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Home मध्य प्रदेश सांसद प्रज्ञा ठाकुर, सीएम के आने से पहले ही छोड़ा कार्यक्रम क्यूं......?

सांसद प्रज्ञा ठाकुर, सीएम के आने से पहले ही छोड़ा कार्यक्रम क्यूं......?

भोपाल (ईन्यूज़ एमपी) भाजपा में कुर्सी को लेकर घमासान होने के आसार लग रहे हैं।भाजपा कार्यालय के उद्घाटन समारोह में सांसद प्रज्ञा ठाकुर की कुर्सी पर मंच पर पीछे लगाई गई तो वह भड़क उठीं। इसके बाद वह मुख्यमंत्री शिवराज के आने से पहले ही कार्यक्रम से भी चली गईं। वहीं, एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। वैसे तो यह पूरा मामला मंच पर कुर्सी लगाने को लेकर है, लेकिन विवाद कितना तूल पकड़ेगा, यह तो भविष्य में ही पता चलेगा।


जानकारी के मुताबिक, भोपाल में 25 दिसंबर को भाजपा के जिला कार्यालय का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा समेत भाजपा के कई नेताओं को आमंत्रित किया गया था।पीछे कुर्सी देख भड़कीं सांसद प्रज्ञाबताया जा रहा है कि पार्टी का यह कार्यालय पुराने भोपाल में बनाया गया है। कार्यक्रम में नेताओं के बैठने के लिए बड़ा मंच बनाया गया था। इसके तहत सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी समय पर पहुंच गईं, लेकिन उन्होंने मंच पर पिछली पंक्ति में अपनी कुर्सी देखी तो भड़क गईं।

जानकारी के मुताबिक, साध्वी प्रज्ञा ने स्थानीय नेताओं के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की। इस दौरान उन्हें मनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं मानीं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आने से पहले ही कार्यक्रम छोड़ दिया और दूसरी जगह चली गईं। पार्टी का कार्यक्रम बीच में छोड़ने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक अन्य कार्यक्रम में शामिल हुईं। उस दौरान उन्होंने इशारों-इशारों में अपनी नाराजगी जाहिर की। दरअसल, राजधानी के मानस भवन में प्रवचन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें सांसद प्रज्ञा ने कहा कि अधूरी बात करना व्यक्तित्व का अधूरापन है। मुझे इससे ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जो समझ गए वह ठीक और जो इसे न समझे, वो अनाड़ी हैं। कुर्सी की खींचतान में आज हम भी फंस गए, अभी तक नहीं फंसे थे। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ लिया, लेकिन वह कुर्सी की खींचतान नहीं थी। वह तो युद्ध था, क्योंकि हम तो कहीं भी रह सकते हैं। जंगल में भी रह सकते हैं। लेकिन जिस बात की लड़ाई लड़कर प्रभु ने मुझे जिस स्थान पर भेजा, वहां उसकी मर्यादा नहीं रख पाए तो मुझे लगता है कि वह स्थान छोड़ देना चाहिए।

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