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Home सियासत सीधी की टेंढी चाल - सीधी में सब सीधा नही जो दिखता है वह होता नही ...

सीधी की टेंढी चाल - सीधी में सब सीधा नही जो दिखता है वह होता नही ...

कहा जाता है सीधी का केवल नाम सीधा है, बांकी कुछ भी नही, चाहे यहां की सीमा निर्धारित करने वाली गोपद और बनास नदियां हो, चाहे शहर के अंदर बहने वाला सुखा नाला, कुछ भी सीधा नही है, फिर यहां की राजनीति भला कैसे अछूती रह सकती है, सीधी का राजनीतिक इतिहास नए सिरे से दोहराने का कोई मतलब नही है, यंही के स्वर्गीय चंद्र प्रताप तिवारी ( बाबू जी) जब पूरी सरकार बिरला के सामने नतमस्तक हुआ करती थी, उस दौर में वन मंत्री रहते हुए बिरला को नोटिस देने का मामला पूरे सूबे में तूल पकड़ा था, और अंत में कांग्रेस से मोहभंग करना पड़ा था, इसी दौर में जब चंद्र प्रताप तिवारी जी की राजनीति का अवसान हो रहा था, तभी सीधी में एक नए सूर्य का उदय हुआ जिसे राजनीति में चाणक्य के नाम से जाना गया, जिनकी राजनीति अच्छे अच्छे राजनीति के जानकर नही समझ पाए,
"नासमझी के वो 40 वर्ष" में बाबू जी ने जिक्र भी किया है । लेकिन सीधी की राजनीति इतनी सीधी नही थी, मंत्री बनते ही साहब के तेवर बदल गए, विधानसभा में एक ऐसा मौका आया जब उन्हें कही से भी चुनाव हराने का चैलेंज कर दिया, और 67 के चुनाव का परिणाम सबको पता है ।
जबकि बाबू जी का चुनावी क्षेत्र सीधी था, चुरहट नही..!!
यहां जिसने जिसको खड़ा किया, बाद में वो ही एक दूसरे के धुर विरोधी हुए, उस पीढ़ी में रिश्ते की मर्यादा बच भी गई तो अगली पीढ़ी ने बची कुछ कसर पूरी कर दी, हर जिले, विधानसभा, लोकसभा का अपना इतिहास रहा है, लेकिन सीधी का इतिहास निराला है, और इतिहास की बाते बताए बिना वर्तमान और भविष्य समझ नही आयेगा ।

कल मुख्यमंत्री जी की सभा सीधी में थी, 2008 के बाद ऐसी सफल सभा शायद सीधी में दोबारा हुई है,संयुक्त सीधी सिंगरौली के तत्कालीन कलेक्टर केदार शर्मा के प्रशासनिक नेतृत्व में ऐसी सभा हुई थी, अब नवागत कलेक्टर साकेत मालवीय, और सीईओ जिला पंचायत राहुल नामदेव धोते के नेतृत्व में कल हुई, भीड़ के परिपेक्ष्य में देखे तो कल की सभा 2008 के सभा से अधिक सफल रही, राजनीतिक दृष्टिकोण से देखे तो राजनीतिक पंडित अभी भी इस बात का आंकलन करने में किसी निष्कर्ष में नही पहुंच पा रहे की चुरहट विधानसभा की प्रस्तावित जन सभा रीवा और सीधी में क्यों हुई, वंही चुरहट विधानसभा क्षेत्र में सभा के नाम पर केवल खानापूर्ति क्यो हुई, कुछ लोग संघ के आंतरिक सर्वे का हवाला दे रहे हैं, जिसमें सीधी विधानसभा सीट को भाजपा के लिए सुरक्षित बताया गया है...

खैर,

कारण जो भी रहे हों, लेकिन कल के कार्यक्रम में हुई कार्यवाही और कुछ अधिकारियों की तारीफ किसी के गले नही उतर रही है, जिन अधिकारी पर कांग्रेस नेता कार्यवाही चाहते थे, उन पर तो कार्यवाही हो गई, लेकिन बहुत से ऐसे अधिकारी थे जिन पर कार्यवाही का इंतजार लोगों को कई दिनो से थी, उनका नाम तक नहीं था,
सिहावल और चुरहट के संबंध की दवे मुंह चर्चा हो रही है, इसमें कितनी सच्चाई है राम जाने...

लेकिन,

मंच से तथाकथित अधिकारियों की तारीफ के पैमाने क्या हैं, ये अभी तक जिले के अधिकारियों को ही नही पता है, दवे स्वर से लोग कह रहे हैं कार्यवाही और तारीफ में जातीय समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है, और प्रदेश में संदेश देने का प्रयास हो रहा है की सरकार आदिवासियों की हितैषी सरकार है,

अंत में जिले के अधिकारियों द्वारा कहे अनुसार सीधी विधायक जी के बारे में कुछ भ्रांतियां थी, कुछ अधिकारियों से द्वेषवश वो किसी की शिकायत कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने किसी के बारे में कुछ नही कहा, पूर्व में भी मुख्यमंत्री को कुछ बताया भी है तो केवल वस्तुस्थिति बताई है न की कोई राग द्वेष, जिसको लेकर जिले के एक आईएएस अधिकारी ने सीधी विधायक को स्पष्टवादी की संज्ञा से अलंकृत किया है , तो जैसा की सीधी में कुछ भी सीधा नही है, जिसको सीधा समझा जाता है वो टेढ़ा निकल जाता है, और जिसको टेढ़ा समझो वही असल में सीधा आदमी है ।

सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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