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सफाई व्यवस्था बेपटरी, कर्मचारी भी बेकाबू...

मध्यप्रदेश (ईन्यूज एमपी)- शहर में अब सफाई व्यवस्था ही नहीं कर्मचारी भी बेकाबू हैं। पहले से ही बेपटरी सफाई को लेकर अफसर गंभीर नहीं और इधर सफाई कर्मचारियों की गैर हाजिरी का नया खेल शुरू हो गया है। नगर निगम के रोज दस-पांच नहीं, 100-100 कर्मचारी रोज गायब हो रहे हैं। बुधवार को आंकड़ा 122 का था तो गुरुवार को भी शतक पार 109 ही रहा। इस गैर हाजिरी ने अफसरों की मानीटरिंग और पूरी सफाई की पोल खोलकर रख दी है। त्योहार पर अधिक कचरा कारण हो सकता है, लेकिन व्यवस्था ही ठप हो जाए, यह बड़ी बेपरवाही है। शहर के कई इलाकों में पिछले दो दिन से कचरे के ढेर नजर आ रहे हैं, इसके अलावा कई स्थानों पर न तो डोर-टू-डोर टिपर वाहन पहुंच रहे हैं और न ही गलियों में झाड़ू लग पा रही है। अब ड्यूटी से गायब रहने वाले कर्मचारियों का वेतन काटने और आदतन गैरहाजिर रहने वाले कर्मचारियों की सेवा समाप्ति का प्लान तैयार किया गया है।

शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 की तैयारी चल रही है, लेकिन हकीकत में शहर में सफाई व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। गली-चौराहों में गंदगी के ढेर नजर आते हैं। मोहल्लों से कचरे का कलेक्शन सही ढंग से नहीं हो रहा है। शहर के गली-मोहल्लों व कालोनियों में कचरे के ढेर लगे हैं। मोहल्ले में झाड़ू लगवाने और कचरा उठवाने के लिए भी लोगों को सिफारिश लगवानी पड़ रही हैं। कई लोग निगम मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और जनमित्र केंद्र पर शिकायत कर रहे हैं। यह स्थिति तब है, जबकि नगर निगम द्वारा हर साल स्वच्छता के नाम पर 75 से 80 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाती है। हाल ही में होली के त्योहार पर खरीदारी के कारण शहर से निकलने वाले कचरे की मात्रा में लगभग 40 टन का इजाफा हुआ है। लैंडफिल साइट पर गुरुवार को 520 टन कचरा पहुंचाया गया, इसके बावजूद शहर में कचरे के ढेर नजर आए। उधर त्योहार के कारण सफाई कर्मचारी भी ड्यूटी से गायब मिल रहे हैं। बुधवार को जहां 122 सफाई कर्मचारी, तो वहीं गुरुवार को 109 सफाई कर्मचारी बिना बताए ड्यूटी से गैरहाजिर रहे।

निगम द्वारा शहर में चलने वाले डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन टिपर वाहनों की ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से निगरानी का दावा किया जाता है, इसके बावजूद कई इलाकों में प्रतिदिन टिपर वाहन नहीं पहुंचते हैं। शहर के पाश इलाके सिटी सेंटर के अनुपम नगर, पटेल नगर सहित अन्य कालोनियों में भी रोज टिपर वाहन नहीं आते हैं, इन्हीं कालोनियों में खाली पड़े प्लाट और सड़कें अब कचरा ठीयों में तब्दील हो गई हैं। सर्वेक्षण होने पर इन कचरा ठीयों को हटाकर रंगोली बना दी जाती है, लेकिन जैसे ही सर्वे समाप्त होता है, वैसे ही फिर से कचरे के ढेर नजर आने लगते हैं।

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