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सीधी : चेहरे चर्चित चार - नेता अफसर विधिक पत्रकार ...

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 इन्द्रशरण सिंह चौहान✍️
बीजेपी अध्यक्ष

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आज चर्चित राजनीतिक चेहरा भाजपा जिला अध्यक्ष इन्द्रशरण की चर्चा, जिन्होंने धीरे धीरे राजनीतिक सीढ़िया चढते हुए आज सत्ताधारी पार्टी भाजपा के जिला अध्यक्ष पद पर आसीन हैं। इद्रशरण सिंह का जन्म 1971 में शहर से लगे नजदीकी गांव नौगावां में हुआ, शिक्षा शहर से ही एम ए और एलएलबी तक हुई। बाद मे इन्द्रशरण को राजनीतिक छाया लग गई, और उसी समय इन्द्रशरण भाजपा समर्थित संगठन बजरंग दल के 1991 में प्रखंड संयोजक बन गए, फिर जिला संयोजक, और सहसंयोजक बने, लेकिन पढ़ाई में प्रतिभावान इन्द्रशरण को राजनीति अब कुछ बहुत रास नही आ रही थी, क्योंकि इन्द्रशरण की इच्छा तो सिविल सेवा में अधिकारी बनने की थी, लेकिन इसी दौरान इन्द्रशरण के सर से पिता का साया हट गया, पारिवारिक जिम्मेवारियां अपनी ओर खींचने में भारी पड़ गई, तब इन्द्रशरण राजीतिक अखाड़े से आपने आपको दूर कर लिए थे, और अपने घर की जिम्मेवारी से संघर्ष कर रहे थे, लेकिन समय 1998 के दौरान भाजपा ने इनको ढूढ़ निकाला और युवा मोर्चा का जिला महांमत्री बना दिया। इस बार इन्द्रशरण अन्य सभी विकल्पों से दूर होकर राजनीति में अपने आपको एकाग्र कर चुके थे, इसी दौरान 2002 में महज इकतीस वर्ष की अवस्था मे अपने ग्राम पंचायत के सरपंच बन गए, और सीधी ब्लॉक के सरपंच संघ के निर्विरोध अध्यक्ष भी बन गए, और उसी दौरान गठित संगठन त्रिस्तरीयपंचायती राज महासंघ के इन्द्रशरण निर्विरोध अध्यक्ष बन गए, जिसमे 19 जिले के जन प्रतिनिधि थे, 2011 में भाजपा किसान प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यकारणी सदस्य बन गए, लेकिन पंचायती राज में काफी राजनीतिक अनुभव के कारण प्रभात झा जैसे बड़े नेता के नेतृत्व में पंचायती राज प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक बना दिया गया। और वर्ष 2015 में नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल में संयोजक बना दिया गया। वर्ष 2018 में कृषि उपज मंडी के चुनाब में इन्द्रशरण डारेक्टर निर्वाचित हुए और फिर पार्टी ने इन्द्रशरण को किसान मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया,
2020 में पार्टी ने इन्द्रशरण को जिलाध्यक्ष का ताज पहना दिया।


हालांकि इन्द्रशरण जबसे अध्यक्ष बने तब से पार्टी के अंदर भी कई तरह राजनीतिक गतिरोध दिखाई सुनाई देने लगे, कुछ अपुष्ट आपत्तिजनक अफवाहों ने भी इन्द्रशरण को विवादों में घेर लिया, लेकिन सभी जाल को इन्द्रशरण ने खारिच कर आगे बढ़ते गए, बर्तमान में एक फिर राजनीतिक गलियारे में आरोप है कि हाल में घोषित जिला कार्यकारणी की कमेटी में इन्द्रशरण ने सीधी विधानसभा के कार्यकर्ताओं को अधिक संख्या में पदाधिकारी बना दिया है, दबी जुबान से चर्चा सुनने को मिलती है इस बार इन्द्रशरण स्वयं विधानसभा के दावेदार के रूप में पार्टी के सामने मजबूती से अपना विकल्प प्रस्तुत करना चाहते है, इसलिए पूरा ताना बाना अपने हिसाब से बना रहे है।

जबकी इन्द्रशरण स्वयं इस बात को खारिच करते हुए कहते है कि पिछले कमेटी में सीधी विधानसभा से 12 लोग पदाधिकारी थे, इस बार तो दस ही है, ये बात जरूर है कि इस बार पूरी कमेटी ग्रेजुएट टीम है सिर्फ दो लोग ही कम शिक्षित हैं।वंही स्थानीय विधायक के किसी भी मंच पर न होने के कारण अनबन की आशंका को भी खारिच करते हुए, इन्द्रशरण सिंह कहते है कि जब राजनीतिक शुरुआत के दिनों में युवा महामंत्री था तब से माननीय केदारनाथ शुक्ल जी का आशीर्वाद और सानिध्य हांसिल था और उनका मार्गदर्शन मिलता रहा है, राजनीतिक गुर तो हमे उन्होंने ही सिखाया है। यंहा तक कि एक बार माननीय की पराजय से आहत होकर इन्द्रशरण बीमार हो गये और 2 दिनों तक बुखार रही । लेकिन बेबाक इन्द्रशरण ने इस बात को स्वीकार किया कि हर राजनीतिक व्यक्ति की हर आगे की सीढ़ी पर कदम रखने की इच्छा होती है जो स्वाभाविक रूप से मेरी भी है, जिसके कारण अब उतनी प्रगाढ़ता नही है ।


खैर इन्द्रशरण कहते है जब राजनीतिक जिम्मेवारियां कम होगी तो राजनीतिक विरक्तता के बाद पूर्ण रूप से आद्यात्म में जाने का मन है, जिसमे गहरी रुचि है, राजनीति में आज भी उतनी रुचि नहीं है, पर जीवन के कर्म पथ पर स्वयं कुछ संघर्ष से अर्जित करना चाहिए, जिस सिध्यांतो के लिए अनवरत चलता जा रहा हूँ । मेरी निगाह में इन्द्रशरण एक मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हैं , मंचीय भाषण चाहे वो किसी भी विषय पर हो काबिले तारीफ है, लेकिन सीधी की तासीर ही ऐसी है कि वह वतौर भाजपा अध्यक्ष विवादास्पद हैं ...?


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👉 के.पी. पाण्डेय ✍️
संयुक्त कलेक्टर
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आज जिक्र एक ऐसे अधिकारी का जो एक साधारण परिवार मे पैदा होता है, और कठिन संघर्ष और चुनौतियों से द्वंद करके अधिकारी बन जाता है, आज चर्चित अधिकारी है संयुक्त कलेक्टर के पी पांडेय जिनका जन्म मार्च 1960 में कर्पबाह, रामपुर बघेलान जिला सतना में हुआ, प्राथमिक शिक्षा बगल के गांव खेड़िया, और हायर सेकंडरी त्यौंधरी से हुई।
कालेज की पढ़ाई सतना शासकीय महाविद्यालय से बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की। छात्र जीवन से पांडेय के मन मे अधिकारी बनने का निश्चय था, परंतु साधारण परिवार होने के कारण किसी भी प्रकार नौकरी का दबाव था, ऐसे में पढ़ाई के कुछ समय मे शिक्षक पद की नौकरी कर ली। पर पांडेय को लग रहा था कि जीवन का लक्ष्य तो नही छोड़ सकता अतः उन्होंने पीएससी की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन किस्मत ने एक मोड़ पे ला दिया पांडेय का चयन एसएलआर और सहायक प्राध्यापक के पद पर हो गया, किंतु पांडेय अपने मंजिल की ओर एकाग्र थे और उन्होंने इस विकल्प का परित्याग कर दिया, और 1992 में नायब तहसीलदार बन कर रायपुर ज्वाइन कर लिए, एक समय ऐसा भी आया कि पांडेय जिस जगह शिक्षक थे उसी नागौद में तहसीलदार बन कर पहुच गए। 2003 में पांडेय तहसीलदार बन गए, और रीवा जिले के कई तहसीलों में अपनी सेवा देने के बाद 2008 में सीधी के मझौली आ गए, तात्कालिक कलेक्टर केदारलाल शर्मा ने उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर जिला मुख्यालय तहसील गोपद बनास का जिम्मा दे दिया।

2013 में राज्य शासन ने पाण्डेय को पदोन्नति देकर डिप्टी कलेक्टर बनाकर पथरिया तहसील के एसडीएम बना दिया गया। एक वार फिर 2015 में पाण्डेय फिर रीवा आ जाते है, और अनेक तहसीलों में वतौर एसडीएम प्रसंसनीय कार्ये किये । वर्ष 2018 में एकवार फिर सीधी आ जाते है तबके तात्कालिक कलेक्टर दिलीप कुमार द्वारा उन्हें गोपद बनास का एसडीएम बना दिया जो 1 सालों तक एसडीएम की सेवा में रहते हुए अनेकों उल्खेखनीय सेवाएं की , साथ ही 6 सितंबर 2019 को उन्हें डिप्टी कमिश्नर रीवा बना दिया जाता है जहां पर भू अभिलेख के साथ-साथ डिप्टी कमिश्नर रीवा संभाग के अलावा भू अर्जन अधिकारी बाणसागर परियोजना का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया इन तमाम पदों में रहते हुए पांडे की अच्छी छवि के चलते जिला प्रशासन रीवा द्वारा उन्हें वर्तमान में 22 मार्च 2021 से रायपुर कर्चुलियान व मनगमा तहसील का एसडीएम बनाया गया है पाण्डेय 31 मार्च 2022 को अपनी प्रशासनिक पदों से मुक्त होंगे ।



कभी भी मेहनत से मुंह नहीं मोड़ने वाले श्री पाण्डेय अपने कर्मों पर हमेशा भरोसा किया है कर्म पथ को पूजा मानने वाले संघर्षशील यह चेहरा सीधी जिले के गोपद बनास तहसील में वतौर तहसीलदार और एसडीएम के पदों पर पदस्थ रहते हुए अनेक उल्लेखनीय सेवाएं की है । सीधी जिले में भू माफिया हमेशा से फलते फूलते रहे हैं जिनके पर कतरने का काम इन्होने बाखूबी निर्वहन किया है , भू माफियाओं द्वारा आदिवासियों की भूमि अपने नाम पर नामांतरण करा लेने पर उन्होंने ज्यौं की त्यौं स्थित निर्मित कराने में कामयाब रहे हैं । सरकारी भूमि को निजी भूमि का पट्टा करा लेने पर माफियाओं को गच्चा देते हुए फिर से कई ऐसी भूमियों को सरकारी भूमि घोषित करने का काम किया गया था यहां तक की नौढिया की रेलवे भूमि को अपने नाम करा कर दूसरों को बिक्री की गई सूखा नाले की जमीन पर अंकुश लगाते हुए श्री पाण्डेय ने फिर से उसे शासकीय भूमि घोषित किया है जो आज भी एक मिशाल है । सीधी जिले के नौढिया व पश्चिम बेल्ट इन तमाम तथ्यों के लिये उदाहरण रहे हैं । इस तरह वह जहां रहे हर जगह गलत तरीके से भू माफियाओं द्वारा अर्जित की गई सरकारी जमीनों को सरकारी हित में फिर से वापस लाया है ।

सीधी के तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह का कार्यकाल शायद आज भी किसी ने नही भूला होगा , उनके कार्यकाल में शहर के अतिक्रमण को ढहाने और जीण शिर्ण भवनों को ढहाने जैसे अनेक उदाहरण सुर्खियों में रहे हैं , यहां तक की तमाम ऐसी भी परिस्थितियां सामने से गुजरी जिनका वतौर एसडीएम के.पी. पाण्डेय ने डंट कर मुकाबला करते हुये सामना करते हुये नैतिकता का परिचय दिया है । तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह का कार्यकाल एक दहशत भरा समय रहा है , माकूल परिस्थितियों में उनकी विचारधारा में काम करना बड़ी टेढ़ी खीर थी । फिर भी के पी पाण्डेय कभी भी नैतिकता से अपनी लीक से नहीं हटे स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किये यही वजह रही है कि वह अभिषेक सिंह के प्रिय थे । ऐसे वहुचर्चित जिला प्रशासन के साथ काम करना सहज नहीं था फिर भी के पी पाण्डेय उनके भी कार्यकाल में एक सफल अधिकारी की भूमिका में रहे , श्री पाण्डेय हमेशा से परिश्रम के धनी रहे हैं तामझाम से गुरेज रखते हुए आज भी अपनी विंध्य क्षेत्र की परंपरा को धारण किए हुए हैं आधुनिकता का जामा नहीं पहनने वाले इस संयुक्त कलेक्टर ने शासकीय सेवा में श्री गणेश से लेकर अब तक एक मिसाल का जीवन जिया है कभी भी किसी के सामने झुकने की आदत नहीं ...और न झुकाने की... किंतु प्रेम से वह सर्बस लुटाने के लिए न कभी पीछे हटे और कभी भी अपने उसूलों से समझौता करना उनकी फितरत में नही है ।


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👉 सुधीन्द्र शुक्ल ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता
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आज विधि व्यवसाय मे एक ऐसे चेहरे पर चर्चा कर रहा हूँ जो वकालत एवं राजनीति के माध्यम से समाज सेवा करना प्रमुख मकसद रहा है जी हाँ वह नाम है सीनियर एडवोकेट सुधीन्द्र शुक्ल जिनका जन्म 03-05-1967 को ग्राम पांड मझौली में एक सामान्य परिवार मे हुआ था, इनकी प्रारंभिक शिक्षा पांड व मझौली में हुई तथा टी आर एस कालेज रीवा से BA LLB की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 1992 मे जिला न्यायालय रीवा मे नामी गिरामी वकील श्री शुशील तिवारी जी के जूनियर के रूप में वकालत का श्रीगणेश किया, वर्ष 1895 से निरंतर आज तक मझौली न्यायालय एवं जिला न्यायालय सीधी मे वकालत कर रहे श्री शुक्ल जी इस पेशा मे ईमानदारी व लगन परिश्रम के साथ अपने पक्षकारों की पैरवी के लिए जाने जाते हैं, वर्ष 2018 से 2021 तक मझौली अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष के दायित्व पर रहते हुए शुक्ल जी ने अधिवक्ताओं के बैठने के लिए अधिवक्ता कक्ष का निर्माण कराने में सफल रहे हैं ।

वकालत के साथ राजनैतिक क्षेत्र में वर्ष 1995 से निरंतर वह काग्रेस पार्टी की विचारधारा से काग्रेस पार्टी के विभिन्न पदो पर रहते हुए जिम्मेदारी का निर्वहन किया, वर्ष 1995 मे यूथ कांग्रेस मझौली के ब्लॉक अध्यक्ष तथा वर्ष 2004 से लगातार आज दिनांक तक जिला काग्रेस कमेटी के महामंत्री के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं, एडवोकेट सुधीन्द्र जी वकालत के साथ साथ सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं इसी के चलते वर्ष 2005 मे जनपद सदस्य निर्वाचित हुए उसके बाद अपनी पत्नी श्री मती सरिता शुक्ला जनपद सदस्य निर्वाचित हुई, तत्पश्चात ग्राम पंचायत की सरपंच भी इनकी पत्नी रही है, वर्ष 2015 मे जिला पंचायत के चुनाव में श्री मती सरिता शुक्ला जिला पंचायत के सदस्य निर्वाचित होकर सभापति महिला वाल विकास विभाग रही है कुल मिलाकर पंचायती राज व्यवस्था में ईमानदारी से जनसेवा का कार्य करते हुए वर्षों वर्षों तक अपना झंडा बुलंद करते चले आ रहे हैं, इनके द्वारा वर्ष 2006-07 मे वनांचल क्षेत्र में सौर ऊर्जा से गावों को रोशन करने के लिए बहुत अच्छा रचनात्मक कार्य किया गया , श्री शुक्ल जी के पिता साधारण कृषक थे इनके बडे भ्राता डाक्टर रामानंद शुक्ल IAS अधिकारी रहे हैं जिनके सानिध्य व निर्देशन में सात भाइयों के बीच आपसी समन्वय सामजस्य के कारण यह परिवार आज भी संयुक्त परिवार के तौर पर समाज में एक आदर्श परिवार के रूप में जाना जाता है, तभी तो एडवोकेट सुधीन्द्र शुक्ल एक सहज सरल व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं ।



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👉 जीतेंद्र तिवारी ✍️
प्रेस फोटो ग्राफर

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डिजिटल क्रांति के पहले कभी फोटोग्राफी का वड़ा महत्व रहा है प्रिंट मीडिया के लिये प्रेस फोटो ग्राफर की भूमिका श्रृंगार से कम नही होती थी , फोटोग्राफी संचार का एक मात्र माध्यम है जिसमें भाषा की आवश्यकता कम संदेश का प्रभाव ज्यादा होता है। यही करण है कि एक फोटो दस हजार शब्दों के बराबर होता है। फोटोग्राफी एक कला है जिसमें दृश्यात्मक योग्यता के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान भी आवश्यक है । और इस कला को वही समझ सकता है, जिसे मूकभाषा आती हो। जी ...हां आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स का परिचय करा रहे हैं जो दो दशक पहले सीधी के मशहूर फोटोग्राफरों में से एक थे । इस शख्स का नाम हैं " जीतेन्द्र तिवारी " जो आज अभिषेक फोटोलैब सहित चार प्रतिष्ठानों के डायरेक्टर हैं जिनका जन्म एक साधारण परिवार में 1969 को सलैयां कोठार गांव में हुआ था । बीऐ और एल.एल.बी की पढाई के उपरांत 7 जुलाई 1987 को अपने व्यापार का श्री गणेश करके आज वह समाज और परिवार के लिये आदर्श हैं।


1993 से लेकर 2006 का सफर जितेंद्र के लिए आज भी खास बना हुआ है वह आज जिस ऊंचाई में हैं जिस पायदान में हैं कंही न कंहीं यश कीर्ति और सम्मान के पीछे का राज फोटोग्राफी पत्रकारिता है । लेकिन 7 जुलाई 1987 उनके जीवन के लिए हमेशा खास रहेगा कारण कि उस दिन उन्होंने व्यापार जगत में श्री गणेश किया था फिर 10 अक्टूबर 1981 को आरती स्टूडियो 17 जुलाई 1999 को तिवारी मेडिकल स्टोर और 12 अगस्त 2007 को अभिषेक लैब की स्थापना हुई थी जितेंद्र 1993 से लेकर निरंतर 2006 तक प्रेस फोटोग्राफी। पत्रकारिता के अलावा वह श्रमजीवी पत्रकार संघ के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं । उस दौर का वह वक्त जब डिजिटल क्रांति नहीं थी तब रील सिस्टम से वह डार्करूम में छायाचित्रों का चित्रण किया करते थे । जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से जिला प्रशासन की गतिविधियों को कैमरे में कैद करने वाले जितेन्द्र अक्सर आईएएस अधिकारियों के दिलों में राज किया करते थे ।


1993 से 2006 का वह दौर प्रेस फोटोग्राफर जितेंद्र तिवारी के लिये संघर्षशील और स्वर्णिम दोनो एक सिक्के के पहलू रहे हैं , उन आला अधिकारियों उन कलेक्टरों के साथ कार्य करने का एक अलग जज्बा था एक अलग शोहरत थी वहीं से जितेंद्र व्यापार के क्षेत्र में सफलता के नये आयाम अर्जित करने में कामयाब रहे है । लगभग एक दशक तक प्रेस फोटोग्राफर की भूमिका अदा करने वाले जितेंद्र निर्वाचन कार्यों में भी छायांकन की परछाई हुआ करते थे । जितेंद्र बताते हैं कि आर.एन. सिंह नामक एक डीएसपी इनके प्रेरणा स्रोत रहे हैं इन तमाम क्षेत्रों में कार्य करने का हौसला बुलंद करने में उनका अच्छा योगदान रहा है और हां परिवार को स्थापित करने के लिये कृतसंकल्पित जीतेंद्र ने जो दो दशक पहले ठाना था वह आज स्पस्ट तौर से दृष्टिगोचर हो रहा है । पारिवारिक सामाजिक गतिविधियों में आगे रहते हुए राजनीति के क्षेत्र में भी जीतेन्द्र पीछे नहीं रहे सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला और पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा की विचारधारा से ओतप्रोत होकर इन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में भाजपा को स्वीकार किया है , शुरू से ही इनकी विचारधारा भाजपा से जुड़ी है जो आज भी कायम है , जितेंद्र वकील भी हैं किंतु व्यापारिक और पारिवारिक व्यस्तताओं के चलते वह कालीकोट धारण नहीं कर सके ।

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