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सिविल जज की प्रारंभिक परीक्षा और परिणाम निरस्त.....

बिलासपुर(ईन्यूज एमपी)- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) को बड़ा झटका दिया है। सिविल जज की प्रारंभिक परीक्षा और उसके परिणाम और पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने बिना परीक्षा फीस लिए दोबारा परीक्षा कराने का भी आदेश दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी के एकलपीठ में हुई। सीजीपीएससी 39 सिविल जज पदों के लिए 7 मई को सीजी पीएससी ने परीक्षा आयोजित की। इसमें 100 प्रश्न थे।


परीक्षा के दौरान कई प्रश्नों में स्पेलिंग मिस्टेक और कई प्रश्नों में मटेरियल मिस्टेक परीक्षार्थियों ने महसूस किया। परीक्षा के बाद 8 मई को पहला मॉडल आंसर पीएससी ने जारी करते हुए परीक्षार्थियों से दावा आपत्ति 50 रुपए फीस और उस 17 रुपए टैक्स सहित 67 रुपए प्रति प्रश्न जमा करने के लिए कहा। परीक्षा में शामिल 8000 परीक्षार्थियों में से 154 ने फीस को जमा करते हुए 70 प्रश्नों पर आपत्ति किया।

आपत्ति के बाद पीएससी ने दूसरा मॉडल आंसर 22 जून को जारी किया। इसमें 12 प्रश्नों को पीएससी ने जहां डिलीट कर दिया वहीं 4 प्रश्नों का उत्तर बदल दिया। पीएससी नियम के मुताबिक 20 प्रतिशत प्रश्नों के गलत होने पर परीक्षा रद्द करने के लिए जिम्मेदार होता है। दूसरे मॉडल आंसर में उम्मीदवारों को राहत नहीं मिलने पर परीक्षार्थी सब्यसांची चौबे, कुमार सौरभ सहित आठ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता वैभव शुक्ला, राकेश मोहन पांडेय, सुयश धर, हिमांशु सिन्हा, शक्ति राज, बीपी शर्मा के माध्यम से 2 जुलाई को याचिका दायर कर चुनौती दिया। इसमें तर्क दिया कि प्रश्न समझने के लायक नहीं थे। उत्तर भी समझ में नहीं आ रहे थे।

एक प्रश्न पर दावा आपत्ति के लिए परीक्षार्थियों से 67 रुपए लिए गए। परीक्षा फीस 400 रुपए सहित 70 प्रश्नों पर दावा आपत्ति करने पर एक-एक परीक्षार्थी को 4690 रुपए जमा करने पड़े। जबकि सारे परीक्षार्थी लाॅ ग्रेजुएट बेरोजगार हैं, उनके पास इतनी राशि नहीं होती है। साथ ही हवाला दिया कि दूसरे राज्यों की पीएससी के द्वारा दावा आपत्ति का फीस नहीं लिया जाता है। सुनवाई के दौरान पीएससी के तरफ से आपत्ति इस बात पर की गई कि मॉडल आंसर एक्सपर्ट जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक्सपर्ट द्वारा जारी आंसर पर न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकती।‌

तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने टिप्पणी किया कि यह परीक्षा विधि से संबंधित है, इसलिए इस पर हस्तक्षेप करना जरुरी है। कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पहले मुख्य परीक्षा पर रोक लगाया था। वहीं सभी पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद शुक्रवार को कोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दिया है। साथ ही पीएससी को दोबारा परीक्षा लेने का आदेश दिया। इसमें दोबारा उन्हीं परीक्षार्थियों का बिना फीस लिए फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया है।

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