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Home सीधी दर्पण चेतन का श्रृंगार करने के लिए दीक्षा आवश्यक : बाला व्यंकटेश

चेतन का श्रृंगार करने के लिए दीक्षा आवश्यक : बाला व्यंकटेश


सीधी ( ईन्यूज एमपी ) शहर के पूजापार्क में 13 जनवरी 2024से चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सबसे पहले मंत्रोच्चारण के साथ व्यास पीठ का पूजाअर्चन हुआ तथा देश एवं प्रदेश के लोकप्रिय कथा व्यास पं बाला व्यंकटेश शास्त्री महराज का श्रीकृष्ण रसामृत समिति के पदाधिकारी एडवोकेट लालमणि सिंह चौहान,सचिव डाॅ श्रीनिवास शुक्ल सरस, भागवत समिति की अध्यक्ष श्रीमती; कुमुदिनी सिंह, संरक्षक सुरेन्द्र सिंह बोरा, आयोजक मण्डल के सदस्य अंजनी सिंह सौरभ,भास्कर प्रताप सिंह, जीवेश त्रिपाठी, तथा संतोष सिंह चौहान आदि ने माल्यार्पण से स्वागत वन्दन किया। कथा प्रवक्ता पं. बाला व्यंकटेश महराज जी ने समुपस्थित श्रोतागणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि चेतन का श्रृंगार करने के लिए दीक्षा की नितान्त आवश्यकता होती है क्योंकि दीक्षा से आचरण चमकता है। महात्म्य की कथा को विवेचित करते हुए महराज जीने बताया कि मन तत्व और बुद्धि तत्व के संयोग से जीवन प्रसस्थ होता है। कथा के प्रसंग को आयाम देते हुए व्यास जीने कहा कि चेतन और अवचेतन की धारा को समझने की आवश्यकता है। व्यास जी ने आगे यह भी कहा की संत और शास्त्र समाज को जगाने के लिए आते हैं भयभीत करने के लिए नही। वह मनुष्य के कालुष्य को धुलता है और हमारी चेतना को प्रभु चरणों से जोड़कर धन्य करता है।
भागवत कथा के श्रवण से जिसके नयन सजल नही होते ,जो भगवान की कीर्तन सुनकर प्रसन्न नही होते तथा जिनका चित्त भगवत भजन में नही लगता उनको यह मानना चाहिए कि श्रीकृष्ण के कृपा की बरसात उनपर नही हो रही।ऐसे में सुयोग्य साधक के सतसंगत में अपने मन को लगाना चाहिए। राजा परीक्षित को शुकदेव जैसा साधक मिला और उनके जीवन को धन्य कर दिया। अतएव परम पिता का प्रेम पाने के लिए गुरु को माध्यम के रूप में अंगीकार करना होगा। कई प्रामाणिक दृष्टान्त देते हुए व्यास बालाव्यंकटेश महराज जी ने कथा प्रसंग मे यह भी बताया कि अवोध बालक जब कठिन सीढियाँ चढकर ईश्वर के पास नही पहुॅच पाता तब माॅ उसे अपनी गोद में लेकर प्रभु के चरणों तक से पहुंचा देती है।बस इसी भाॅति शौनकादि ऋषि भी अपने आपको अबोध शिशु बनाकर प्रभु का प्रेम पाने में सफल रहे हैं। अतएव सूत जी ने कलयुग में सबसे सरल सूत्र भागवत कथा का श्रवण करना प्रतिष्ठित किये हैं।फलतः मानव कल्याण के लिए भागवत कथा सुनना परमावश्यक है। कथा में शहर के गणमान्य नागरिक पत्रकार अधिकारी और कर्मचारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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