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अतीत कि याद दिला रही सीधी की अराजकता , प्रशासन मौन क्यूं ....?

" मंगल भवन आमंगल हारी "
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आज सुबह अखबार और व्हाट्सएप ग्रुप पर सीधी की अराजक हो रही राजनीति की खबरों पर कुछ लिखने का मन हो रहा था, वैसे तो ये लिखने का विषय ही नही है, कहने और करने का विषय है,, राजनीतिक जिम्मेदारों को कुछ कहने का और प्रशासनिक जिम्मेदारों को कुछ करने का वक्त है ।
अभी अधिक वक्त नहीं बीता है, जब इसी अराजक राजनीति की वजह से सीधी बदनाम हुआ करता था, कोई भी अच्छा अधिकारी सीधी नही रुकना चाहता था, सीधी वासियों को याद है और घर वाले घर नही पहुंचते थे, तो नास्तिक से नास्तिक सा व्यक्ति भी बोल पड़ता था, ‘हे भगवान‘ सब कुशल मंगल हो,, ना अब न तब इंसानी जिंदगियों को न जमीन नोचती थी ना आसमान निगल जाता था जिनके भय से आप सब "मंगल भवन अमंगल हारी" का जाप किया करते थे । पर वक्त बदला, परिवेश बदला, सीधी की राजनीति से अराजकता लुप्त हुई, राजनीति और प्रशासन का रचनात्मक गठजोड़ हुआ, ये उसी का परिणाम हुआ की सीधी आज मिनी स्मार्ट सिटी बनने की राह पर अग्रसर है,,

चेहरा कोई भी हो अपने साथ कुछ न कुछ सम्मान और अधिकार लेकर जरूर आता है, पर पद के इस मद को अगर संभाल ना पाएं तो जिम्मेदारी कब अराजकता में बदल जाती है पता ही नही चल पाता,, अराजकता की इन्ही खबरों से सीधी के गली कूचे, अखबारों की कतरने, व्हाट्सएप ग्रुपो की चैट भरी पड़ी है, राजनीति और प्रशासन दोनो चुप्पी साधे हुए है, पर मैं इस चुप्पी के बाद का शोर सुन पा रहा हूं,और इस चुप्पी सेउपजी अराजकता को देख पा रहा हूं , राजनीति का एक सिद्धांत है, किसी शत्रु को हराना हो तो उस पर बाहर से आक्रमण करने के बजाय उसके घर के युवाओं को ही उनकी रीति नीति, उनकी संस्कृति के विपरीत आचरण करना सिखा दो, उन्हे समर्थन और संरक्षण दिया जाए तो उस शत्रु को नष्ट करने के लिए घर के वो युवा ही काफी हैं ।

श्रृंगी ऋषि, बाणभट्ट, और बीरबल जैसे महापुरुषों की ये भूमि अपनी संस्कृति, संस्कार, और बौद्धिकता की वजह से भी जानी जाती रही है, बाणभट्ट ने हर्षचरित लिखा भी और राजा हर्ष को चरित्र की शिक्षा भी दी, राजा हर्ष आज भी सबसे चरित्रवान राजाओं में गिने जाते रहे हैं,,राजनीति और प्रशासन का टकराव पहले भी हुआ है, पर तब तर्क और कानून का सहारा लिया गया, कई आईएएस अधिकारी से हुई चर्चा में इस बात का जिक्र किया गया है की सीधी की नेताओ को नियम कानून का इतना ज्ञान है की कई बार उन्ही से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, पर आज जब उन्ही बाणभट्ट और बीरबल की धरती में हो रही अराजकता को लेकर माननीयों की जुबान बंद है तो हम सब के लिए ये दुख की बात है,, और जिस तरह से संगठन अराजकता को संरक्षण दे रहा है ये सीधी की भविष्य के लिए ठीक नहीं है, नही है, नही है,,

सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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