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Home सियासत विंध्य क्षेत्र की उपेक्षा , इतर साबित होगा शिवराज का राजनीतिक पाखंड...?

विंध्य क्षेत्र की उपेक्षा , इतर साबित होगा शिवराज का राजनीतिक पाखंड...?

धर्म और राजनीति दोनों सदियों से व्यक्ति एवं समाज पर गहरा प्रभाव डालने वाले विषय रहे हैं, वर्तमान में देश में धर्म और राजनीति की मिश्रित बयार चल रही है, इतिहास ने धार्मिक केंद्रों को राजनीतिक सत्ता-केंद्र के रूप में भी कार्य करते देखा है, फिर भी इन दोनों के आपसी संबंध चर्चा के मुद्दे बनते रहे हैं, कभी-कभी इनकी मिथ्या-प्रस्तुति के कारण विवाद भी पैदा होते रहे हैं, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुनर्जागरण का जो अभियान चल रहा है, वो स्वागत्योग्य है, अयोध्या, वाराणसी, महाकाल लोक, मथुरा, ज्ञानवापी योजनाबद्ध नीति एवं कार्यक्रमों द्वारा शासन प्राप्त करना राजनीति का अभिप्राय है, इसमें किसी को कोई आपत्ति भी नही है, पर इसी दौर में धर्म के नाम पर चल रहे राजनीतिक पाखंड का पर्दाफाश करना भी पत्रकारों का धर्म है ।

मिशन 2018 के दौर में बीजेपी के लिये विंध्य शानदार परिणाम लेकर राजधानी में दस्तक दी किंतु अगड़ा पिछडा़ के चक्कर में एक खास तबके के अस्तित्व को कुचलने में शिवराज सफल रहे , और जब 23 के पहले खुफिया रिपोर्ट हाथ लगी तो सबके हांथ पैर फूलने लगे एक खबर के अनुसार भोपाल में पिछले सप्ताह भाजपा विधायक दल की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी, जिसमे कमजोर विधायको से वन टू वन चर्चा की गई, अपनी रीति नीति में सुधार करने की बात कही गई, और भी बहुत सी बाते कही गई हैं अखबारों के माध्यम से छन छन कर तरह तरह की खबरें जो आम हुई हैं वह व्यक्त करने योग्य नही है ...सौ अंक भी नसीव नही हो रहे है ...?

संघ और इंटेलिजेंस का आंतरिक सर्वे भाजपा के लिए निराशा लेकर आ रहा है, कई सुरक्षित विधानसभा सीट पर हार का खतरा मंड़रा रहा है, पार्टी चिंतित है, बैठकों का दौर शुरू हो गया है, पर जो वास्तविक कारण है क्या उस पर चर्चा हो पाएगी इस बात पर संशय है,, कहते हैं जब पाप और अत्याचार बढ़ता है तब भगवान याद आते हैं, और पापी भी अपनी होने वाली गति का आंकलन करके भगवान की शरण ही जाता है, तभी किसी चुनावी विश्लेषक ने बताया चुनाव भी तो आने वाले हैं प्रभु,, आधी भागवत कथाओं के पीछे भी धर्म नही कुछ महात्वकांछी राजनीतिक प्रत्याशी हुआ करते हैं,,

खैर, विषयांतर हो गया...

यूपी के योगी मॉडल की नकल मध्य प्रदेश में भलीभांति देखी जा सकती है, राशन शासन और बुल्डोजर के बाद धर्म को राजनीति की सीढ़ी बनाने का काम शिवराज ने भी शुरू कर दिया है, देर से ही सही, उज्जैन के बाद चित्रकूट और मैहर की सुध ली जा रही है, लगभग 18 साल मुख्यमंत्री बने रहने के दौरान ये सद्बुद्धि उनको क्यों नही आई ये तो बाबा महाकाल जाने या मैहर की शारदा माता, हमें इतनी समझ भला कंहा, जो इस पॉलिटिकल एडवेंचर को समझ सकूं, हमें भले ही कुछ समझ न आ रहा हो पर सड़क चलता एक आम आदमी, कॉलेज से डिग्री ले चुके बेरोजगार युवा, ऑफिस में डीए का इंतजार करता बाबू, अपने हक के लिए हड़ताल की योजना बनाते हुए आशा, नियमितीकरण की राह देखते संविदा कर्मी, तनख्वाह बढ़ने की उम्मीद लिए रोजगार सहायक, और मंचो से होने वाली कार्यवाहियां देखते सरकारी अधिकारी कर्मचारी, और पेसा एक्ट के नाम पर ठगे जा रहे आदिवासी वनवासी सब कुछ देख पा रहे हैं, और सब समझ पा रहे हैं,,

कैसे एक छोटे से कर्मचारी के ऊपर छोटी छोटी बातों पर एफआईआर कराई जा रही है, और मंत्रियों की खुलेआम हो रही शिकायतें मिलने पर शुतुरमुर्ग सा सर धरती में धसा लिया जाता है, राजनीतिक पाखंड का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा, जंहा 5 लाख, 10 लाख रुपए देकर ट्रांसफर पोस्टिंग पाए एक अधिकारी को मंच पर खड़ा करके जनता से पूछा जाता है, इसने किसी से रुपए तो नही लिए, पेसा एक्ट को ट्रंप कार्ड मानकर चल रही सरकार क्या वनवासियों को बेवकूफ समझती है, जनजातियों के कल्याण की इतनी योजनाओं के बाद उनके जनजीवन में कितना परिवर्तन आया, पुलिस ग्राम सभा का कितना सम्मान करती है, राजस्व विभाग जमीनी मामलों में ग्राम सभा की सलाह को कितनी तवज्जो देगा ये सब किसी से छिपा नहीं है, ये पाखंड बंद होना चाहिए ।

पाखंड आदमी को आदमी से दूर कर देता है, क्योंकि कथनी और करनी कभी छिपती नही, सब्जबाग दिखाकर अधिक दिनों तक किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है, वर्तमान भाजपा सरकार केवल जनता को सब्जबाग दिखा रही है, युवा दुखी है, रोजगार नही मिल रहा, गृहस्थ दुखी है मंहगाई से निजात नही मिल रही, कर्मचारी दुखी है, मंहगाई भत्ता नही मिल रहा है, संविदा कर्मी दुखी हैं, नियमितीकरण नही हो रहा, विज्ञापन पर विज्ञापन ठोंकें जा रहे हैं भर्ती कब होगी कुछ पता नही , अधिकारी दुखी है, काम का अत्यधिक अव्यावहारिक दवाब है, लगभग हर वर्ग दुखी है, इन वर्गों की समस्याएं हल करने के बजाय लोगो को धर्म में उलझा कर चुनावी मुद्दा भुनाना शायद इस बार संभव नहीं हो पाएगा, इस पाखंड को सभी भली भांति महसूस कर रहे हैं ।

मैं धर्म विरोधी नही हूं, मैं भाजपा विरोधी भी नही हूं, कांग्रेस विरोधी भी नही हूं, लेकिन आमजन की समस्याओं के समाधान के बजाय धर्म को अपने राजनीतिक ध्येय की पूर्ति की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल करने का विरोधी हूं , विंध्य क्षेत्र के अपमान का विरोधी हूं , ऐनकेन प्रकारेण समूचे सरकार में जिस तरह से विंध्य अपमानित हुआ है उस दंश का खामियाजा आने वाले समय में भुगतना होगा ...भुगतना होगा ।

सचीन्द्र मिश्र

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