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होली में अग्निकांड के बाद महाकाल मंदिर में बड़े बदलाव की तैयारी, VIP दर्शन होगा खत्म,नई व्यवस्थाएं जल्द...

उज्जैन (ईन्यूज एमपी)- महाकाल मंदिर में होली पर हुए हादसे के बाद मंदिर प्रशासन कई कदम उठाने जा रहा है। समिति इस घटना के बाद व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन का प्लान तैयार कर रही है। नई व्यवस्था को जल्द लागू किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार समिति भस्म आरती व वीआइपी दर्शन में कोटा सिस्टम भी समाप्त करेगी।
होली पर गर्भगृह में हुए अग्निकांड में की जा रही पड़ताल में जो प्रारंभिक खामियां सामने आई है, उसमें मंदिर समिति द्वारा तय किए गए निर्धारित नियमों का पालन नहीं करना, गर्भगृह में निर्धारित संख्या से अधिक लोगों की मौजूदगी तथा नंदी हाल में अत्यधिक रंगों का उपयोग करना सामने आया है।

अब इस बात की पड़ताल की जा रही है कि आग केमिकल युक्त रंग, गुलाल से लगी या अन्य कोई कारण है। यह गुलाल बाहर से भीतर फेंका गया अथवा गर्भगृह में खड़े पुजारियों में से ही किसी ने हानिकारक गुलाल का उपयोग किया है। हालांकि इस सब पर गहन पड़ताल चल रही है।

मंदिर समिति ने मंदिर में रंग, गुलाल उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। केवल पुजारी, पुरोहित भगवान महाकाल को प्रतीकात्मक रूप से टेसू के फूलों से बना प्राकृतिक रंग अर्पित करेंगे। महाकालेश्वर मंदिर समिति ने इसके लिए गाइड लाइन जारी कर दी है। मंदिर प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया होली पर महाकाल मंदिर के गर्भगृह में आग लगने की घटना के बाद कलेक्टर नीरज सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से जारी गाइड लाइन का सख्ती से पालन कराने तथा उसी के अनुसार पर्व मनाने के निर्देश दिए हैं। मंदिर समिति पुजारी पुरोहितों को टेसू के फूलों से बना प्राकृतिक रंग उपलब्ध कराएगी। रंगपंचमी पर भस्म आरती दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु अपने साथ रंग, गुलाल लेकर मंदिर नहीं आ सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए भगवान को सीमित मात्रा में जल, पंचामृत, अबीर, गुलाल, कुमकुम आदि पूजन सामग्री तथा कम मात्रा में फूल तथा भगवान को छोटी-छोटी फूल माला अर्पित करने का सुझाव दिया है।
एक्सपर्ट कमेटी ने गर्भगृह का तापमान नियंत्रित रखने के लिए एक साथ कम संख्या में लोगों के गर्भगृह में मौजूद रहने का सुझाव दिया है।
एक्सपर्ट कमेटी ने भगवान महाकाल का आरओ जल से अभिषेक करने तथा कैमिकल रहित पूजन सामग्री अर्पित करने का सुझाव दिया है।

पुजारी, पुरोहित होली रंगपंचमी तथा प्रमुख पर्वों पर गाइड लाइन का पालन नहीं करते हैं। भगवान को भारी मात्रा में गुलाल, सैकड़ों लीटर कलर तथा क्विंटलों से फूल अर्पित कर रहे हैं। 24 मार्च को होली पर तड़के भस्म आरती में भगवान को 51 क्विंटल फूल अर्पित किए गए थे।
भगवान को भोग अर्पित करने में भी बिचौलिए सक्रिय हैं। शिवनवरात्र के नौ दिन बाहर के दानदाताओं ने बिचौलियों के माध्यम से भगवान को नौ दिन तक क्विंटलों ड्रायफ्रूट का भोग लगाया। मंदिर समिति के पास इसकी रिकार्डिंग सुरक्षित होगी। इसे देखकर इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
होली पर लगी आग में 14 पुजारी, पुरोहित व इनके सेवक झुलसे हैं। जिस समय अग्निकांड हुआ गर्भगृह में बड़ी संख्या में सोलाधारी मौजूद थे। एक साथ इतने लोगों की मौजूदगी भी सवाल खड़े कर रही है कि मंदिर समिति एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव पर अमल नहीं करा पा रही है।
होली के दिन नंदी हाल में कुछ श्रद्धालु रंग के सिलेंडर लेकर आए थे। नैवेद्य द्वार की सीढ़ियों पर भी रंग के सिलेंडर व बंद बोरियां रखी हुई है। बहुप्रसारित वीडियों में यह सब स्पष्ट नजर आ रहा है। यह नजारा मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था तथा न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सुझावों को नजर अंदाज करने की कहानी बयां करता है

24 मार्च को तड़के 4 बजे भस्म आरती में सैकड़ों क्विंटल फूल व गुलाल का उपयोग हुआ। संध्या आरती में कई क्विंटल गुलाल गर्भगृह व नंदी हाल में उड़ाया गया। शयन आरती में समिति सदस्य पं.राम पुजारी व परिवार द्वारा भगवान को केवल 31 किलो फूल अर्पित कर रंगोत्सव मनाया। आरती में केमिकल युक्त गुलाल व सिलेंडर लेकर आने वाले लोगों को भी उन्होंने बाहर का रास्ता दिखा दिया। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने व्यवस्था संभाली तथा कुछ सेवकों को ही भीतर प्रवेश दिया गया।

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