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नए कानूनों से सशक्त होंगे किसान: शिवराज सिंह ,

भोपाल ( ई न्यूज एमपी )किसानों का दुख-दर्द देखकर मेरा दिल तब दिल द्रवित हो उठता है। यह दुख तब और बढ़ जाता है जब कुछ राजनीतिक दल अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए मासूम किसानों को अपना मोहरा बनाते हैं। ये दल मोदी सरकार के जिन नए कृषि कानूनों के विरोध पर आमादा हैं, कुछ वैसे ही कानून बनाने का उन्होंने चुनावी वादा भी किया था। हमारे किसान हितैषी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब किसानों के हित में ऐसे कानून बना दिए तो उन्हें क्या समस्या है? अब अचानक से क्या बदल गया है। दरअसल कांग्रेस और उसके जैसे अन्य दलों के पास जब कोई मुद्दा नहीं रहा तो वे किसानों को भ्रमित कर देश का माहौल बिगाडऩे पर तुले हैं।प्रदर्शनकारी किसान भी हमारे अपने हैं। उनके लिए हमारे द्वार हमेशा खुले हैं। केंद्र सरकार ने उनसे कई दौर की वार्ता भी की है। हम उनके सभी संदेह दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसान भाई याद रखें कि प्रधानमंत्री मोदी कभी भी उनका अहित नहीं होने देंगे। मैं भी एक किसान हूं, इसलिए दावे के साथ कहता हूं कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। इसके लिए हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करना चाहिए, जिनमें देश को आगे बढ़ाने की एक जिद और जुनून है और यह किसानों की तरक्की के बिना संभव नहीं। इसीलिए उन्होंने किसानों के हित में बहुप्रतीक्षित सुधारों को मूर्त रूप दिया। उनका यह कहना भी यथोचित है कि पुराने कानूनों के जरिये देश का पुनर्निर्माण नहीं किया जा सकता। ऐसे में इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों से मेरा प्रश्न है कि इनके जरिये अगर मंडी के अलावा किसानों को अपनी उपज बेचने की आजादी मिले तो उसमें क्या हर्ज है? न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर वे दुष्प्रचार में जुटे हैं, जिसे यथावत कायम रखा जा रहा है। इसी तरह मंडियों के विषय में वे झूठ फैला रहे हैं कि मंडियों को खत्म किया जा रहा है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा। हम तो मंडियों की व्यवस्था में और सुधार ही कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में हमने मंडी शुल्क दो रुपये से घटाकर 50 पैसे कर दिया है। हम दूसरे विकल्प भी किसानों को दे रहे हैं। मंडियां तो कायम रहेंगी, वहीं निजी मंडियां और निजी व्यापारियों के आने से किसानों के लिए विकल्प बढ़ेंगे। वैसे भी यदि कोई किसान मंडी के अलावा किसी उद्यमी या निर्यातक को सीधे फसल बेचना चाहता है तो उसमें आखिर क्या दिक्कत है? इसमें बिचौलिये क्यों बीच में आएं?

उद्यमी और किसान के बीच सौदा भी आपसी सहमति से ही होगा। कोई व्यापारी किसी भी प्रकार से किसान पर दबाव नहीं बना सकता है। वास्तव में नए कानूनों से पूरी व्यवस्था और प्रतिस्पर्धी बनेगी। इससे मंडियां भी बेहतरी के लिए प्रयास करेंगी। वहीं कांट्रैक्ट फाॄमग में किसानों को ज्यादा दाम मिलने पर अनुबंध से बाहर आने की छूट है, जबकि व्यापारी के लिए अनुबंध तोडऩे पर कार्रवाई का प्रावधान है। नए कानूनों से कृषि में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। किसान नई-नई तकनीकों से जुड़ेंगे। भंडारण की व्यवस्था सुदृढ़ होगी, कृषि उपज की बर्बादी रुकेगी, खेती-किसानी में नई जान आएगी, वेयर हाउस बनेंगे, कोल्ड स्टोरेज की चेन तैयार होगी। वास्तव में ये कानून देश के कृषि इतिहास में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। हम किसानों के हर एक वर्ग के हितों को ध्यान रख रहे हैं। उन किसानों का भी जो अपनी आवाज उठाने में सक्षम नहीं हैं। हमने कई ऐसी योजनाएं बनाई हैं, जिनमें सभी के हितों का ध्यान रखा गया है।

खेती को फायदेमंद बनाने और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने चौतरफा प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस दिशा में चार उपाय महत्वपूर्ण होंगे। एक तो हमें उत्पादन बढ़ाना पड़ेगा, जिसके लिए केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार कई उपाय कर रही हैं। दूसरा उत्पादन की लागत कम करनी पड़ेगी। इसके लिए भी मोदी जी मृदा परीक्षण और अनुकूल एवं आवश्यक खाद तमाम सुविधाएं लेकर आए हैं। इनसे लागत घटाने में मदद मिली है। तीसरा उपाय कृषि उपज के उचित दाम दिलाने से जुड़ा है। नए कृषि कानूनों के जरिये यही कवायद की जा रही है। इस कड़ी में चौथा उपाय यही करना होगा प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य स्थिति के कारण हुए उपज को हुए नुकसान में किसान को पर्याप्त क्षतिपूर्ति दी जाए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में यही सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया जा रहा है। इसके बाद पांचवां और सबसे क्रांतिकारी प्रयास है किसानों को प्रतिस्पर्धी दरें मिले। इसीलिए एपीएमसी का मॉडल एक्ट लागू करने का निर्णय लिया गया। कुल मिलाकर सरकारी प्रयासों का लक्ष्य है किसान प्रतिस्पर्धा में टिककर सक्षम बन सकें। उन्हें खाद-बीज के लिए ऊंचे ब्याज पर पैसे न उठाने पड़े। इसी दिशा में मोदी सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजना लेकर आई। हमने प्रदेश में इसके तहत 4,000 रुपये की राशि और जोड़ दी। यानी मध्य प्रदेश में इसके अंतर्गत किसानों को सालाना 10,000 रुपये मिलेंगे। स्पष्ट है कि कई ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी।

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