण को कार्यक्रम स्थलों पर देखा व सुना गया है। इसके लिए बकायदा एलईडी के भी प्रबंध सुनिश्चित किए गए थे। जिला मुख्यालय पर जल संसद संबंधी कार्यक्रम बेतवा नदी के किनारे स्थित श्री बाढ़ वाले गणेश मंदिर परिसर में सोमवार को आयोजित किया गया था प्रथम चरण में नगरपालिका अध्यक्ष, कलेक्टर के अलावा अन्य अधिकारीगण, गणमान्य नागरिकों ने बेतवा नदी में श्रमदान किया। मंचीय कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए नपा अध्यक्ष मुकेश टण्डन ने कहा कि पहले हम परिश्रम कर जितनी जल की आवश्यकता होती थी उतना ही भरकर उपयोग में लाते थे किन्तु अब बटन दबाओं पानी मिलने लगा है अतः हम जल की महत्वता को कम प्रतिपादित करने लगे है यही कारण है कि अब जल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। जल की मात्रा बढाने के लिए हमें अनेक प्रकार के संरचनाओं के साथ-साथ पूर्व निर्मित संरचनाओं का जीर्णोद्वार करने की अति आवश्यकता है। उन्होंने आने वाली पीढी को प्रचूर मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए अभी से जल का सदुपयोग करते हुए अपव्ययता पर प्रतिबंध लगाने, जमीन के अन्दर अधिक से अधिक समाहित हो इसके लिए हर स्तर पर प्रयास करने होंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष तोरण सिंह दांगी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट की स्थिति ग्रीष्मकाल में निर्मित होने लगती है अनेक कुंआ, बाबडी सूख जाते है और हेण्ड पंपों से जल मिलना बंद हो जाता है। निश्चित ही इसके पीछे हम जमीन के अन्दर का पानी निकालने की कोशिश करते है किन्तु जमीन में अधिक से अधिक पानी जाए इसके लिए जन भागीदारी जन सहयोग से कार्यो की अति आवश्यकता है। उन्होंने नदियों के किनारे अधिक से अधिक पेड पौधे लगाए जाने पर बल देते हुए कहा कि पेडो से हरियाली, पर्यावरण, जल और औषधी एवं फलफूल सुगमता से प्राप्त होते है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरचनाओं के निर्माणो पर बल दिया। कलेक्टर अनिल सुचारी ने कहा कि हम अभी भी चेत जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को प्रचूर मात्रा में जल की उपलब्धता विरासत में दे सकें। उन्होंने विद्यार्थी जीवन के संस्मरणों को रेखांकित करते हुए कहा कि जहां पहले नदी नालो की धार नही टूटती थी अब वे सूखे वीरान होते जा रहे है ऐसे समय हम सबका नैतिक दायित्व है कि हम सब जल प्रबंधन के प्रति सचेत होकर कार्ये को अंजाम दें। कलेक्टर ने कहा कि मानव सहित अन्य सभी जीवों एवं कृषि कार्यो के लिए को पूरे 12 महीने पानी की आवश्यकता पड़ती है किन्तु बरसात तीन-चार माह होती है शेष आठ माहों के लिए पानी संरक्षित कर रखने की जबावदारी हम सबकी है। इसके लिए अधिक से अधिक जल संरचनाओं का निर्माण कराया जाना अति आवश्यक है ताकि घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में ही रूक सकें। उन्होंने पुरानी जल संरचनाओं को पुनः जीवित करने पर बल दिया है। अपर कलेक्टर एचपी वर्मा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन क्यों आवश्यक पडे़ है कि और भी विचार करना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जहां पहले सुगमता से चहुंओर जल प्राप्त हो जाता था किन्तु अब धीरे-धीरे जल स्तर की गिरावट होने से जल की कमी नजर आने लगी है ऐसे समय हम सबकों अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए अधिक से अधिक जल संरचनाओं के निर्माण कार्या में सहभागिता करना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा अनेक स्तर पर जल संचय करने के लिए संरचनाओं के निर्माण हेतु विभिन्न स्तर पर राशियां उपलब्ध कराई जाती है जिसका हम सदुपयोग कर आने वाली पीढ़ी को हम प्रचूर मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करा सकते है। उन्होंने खेती में सिंचाई के लिए टपक विधि का अधिक से अधिक उपयोग करने पर बल दिया। इसी प्रकार घरों में भी जल का सदुपयोग कर हम जल संरक्षण के कार्य के सहभागी बन सकते है। एसएटीआई के संचालक जेएस चौहान ने कहा कि हमें सबसे पहले अपनी सभी पुरानी जल संरचनाओंं का जीर्णोद्वार करना चाहिए ताकि उनकी बंद पुरानी झीरे पुनः चालू हो सकें। इसके लिए जन अभियान अति आवश्यक है। समाजसेवी अतुल शाह ने कहा कि बढ़ती आबादी के दबाब में हमने प्राचीन कुंओं एवं नदियों को डस्टबिन का रूप दे दिया है यही कारण है कि जहां पहले उनमें जल भरा रहता था वह कम होता जा रहा है। कार्यक्रम को मनोज पांडे समेत अन्य ने भी सम्बोधित किया इसके अलावा कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य नगारिकों ने भी जल संरक्षण से संबंधित अपने सुझाव रखें।