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कांग्रेस की सक्रियता से भाजपा हैरान, प्रदेश के किसान आंदोलन से कांग्रेस को मिली संजीवनी

भोपाल(संदीप सिंह गहरवार)-प्रदेश में विगत माह से प्रारंभ हुए किसान आंदोलन ने मानो कांग्रेस के लिये संजीवनी का काम किया हो। प्रदेश में किसान आंदोलन के कारण बैकफुट पर चल रही प्रदेश की भाजपा सरकार इन दिनों प्रदेश में कांग्रेस की सक्रिय राजनीति से हैरान दिख रही है। हो भी क्यो न, विंध्य से लेकर मालवा तक इन दिनों शिवराज का 'अन्नदाता सरकार से खफा जो चल रहा है। हलाकि 'अन्नदाता की नाराजगी के बहुत सारे कारण भी हैं पर खेती को लाभ का धंधा बना देने का सपना दिखाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने 13 साल से अधिक के शासन में यह करिश्मा तो फिलहाल नहीं कर पाये। यह बात अलग है कि अफसरों की बैशाखी पर आंकड़ों की फर्जी बाजीगरी दिखाकर पांच कृषि कर्मण अवार्ड जरुर हांसिल कर लिया। सालों से दिवास्वप्न देख रहे किसानों का गुस्सा आखिरकार सड़क पर आ ही गया। इसके बाद भी सरकार अपनी नाकामी स्वीकार करने के बजाए अफसरों की चाटुकारिता को स्वीकार करते हुए किसान आंदोलन को तस्करों या गुडों का आदोलन साबित करने में जुटी है। प्रदेश में इन दिनो पनप रहे इसी किसान आंदोलन को आधार बनाकर कांग्रेस शिवराज सरकार को उखाड़ फेकना चाहती है। आंदोलन की आग को ठंड न होने देने के लिये ही कांग्रेस ने चरणबद्ध रुप से पूरे प्रदेश में व्यापक रुप से किसान आंदोलन करने का खाका तैयार कर लिया है। हलाकि कांग्रेस ने इस आंदोलन की शुरुआत सोमवार को उसी संभाग से की है जहां पूर्व केन्द्रीयमंत्री स्व. माधवराव सिंधिया ने एक सम्मेलन कर कांग्रेस की ताकत का एहसास कराया था। मंदसौर में हुए किसान आंदोलन के बाद से ही कांग्रेस विभिन्न राज्य में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि भाजपा किसान आंदोलन को पहले ही कांग्रेस जनित आंदोलन घोषित कर चुकी है लेकिन कांग्रेस इसे नकारती आ रही है। कांग्रेस का कहना है कि किसान आंदोलन और कुछ नहीं बल्कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों का नतीजा है। कांग्रेस का मानना है कि लहार सम्मेलन भाजपा के लिए अंत की शुरुआत होगा।
इसलिये डर रही भाजपा:- दरअसल भाजपा को सबसे बड़ा डर कांग्रेस के क्षत्रपों का एक साथ मंच पर नजर आना है। अभी तक भाजपा नेता कांग्रेसी क्षत्रपों के कई अवसरों पर एक साथ नजर नहीं आने पर खूब चटखारे लेते थे, पर बदली हुई परिस्थिति में अब यहीं मजाक भाजपा के लिये परेशानी समझ में आ रहा है। हाल ही में हुए किसान आंदोलन से 15 साल से खेमों में बंटे कांग्रेसियों को पार्टी अब एकजुट होती दिखने लगी है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान प्रदेश में पार्टी के एकजुट होने का संदेश देना चाहता है। इसी सिलसिले में कांग्रेस ने अपनी एकजुटता का बड़ा उदाहरण पेश करते हुए लहार में पार्टी के दिग्गजों का एक साथ एक मंच पर जमावड़ा करा दिया। भिंड के लहार से कांगे्रस ने चुनावी शंखनाद करते हुए सीधे सरकार को ललकारा है। लहार रैली में लाखों लोगों के जुटने के साथ ही एक मंच पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद कमलनाथ,कांग्रेस महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी मोहनप्रकाश, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद कांतिलाल भूरिया, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुणाल चौधरी, युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा बरार सहित कई पार्टी के दिग्गज नेता नजर आएं। किसानों के बहाने ही सही लेकिन कांग्रेस ने पहली बार सरकार को मुश्किल में डाल दिया है और अब तक आसान दिखने वाला चुनाव भाजपा के लिए चुनौतियां भरा बन गया है।

अब विंध्य की माटी से होगा हुंकार:- इन दिनों नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह एंव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण की जुगलबंदी से कांग्रेस में एक नई उर्जा का संचार हुआ है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह एवं अरुण यादव इन दिनों कांग्रेस को एक नई उर्जा देने में जुटे हुए हैं। खास तौर से अजय सिंह की सक्रियता से कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता को एक बार फिर पार्टी के कंधे से कंधा मिला कर कार्य करने का बल मिला है। इसी सक्रियता के चलते विंध्य क्षेत्र के सीधी जिले में कांग्रेस का जंगी ऐलान 12 जुलाई को चुरहट विधानसभा के मोहनीदेवी स्टेडियम में होने जा रहा है। इस जंगी ऐलान में पार्टी के वह तमाम दिग्गज जुटेंगे जो लहार में मौजूद रहे।

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