भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): प्रदेश की राजधानी भोपाल में बुधवार को भाजपा संगठन ने अपनी जमीनी पकड़ और अनुशासन को मजबूत करने के उद्देश्य से बड़ी रणनीतिक बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित इस अहम बैठक में प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी और मंत्रिगण आमने-सामने बैठे। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह, सह प्रभारी सतीश उपाध्याय, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा समेत भाजपा के तमाम रणनीतिक स्तंभ मौजूद रहे। मुख्यमंत्री का सीधा संदेश: “संगठनात्मक गतिविधियों को ज़मीन पर उतारें और जनहित योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाएं। यह जिम्मेदारी हमारे संगठन तंत्र और जनप्रतिनिधियों की है।” — यह सीधा और स्पष्ट संदेश मुख्यमंत्री ने बैठक में दिया। क्यों नाराज़ हुआ नेतृत्व? संगठन से ज्यादा ट्रांसफर की चिंता? शिवप्रकाश ने तीखे शब्दों में दो दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्षों को फील्ड वर्क छोड़ राजधानी में सिफारिशें करने पर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “जिला कार्यालयों में बैठिए, न कि भोपाल में भीड़ बढ़ाने के लिए।” परिवारवाद पर भी फटकार प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने चेताया, “नेता ने नहीं, पार्टी ने आपको जिलाध्यक्ष बनाया है। मंच बेटों को नहीं सौंपा जा सकता।” वर्चुअल दिखावे पर सख्ती कैमरा बंद कर बैठक करने वालों को सीधे नसीहत दी गई—“यह सिर्फ खानापूर्ति नहीं है, अब जवाबदेही तय होगी।” कार्यकर्ताओं की सुनो, फीडबैक मिल रहा है कार्यकर्ताओं की तरफ से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि जिलाध्यक्षों से मिलना मुश्किल है, वे अपने खास लोगों के अलावा किसी को महत्व नहीं देते। अब आगे क्या? बैठक में निर्णय लिया गया कि अब जिलों में कोर टीम, सप्ताहिक रिपोर्टिंग, और जनता के साथ सीधा संवाद अनिवार्य होगा। जिनके प्रदर्शन में कमी मिलेगी, उनकी रिपोर्ट दिल्ली तक जाएगी और जरूरत पड़ने पर कुर्सी भी जा सकती है।